
वित्त मंत्री अरुण जेटली के सामने आम बजट 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए मंत्र 'कैशलेस इंडिया' को भी आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी होगी. साल 2016 में नोटबंदी की घोषणा के बाद से केंद्र सरकार कई मौकों पर कहा है कि वह कैशलेस इकोनॉमी की ओर बढ़ना चाहती है.
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में 30 करोड़ जनधन खाते खोले. इसके अलावा कई सेवाओं को आधार कार्ड से लिंक किया गया और इसके लिए 'ब्लैक मनी' को अर्थव्यवस्था में लाने के साथ ही अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने का तर्क दिया गया.
हालांकि, अब भी कैशलेस प्रणाली छोटे और मंझोले कारोबारियों और कस्बाई इलाकों में रहने वाले लोगों की पहली पसंद नहीं बन सकी है. इसकी वजह इन ट्रांजेक्शन में आने वाला चार्ज है. उम्मीद है कि सरकार कैशलेस सिस्टम को बढ़ाने के लिए इस पर लगने वाला चार्ज को हटाएगी और कैशलेस ट्रांजेक्शन पर इन्सेन्टिव भी देगी.
1- पीओएस मशीनों की संख्या बढ़ाना
कैशलेस ट्रांजेक्शन को फिजिकल प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीन के तहत रखा जाता है. इंटरनेट के सभी ट्रांजेक्शन को यूनीफाइड पेमैंट इंटरफेस (UPI) के तहत दर्ज किया जाता है. इस समय देश में करीब 30 लाख POS मशीनें हैं और इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है.
2- कैशलेश ट्रांजेक्शन से हटे सरचार्ज
रेलवे का टिकट ऑनलाइन बुक कराने पर लगने वाले सरचार्ज को लेकर देश के कई हलकों में विरोध हो चुका है. NPS, IRCTC और PSU जैसी सरकारी वेबसाइटों पर लगने वाले सरचार्ज को खत्म करने से भी कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिल सकता है.
3- UPI को सस्ता करना
POS के मुकाबले UPI को सस्ता करने से भी कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिल सकता है. इसी वजह है कि देश में लोगों के पास स्मार्टफोन्स बढ़ रहे हैं और इंटरनेट सेवाएं भी सस्ती और सुलभ होती जा रही हैं. फिलहाल किसी को भीम ऐप का रेफरेंस देने पर 10 रुपये मिलते हैं. नैशनल पेमैंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया इसे बढ़ाकर 25 रुपये करने की मांग कर रहा है.
4- ग्रामीण इलाकों को मिले तवज्जो
गैर-मेट्रो इलाके यानी ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए इन इलाकों में POS या डिजिटल ट्रांसफर पर भी इन्सेन्टिव देने से देश के ज्यादातर लोगों को कैशलेस इकोनॉमी में शामिल किया जा सकता है.
5- बैंकिंग सेवाओं पर GST कम करना
इस समय बैंकिंग सेवाओं पर जीएसटी की दर 18 फीसदी है. इसे भी कम करने की जरूरत है. हाल ही में मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) कम हुआ है, लेकिन इसके साथ ही ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर इन्सेन्टिव बढ़ाने की भी जरूरत है.