राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कहा है कि पीएमएल-एन प्रमुख नवाज शरीफ ने मुलाकात की उनकी अपील को ठुकरा दिया है, हालांकि उन्होंने सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के शासन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री को फांसी से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी.
आगामी आम चुनाव के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की तैयारियों का जायजा लेने के लिए इस समय लाहौर में डेरा डाले जरदारी ने शरीफ से उनके भाई अब्बास शरीफ की मौत पर शोक जताने के लिए मुलाकात करनी चाही थी.
लाहौर में अपने निजी निवास बिलावल हाउस में आगंतुकों से बातचीत में जरदारी ने शिकायत की कि शरीफ ने उनसे मिलने से मना कर दिया जबकि एक समय उन्होंने उनकी जान बचायी थी. जरदारी ने दावा किया है कि उन्होंने शरीफ को पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ द्वारा फांसी पर चढ़ाए जाने से बचाया था.
उन्होंने कहा कि 1999 में सैन्य तख्तापलट के जरिए पीएमएल-एन सरकार को हटाए जाने के बाद मुशर्रफ ने जब शरीफ को जेल में डाल दिया था तो शरीफ के साथ उनकी ‘दोस्ती’ हो गयी थी.
जरदारी ने दावा किया, उस समय मुशर्रफ न्यायाधीश रहमत हुसैन जाफरी पर शरीफ को कड़ी सजा दिए जाने का दबाव डाल रहे थे.
जरदारी के हवाले से एक अखबार ने लिखा है कि मेरी न्यायाधीश जाफरी से थोड़ी जान पहचान थी और जब मैंने सुना कि मुशर्रफ, नवाज को सजा दिए जाने पर दबाव डाल रहे हैं तो मैंने उनको सलाह दी कि मामले को गुण दोष के आधार पर सुलझाएं. उन्होंने कहा कि वह जाफरी को शरीफ को कड़ी सजा नहीं दिए जाने के लिए मनाने में सफल हो गए.