किसी भी तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी लेते वक्त कुछ ऐसी बातें होती हैं जिसे बिल्कुल नहीं छुपानी चाहिए. इंश्योरेंस ऑनलाइन ले रहे हैं या फिर एजेंट के जरिये, जो सवाल पूछे जाएं, उसका सही जवाब दें. क्योंकि गलत जवाब देकर बाद में पछताना पड़ सकता है.
दरअसल, अगर आपने बीमा लेते वक्त कुछ जरूरी बातें छुपा लीं और फिर क्लेम के दौरान जब बीमा कंपनी को वो बातें पता चलेंगी तो फिर उसे आधार बनाकर क्लेम रिजेक्ट भी कर सकती हैं. खासकर मेडिकल हिस्ट्री की सही जानकारी नहीं मुहैया कराने पर क्लेम खारिज हो सकता है.
1. अगर सिगरेट पीते हैं तो बीमा कंपनी उसके लिए अलग प्रीमियम तय करती है. स्मोकिंग करने वालों को, नहीं पीने वालों के मुकाबले ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता है. यही नहीं अगर बीमाधारक पॉलिसी लेने के बाद भी सिगरेट पीना शुरू करता है तो इसकी जानकारी बीमा कंपनी को देनी चाहिए. अगर बीमाधारक इन बातों को छुपाता है तो फिर क्लेम के वक्त परेशानी हो सकती है, क्लेम रिजेक्ट भी हो सकता है.
2. अगर बीमाधारक को पहले कोई पुरानी गंभीर बीमारी हुई थी, तो इसकी जानकारी बीमा लेते वक्त कंपनी को देनी चाहिए. बीमाधारक की इस जानकारी के आधार पर कंपनी प्रीमियम तय करती है. बीमारी संबंधी जानकारी छुपाने पर क्लेम के वक्त कंपनी एक-एक मेडिकल हिस्ट्री को खंगालती है, उस वक्त झूठ का पता चलने पर क्लेम रिक्वेस्ट खारिज हो सकती है.
3. खासकर रोड एक्सीडेंट के मामले में जब क्लेम किया जाता है तो बीमा कंपनी सबसे पहले इस जांच में जुट जाती है कि बीमाधारक हादसे के वक्त नशे में तो नहीं था. अगर मेडिकल रिपोर्ट में नशे की पुष्टि हो जाती है फिर कंपनी पूर्व दी गई जानकारी के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार करती है, अगर बीमाधारक ने शराब पीने की बात पॉलिसी लेते समय छुपाता है फिर कंपनी क्लेम को खारिज भी कर सकती है, क्योंकि कंपनी पूर्व में दी गई जानकारी को आधार बनाती है.
4. पॉलिसी होल्डर का कोई आपराधिक रिकॉर्ड रहा हो तो बीमा लेते वक्त इसे भी नहीं छुपाना चाहिए. क्योंकि कंपनी को अगर शुरुआत में अपराध को लेकर जानकारी मिल जाती है तो फिर ये तय किया जाता है कि ऐसे लोगों का बीमा मंजूर किया जाए या नहीं. ऐसे में ये जानकारी छुपाने पर इंश्योरेंस कंपनी क्लेम रिजेक्ट भी कर सकती है.