पाकिस्तान में सरकारों का जन्म और सरकारों की विदाई जनता नहीं बल्कि पाकिस्तान की सेना करती है. सेना का दुलार ही सरकार बनाता है, सेना की दुत्कार ही सरकार गिरा देती है, तो इमरान खान और पाक आर्मी चीफ के रिश्तों का ओवर कैसा रहा है ? इसे छह बिंदुओं में समझिए. साल 2019 में इमरान खान ने सेना प्रमुख बाजवा के कार्यकाल को बढ़ा दिया था. लेकिन फिर अक्टूबर 2021 वो वक्त आया जब आईएसआई चीफ के ट्रांसफर को लेकर इमरान खान और बाजवा के बीच संबंधों में तनातनी आई. इसके बाद इसी साल जनवरी में सेना से विपक्ष की डीलबाजी का आरोप इमरान सरकार की तरफ से लगाया जाने लगा. 10 मार्च को जब पाकिस्तानी में सियासी उठापटक के बीच पाक आर्मी ने कहा कि वो न्यूट्ल है तो दावा है कि मदद ना मिलने से इमरान नाराज हो गए. फिर 20 मार्च को भारतीय सेना की तारीफ इमरान खान ने कर दी। कहा कि भारत की सेना कभी चुनी हुई सरकार में दखल नहीं देती. इसे बाजवा से इमरान की तनातनी का नया चैप्टर माना गया. और अब आज बाजवा ने आकर इमरान खान से तीन घंटे की मुलाकात की है.
In Pakistan, it is the support of the army that forms the government, the government is toppled by the misbehavior of the army, so how has the relationship between Imran Khan and the Pakistan army chief been over? Know the details of it in six points.