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बजट में साहूकारों और नकली कीटनाशकों से छुटकारा चाहते हैं पंजाब के किसान

नए बजट की उम्मीदों को लेकर जब आज तक ने मोहाली के फिरोजपुर गांव के किसानों से बात की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

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मनजीत सहगल/सना जैदी
  • मोहाली,
  • 29 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:43 AM IST

एक तरफ जहां देश का व्यापारी वर्ग, नौकरी पेशा और सामान्य निवेशक नए बजट की घोषणाओं का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, वहीं पंजाब के किसान वित्त मंत्री अरुण जेटली से कुछ इस तरह की घोषणाओं की उम्मीद कर रहे हैं जिससे उनको बिचौलियों, साहूकारों और नकली कीटनाशकों से छुटकारा मिल सके.

नए बजट की उम्मीदों को लेकर जब आज तक ने मोहाली के फिरोजपुर गांव के किसानों से बात की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. इस गांव के किसानों ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा शुरू की गई कर्ज माफी की योजना समुद्र में एक बूंद के समान है, क्योंकि इस योजना को शुरू करने से पहले किसानों की व्यवहारिक जरूरतों को सामने नहीं रखा गया.

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चंडीगढ़ से सटे फिरोजपुर गांव के किसान दिलीप सिंह के मुताबिक पंजाब में किसानों की आत्महत्या तब तक जारी रहेगी जब तक आढ़तिए यानी साहूकारों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज पर पाबंदी नहीं लगाई जाती. दरअसल, साहूकार किसानों को आसानी से कर्ज दे देते हैं. उनसे कर्ज लेने के लिए किसानों को ज्यादा कागजी कार्रवाई नहीं करनी पड़ती. लेकिन उनका कर्ज भले ही आसानी से मिल जाता है लेकिन वह खून चूसने वाला होता है, क्योंकि वह अपनी मर्जी के मुताबिक सूद वसूलते हैं.

किसान चाहते हैं कि सरकार किसानों की जरूरतों को समझते हुए राष्ट्रीयकृत बैंकों से कर्ज लेने की प्रक्रिया को आसान बनाए. क्योंकि किसानों को फसल पकने तक वित्तीय सहायता की जरूरत होती है. जिसको ज्यादातर किसान सूदखोरों से कर्ज लेकर पूरा करते हैं.

किसान दलीप सिंह का कहना है कि 'मैं वित्त मंत्री अरुण जेटली से विनती करता हूं कि अगर आप किसानों को बचाना चाहते हैं, तो साहूकारों पर शिकंजा कसें. बैंकों से कर्ज लेना आसान हो जिससे किसान साहूकारों के चंगुल में न फंसें.

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पंजाब में जीएसटी के नाम पर हो रही है ठगी

फिरोजपुर गांव के किसान दिलीप सिंह के मुताबिक जब से जीएसटी शुरू की गई है तब से गांव के छोटे-मोटे दुकानदार जीएसटी के नाम पर हर चीज का मनमाना दाम वसूल रहे हैं. जिन चीजों पर जीएसटी लागू ही नहीं है उन पर भी जीएसटी बताकर किसानों से 100 से 200 रुपये यूं ही वसूले जाते हैं.

फिरोजपुर गांव के ही एक अन्य किसान केसर सिंह के मुताबिक गांव में कीटनाशक बीज और दूसरी चीजें बेचने वाले छोटे-मोटे दुकानदार न तो उनको कोई बिल देते हैं और न ही रसीद. लेकिन हर चीज पर जीएसटी के नाम पर वसूली की जाती है. उनके मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद प्रति एकड़ कम से कम 200 रुपये खर्च बढ़ गया है.

नकली कीटनाशक पंजाब के किसानों की सबसे बड़ी समस्या

पंजाब में धड़ल्ले से बेचे जा रहे नकली कीटनाशक किसानों के लिए मुसीबत बन गए हैं. एक तो यह कीटनाशक कई फसलें खराब कर चुके हैं और दूसरे इनसे फसलों की लागत बढ़ रही है. नकली कीटनाशकों पर भारी भरकम जीएसटी वसूला जा रहा है. अनपढ़  किसानों को इसकी कोई जानकारी नहीं है कि कौन सी वस्तु पर कितना जीएसटी लगता है. पंजाब के किसान चाहते हैं कि वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट में नकली कीटनाशकों की बिक्री पर शिकंजा कसें और किसानों को असली कीटनाशक वाजिब दामों पर उपलब्ध कराया जाए.

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बिचौलिए चट कर जाते हैं खेती का मुनाफा

आजतक ने जब पंजाब और हरियाणा के किसानों से बात की तो पता चला कि उनकी खराब माली हालत का बड़ा कारण बिचौलिए हैं. फसल किसान उगाते हैं, और उसका मुनाफा बिचौलियों की जेब में चला जाता है. बिचौलिए औने-पौने दाम में फसलें खरीदकर खुद कई गुना ऊंचे दामों पर उनको बेचते हैं. बिचौलियों की इस कड़ी के कारण जहां  किसान दिन-प्रतिदिन गरीब हो रहे हैं, वही उसके ग्राहक भी उनके उत्पादों को कई गुना ऊंची कीमतों पर खरीदने के लिए मजबूर होते हैं.

ज्यादातर किसान चाहते हैं कि सरकार कमीशन एजेंटों यानी बिचौलियों पर शिकंजा कसने के लिए उनके उत्पादों को खेतों में आकर ही खरीदने की व्यवस्था करे.  ज्यादा उत्पादन की स्थिति में सरकार मार्किट सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) जैसी योजना की व्यवस्था करे. जिससे उनको खून पसीने से उगाई गई फसल को जमीन पर फेंककर नष्ट न करना पड़े.

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