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अफ्रीकन स्वाइन फीवर से 2000 सुअरों की मौत, वायरस से बचाव के लिए सरकार ने बनाया 'किलिंग प्लान'

पिछले कुछ दिनों से शिवपुरी शहर में सुअरों की लगातार मौत के बाद पशुपालन विभाग ने मृत सुअरों के सैंपल भोपाल स्थित राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भेजे थे. जहां मृत सुअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर ASF वायरस की पुष्टि हुई है.

Pigs death due to African Swine Fever (File Photo) Pigs death due to African Swine Fever (File Photo)
रवीश पाल सिंह/प्रमोद भार्गव
  • शिवपुरी,
  • 07 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:59 PM IST

मध्य प्रदेश के शिवपुरी में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से अब तक करीब 2 हज़ार सुअरों की मौत हो गई है. इस पर एक्शन लेते हुए अब प्रभावित इलाके में सुअरों की किलिंग की जाएगी. इसकी जानकारी नगर पालिका द्वारा दी गई है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से शिवपुरी शहर में सुअरों की लगातार मौत के बाद पशुपालन विभाग ने मृत सुअरों के सैंपल भोपाल स्थित राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भेजे थे. जहां मृत सुअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर ASF वायरस की पुष्टि हुई है.

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पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉक्टर तमोरी ने बताया कि इंसानों को इस बीमारी से घबराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि अफ्रीकन स्वाइन फीवर बीमारी सिर्फ सुअरों में ही पाई जाती है. आम लोगों से अपील की गई है कि उनके आस-पास अगर सुअरों की अप्राकृतिक मृत्यु हो तो तत्काल जिला कंट्रोल रूम पर सूचना दें. 

क्या है अफ्रीकन स्वाइन फीवर?

अफ्रीकन स्वाइन फीवर एएसएफ पालतू और जंगली सुअरों की अत्यधिक संक्रामक वायरस बीमारी है, जो गंभीर आर्थिक और उत्पादन हानि के लिए जिम्मेदार है. फिलहाल अफ्रीकन स्वाइन फीवर एएसएफ के लिए कोई इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. 

एक्शन में सराकर

इस बीमारी की रोकथाम के लिए भारत सरकार के नेशनल एक्शन प्लान के अनुसार प्रभावित क्षेत्र की एक किलोमीटर की परिधि को इनफेक्टेड जोन और इसके आस-पास की नौ किलोमीटर की परिधि को सर्विलांस जोन घोषित किया जाता है. इन्फेक्टेड जोन में सुअरों को मानवीय तरीके से किलिंग कर मुआवजा बांटा जाएगा. इसके साथ ही रोग नियंत्रण के लिए सुअरों के मांस को बेचने और उसके परिवहन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है.

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