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बजट से पहले बढ़ी चिंता, अच्छे दिनों के रास्ते में बड़ी रुकावट बनने जा रहा तेल

सर्वे में जहां जीएसटी और नोटबंदी जैसी काम को सराहा गया है. वहीं, कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों  को लेकर आगाह भी किया गया है.

पीएम मोदी पीएम मोदी
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 8:42 AM IST

एक फरवरी को आम बजट पेश होने से पहले सोमवार को संसद में  इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया. सर्वे ने देश की अर्थव्यवस्था की जो तस्वीर दिखाई है, उसके मुताबिक अगले कुछ सालों में भारत एक बार फिर से दुनिया में  सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश साबित हो सकता है. हालांकि सर्वे में जहां जीएसटी और नोटबंदी जैसे काम को सराहा गया है. वहीं, कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों  को लेकर आगाह भी किया गया है.

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आर्थ‍िक सर्वे में कहा गया है कि भारत के लिए आगे का रास्ता इतना आसान नहीं है. सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती हुई तेल की कीमतों की वजह से आने वाली है. इसका सीधा असर महंगाई के स्तर पर पड़ेगा. महंगाई बढ़ी, तो ब्याज दर भी बढ़ेंगी और ऐसे में अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बढ़ जाएगी.

सर्वे ने भारत में तूफानी रफ्तार से बढ़ते हुए स्टॉक मार्केट को लेकर भी आगाह किया है और कहा है कि जिस तरह से स्टॉक मार्केट तमाम चुनौतियों को दरकिनार कर के आगे बढ़ता चला जा रहा है, उससे सतर्क रहने की जरूरत है. सर्वे में कहा गया है कि शेयर मार्केट में अचानक तेज गिरावट हो सकती है और इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है.

संसद में पेश होने के बाद इकोनॉमिक सर्वे को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनने जा रही है. क्योंकि इसके लिए आयात करने के अलावा हमारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है.

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उन्होंने कहा कि पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि कच्चे तेल की कीमत 60-65 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर नहीं जाएगी, लेकिन यह अनुमान गलत साबित हुआ. कहा जा रहा है कि तेल की कीमतें कम से कम 12% तक और बढ़ सकती हैं. अरविंद ने कहा  कि पहले  माना यह जा रहा था कि शेल गैस  की वजह से तेल की कीमतों पर लगाम लगी रहेगी, ले‍कि‍न ऐसा होता नहीं दिख रहा.

उनके मुताबिक शेल गैस अथवा प्राकृतिक गैस के उत्पादन में लगी कंपनियां अब कच्चे तेल का उत्पादन करने वालों से मुकाबला करने के बजाय मुनाफे पर ध्यान दे रही हैं .

पिछले लंबे समय से तेल की कीमतें कम होने की वजह से सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने के लिए धन जुटाने में आसानी हो रही थी लेकिन अब आगे यह काम काफी मुश्क‍िल हो जाएगा.

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि जीएसटी और नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार पर जो ब्रेक लगा था उसका असर अब खत्म हो चुका है. जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स का दायरा काफी बड़ा है और इनकम टैक्स के दायरे में भी 18 लाख नए लोग जुड़े हैं.

इकोनॉमिक सर्वे में सरकार को सलाह दी गई है कि वह कृषि क्षेत्र पर ध्यान दे, एयर इंडिया का विनिवेश करे और जीएसटी से जुड़ी दिक्कतों को पूरी तरह खत्म करने के लिए कदम उठाए.

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