एक जान की कीमत एक हजार रुपये. तालिबान के कब्जे वाले पाकिस्तानी इलाके में अल्पसंख्यक हिंदू और सिख समुदाय के जान की यही कीमत है. तालिबान ने खैबर एजेंसी के अल्पसंख्यकों को सालाना एक हजार रुपये बतौर जजिया जमा करने को कहा है.