इतिहासकार, दार्शनिक और लेखक युवाल नोह हरारी ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 में हिस्सा लिया और भारत में बायोमैट्रिक आधार सिस्टम के बारे में अपनी राय रखी है. हरारी ने शुक्रवार को मुंबई में हुए इस कार्यक्रम में कहा कि तकनीक का विरोध करना तर्कसंगत नहीं है, इसलिए कुछ नुकसानों के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम को दरकिनार नहीं किया जा सकता है.
तकनीक अंतिम निर्णायक नहीं हो सकती
हरारी ने कहा है कि कोई भी तकनीक अंतिम रूप से निर्णायक नहीं हो सकती. हर तकनीक के कुछ बुरे और कुछ अच्छे पहलू होते हैं. अगर कुछ नुकसानों की वजह से बायोटैक्नोलॉजी को छोड़ दिया जाए तो यह बेवकूफी होगी. उन्होंने कहा कि अगर इंसान जाति पिछले आविष्कारों को उनके आशंकित नुकसानों की वजह से त्याग देती तो यह कितनी बड़ी बेवकूफी होती.
रेडियो नहीं उसका इस्तेमाल बुरा था
हरारी ने इसके लिए उदाहरण दिया कि नाजी जर्मनी ने रेडियो का इस्तेमाल अपने प्रचार तंत्र के लिए किया था. रोजाना शाम को हिटलर और उसके प्रचार मंत्री गोएबल्स रेडियो पर भाषण देकर लोगों का ब्रेनवॉश करते थे. इससे तानाशाही को बढ़ावा मिला, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि रेडियो बुरा था और सारे रेडियो सेट को नष्ट कर दिया जाना चाहिए था.
तकनीक का बेहतर इस्तेमाल सोचना होगा
हरारी ने कहा कि इससे हम कह सकते हैं कि रेडियो बुरा नहीं था, उसका बेहतर इस्तेमाल संभव था. यही बायोटैक्नोलॉजी के साथ भी है. लोगों को तकनीक से नहीं डरना चाहिए. लोगों को यह भी नहीं सोचना चाहिए कि वे तकनीक को रोक सकते हैं या नष्ट कर सकते हैं. ऐसा वे नहीं कर सकते और न ही इससे कोई मदद मिलेगी. तो फिर हम क्या करें, हमारे पास हर तकनीक के लिए राजनीतिक विकल्प होते हैं. हमें सभी विकल्पों की जानकारी होनी चाहिए और सही विकल्प को चुनना चाहिए.
क्या है युवाल का अध्ययन
हरारी का मानव जाति पर प्रभावशाली अध्ययन है. उन्होंने यह समझाने की कोशिश की है कि बाकी प्राणियों के मुकाबले मानव जाति कैसे दुनिया पर राज करने लायक बनी. उन्होंने अपने एक लेक्चर में कहा था, 'अगर मुझे और एक चिम्पैंजी को एक साथ किसी निर्जन द्वीप पर छोड़ दिया जाए तो मैं चिम्पैंजी को कॉपी करूंगा. इसकी वजह यह नहीं है कि व्यक्तिगत रूप से मुझमें कोई गड़बड़ी है, बल्कि चिम्पैंजी हर हाल में किसी भी इंसान पर भारी पड़ेगा.' इसकी वजह हरारी बताते हैं कि मनुष्य और दूसरे जानवरों के बीच असली अंतर व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि सामूहिक स्तर पर होता है. इंसान सामूहिक रूप से बेहतर तौर पर संगठित होने की वजह से ही दुनिया पर राज कर पाते हैं.