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मनमोहन सिंह, वो राजनेता जिसने बदल दी देश की इकोनॉमी की दशा और दिशा

aajtak.in
  • 26 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:30 PM IST
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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह आज 88 साल के हो गये हैं. इस अवसर पर देश की अर्थव्यवस्था में उनके योगदान की एक बार फिर से चर्चा हो रही है. मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक उदारीकरण और आर्थिक सुधारों का जनक कहा जाता है. साल 1991 में वित्त मंत्री रहने के दौरान उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के नये युग का सूत्रपात किया था. आइए आज उनके जन्मदिन के अवसर पर उनकी उपलब्धियों के बारे में जानते हैं.  

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साल 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार में वह देश के 13वें प्रधानमंत्री बने थे. उन्होंने न सिर्फ अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया, बल्कि साल 2009 से 2014 तक फिर देश के प्रधानमंत्री रहे. 

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इसके तेरह साल पहले कांग्रेस नेता और प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार में वह भारत के वित्त मंत्री बने थे. प्रधानमंत्री रहने के दौरान मनमोहन सिंह ने कई साहसिक फैसले तो लिये ही थे, उनका इससे भी ज्यादा योगदान वित्त मंत्री रहने के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए माना जाता है. उन्होंने 1991 में दशकों से बंद भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने यानी आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की. 

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इस तरह उन्होंने लाइसेंस राज का खात्मा किया और आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया. जब वह वित्त मंत्री बने थे तो देश की हालत बेहद खराब थी. देश को अपना खर्च चलाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था. लेकिन मनमोहन सिंह के वित्त मंत्रालय के कमान संभालते ही हालात बदलने लगे.

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उन्होंने रुपये का अवमूल्यन किया, टैक्स कम किये, विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और विदेशी कारोबार को भारत में आकर्षित किया. इन सबसे अर्थव्यवस्था की गाड़ी काफी तेज चल पड़ी. वह साल 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे. 
 

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यही नहीं, साल 2004 में जब वह देश के प्रधानमंत्री बने तो तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ मिलकर उन्होंने अर्थव्यवस्था की रफ्तार और तेज की. वह दौर भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वर्णकाल माना जाता है. 

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उनके दौर में भारत में जीडीपी ग्रोथ रेट 8 से 9 फीसदी तक पहुंच गई. साल 2007 में भारत ने ऐतिहासिक रूप से 9 फीसदी का जीडीपी ग्रोथ रेट हासिल किया और दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया. 

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साल 2005 में मनमोहन सिंह ने देश के वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) व्यवस्था की शुरुआत की और पुराने जटिल सेल्स टैक्स व्यवस्था को खत्म कर दिया गया. इसी तरह कारोबार, उद्योगों पर टैक्स का बोझ करने के लिए सर्विस टैक्स व्यवस्था की शुरुआत की गई. इससे सरकारी राजस्व को भी नुकसान नहीं हुआ. 

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उनके प्रधानमंत्री रहने के दौरान ही राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (NREGA) जैसी ऐतिहासिक योजना की शुरुआत हुई जिसे अब MNREGA कहा जाता है. उनके कार्यकाल के दौरान ही साल 2006 में देश में स्पेशल इकोनॉमिक जोन की शुरुआत हुई. 

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वह अपने करियर की शुरुआत में विदेश व्यापार विभाग में आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय के सचिव रहे. वह साल 1976 से लेकर 1980 तक भारतीय रिजर्व बैंक के डायरेक्टर और बाद में साल 1982 से लेकर 1985 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे. 

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26 सितंबर 1932 को अविभाजित पंजाब राज्य में जन्मे मनमोहन सिंह ने 1948 में मैट्रिक किया. पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के बाद उन्होंने 1957 में ब्रिटेन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की डिग्री प्रथम श्रेणी में हासिल की. इसके बाद उन्होंने 1962 में Oxford यूनिवर्सिटी से डी.फिल किया. वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैं. उन्हें पद्म विभूषण, इंडियन साइंस कांग्रेस का जवाहर लाल नेहरू जन्म शताब्दी अवॉर्ड, वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवॉर्ड और यूरो मनी अवॉर्ड मिल चुका है. उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं. 

(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित) 

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