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GST इफेक्ट: इस बार लोकलुभावन बजट पेश कर सकते हैं जेटली

2019 के चुनाव से पहले सरकार के पास अब जनता को खुश करने यानी लोकलुभावन नीतियां लाने का यही अंतिम बड़ा मौका है. वित्त मंत्री को तो इस बार जीएसटी की वजह से सहूलियत भी मिल गई है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त मंत्री अरुण जेटली
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

वित्त मंत्री अरुण जेटली गुरुवार को मौजूदा सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश करेंगे, इसलिए इस बार का बजट पहले के कई बजट से बिल्कुल अलग हो सकता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि 2019 के चुनाव से पहले सरकार के पास अब जनता को खुश करने यानी लोकलुभावन नीतियां लाने का यही अंतिम बड़ा मौका है. वित्त मंत्री को तो इस बार जीएसटी की वजह से सहूलियत भी मिल गई है.

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गौरतलब है कि परंपरा के मुताबिक आम बजट के दो मुख्य हिस्से होते हैं. पहला हिस्से में नई योजनाओं, मौजूदा योजनाओं के लिए अगले वित्त वर्ष के आवंटन तथा दूसरे हिस्से में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर की चर्चा होती है. अगर अप्रत्यक्ष कर की बात करें तो जीएसटी के द्वारा पूरे देश में एकल कर व्यवस्था लागू करने का ऐतिहासिक कदम उठाया जा चुका है, इसलिए 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री जीएसटी के बाहर की पेट्रोलियम और एल्कोहल जैसी कुछ वस्तुओं पर ही कर में फेरबदल या नए कर लगाने का प्रस्ताव रख सकते हैं. सच तो यह है कि टैक्स बेस बढ़ने के बाद इस बार के बजट में वित्त मंत्री के पास प्रत्यक्ष कर ढांचे को तर्कसंगत बनाने का पूरा मौका है.  

बढ़ा टैक्स कलेक्शन

हाल में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था, 'इनकम टैक्स के मामले में आधार बढ़ चुका है. यह आगे और बढ़ेगा. इसलिए अब कुछ खास समूहों पर ज्यादा टैक्स लगाने की परंपरा बदल रही है.' देश का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह इस वित्त वर्ष में 15 जनरवरी तक पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 18.7 फीसदी बढ़ा है.

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लोकसभा चुनाव 2019 की पहली छमाही में होंगे. इसे देखते हुए यह बीजेपी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होगा. अगले साल सरकार पूर्ण बजट की जगह वोट ऑन अकाउंट यानी लेखानुदान पेश करेगी. लेखानुदान इसलिए पेश किया जाता है ताकि जब तक अगला बजट पेश हो और संसद उसे मंजूर करे, उसके पहले सरकार का खर्च चल सके. इसलिए लेखानुदान में कोई नई योजना या करों में बदलाव नहीं पेश किया जाता.

साल 2018 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. इसलिए जानकारों को इस बात की पूरी उम्मीद है कि इस बार का बजट कृषि और ग्रामीण विकास पर फोकस होगा. कृषि वृद्धि दर में गिरावट और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की बढ़ रही दिक्कतों की वजह से ऐसा करना मुनासिब ही होगा. इसलिए यह कहा जाता है कि जीएसटी ने अरुण जेटली को इस साल लोकलुभावन बजट पेश करने का मौका दे दिया है.

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