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Russia-Ukraine War: रूस बहुत पहले से युद्ध को लेकर था तैयार, ये 5 सबूत!

सुभाष कुमार सुमन
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 1:35 PM IST
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Russia-Ukraine War: कई महीनों की तनातनी के बाद रूस (Russia) ने पिछले सप्ताह यूक्रेन (Ukraine) पर हमला बोल दिया. अब रूस की सेना यूक्रेन में काफी अंदर तक घुस चुकी है. इस हमले पर पूरी दुनिया भर में कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. अमेरिका (US) और उसके सहयोगी देशों ने रूस के ऊपर कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं. यहां तक कि रूस के सेंट्रल बैंक (Russian Central Bank) को भी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है. इसके बाद भी रूस के तेवर कम नहीं हुए हैं और यूक्रेन के ऊपर सैन्य कार्रवाई लगातार जारी है. कुछ आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि रूस इस हमले की लंबे समय से तैयारी कर रहा था. उसे पता था कि हमला करने पर अमेरिका और पश्चिमी देश कैसी प्रतिक्रिया देंगे और वह पहले से ही प्रतिबंधों का असर कम करने की तैयारी करने लगा था. (Reuters)

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इंटेलीजेंस रिपोर्ट: रूसी सेंट्रल बैंक के डेटा पर गौर करने से कई चीजें साफ होती हैं. कुछ साल पहले 2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था, तब भी अमेरिका और पश्चिमी देशों ने उसके ऊपर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे. इससे रूस ने अनुमान लगाकर सारी तैयारियां की. एक हालिया इंटेलीजेंस रिपोर्ट से भी इस बात की पुष्टि होती है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक इंटेलीजेंस रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बारे में चीन को पहले से ही पता था. चीन के सीनियर अधिकारियों ने हमले के बारे में रूस के सीनियर अधिकारियों के साथ चर्चा की थी और विंटर ओलंपिक के समाप्त होने तक हमला टालने का आग्रह किया था. संयोग से रूस ने हमला तब किया, जब विंटर ओलंपिक को समाप्त हुए कुछ ही रोज बीते थे. हालांकि चीन ने संबंधित इंटेलीजेंस रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है. (Getty)

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अमेरिका और उसके सहयोगी देशों में एक्सपोजर घटाना: रूसी सेंट्रल बैंक के आंकड़ों के अनुसार, प्रतिबंधों की आशंका के चलते रूस कई साल पहले से ही अन्य देशों में एक्सपोजर घटाने लगा था. इसके लिए रूसी सेंट्रल बैंक ने बीते कुछ साल के दौरान अन्य देशों में स्थित संपत्तियों को तेजी से कम किया. सेंट्रल बैंक ने इसकी तैयारी 2014 में ही शुरू कर दी थी. रूसी सेंट्रल बैंक का डेटा जून 2021 तक का उपलब्ध है और इस दौरान उसने फ्रांस, अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों में अपना एक्सपोजर 50  फीसदी से ज्यादा कम कर दिया. दूसरी ओर चीन, जापान समेत कुछ अन्य देशों में एक्सपोजर बढ़ाया गया. (Reuters)

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विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve): आर्थिक प्रतिबंधों की स्थिति में प्रभावित देश को सबसे ज्यादा दिक्कत विदेशी मुद्रा की होती है. विदेशी मुद्रा नहीं होने पर संबंधित देश के लिए ग्लोबल ट्रेड मुश्किल हो जाता है. इसे भांपते हुए रूसी सेंट्रल बैंक ने आक्रामक तरीके से विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) को बढ़ाने पर ध्यान दिया. आठ साल पहले जो विदेशी मुद्रा भंडार महज 350 बिलियन डॉलर बचा था, वह अभी 630 बिलियन डॉलर पर पहुंच चुका है. यह रूस के विदेशी मुद्रा भंडार का अब तक का रिकॉर्ड स्तर है. (Reuters)

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गोल्ड रिजर्व (Gold Reserve): संकट की स्थिति में सोना सबसे सुरक्षित इन्वेस्टमेंट माना जाता है. अगर किसी देश का स्वर्ण भंडार विशाल हो तो वह आर्थिक प्रतिबंधों को बहुत हद तक बेअसर कर पाता है. रूसी सेंट्रल बैंक ने इस बात को ध्यान में रखा और आपात स्थिति के लिए पिछले आठ साल के दौरान सोने की खूब खरीद की. अन्य देशों का एक्सपोजर घटाकर फिजिकल गोल्ड खरीदने पर ध्यान दिया गया और रूस में सोने का भंडार जमा किया गया. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, रूस का गोल्ड रिजर्व 2021 में करीब 2,300 टन पर पहुंच चुका था, जो 2014 में 1,000 टन से भी कम था. (Getty)

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चीन-जापान पर भरोसा: विदेशी मुद्रा के मामले में भी रूस ने उन देशों की करेंसी को ऑफलोड किया, जिनसे विरोध की आशंका थी. रूस ने बीते सात-आठ सालों के दौरान अमेरिकी करेंसी डॉलर (USD) और यूरोपीय यूनियन की करेंसी यूरो (Euro) में एक्सपोजर गिराकर 12-14 फीसदी पर ला दिया. इसकी भरपाई चीन की करेंसी युआन (Yuan) और जापान की करेंसी येन (Yen) में एक्सपोजर बढ़ाकर की गई. आठ साल पहले जिस युआन में रूसी एक्सपोजर करीब जीरो था, वह अभी 10 फीसदी से ज्यादा हो चुका है. इसी तरह येन में भी रूस ने तेजी से एक्सपोजर बढ़ाया. हालांकि रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों में जापान भी शामिल है, लेकिन चीन ने ऐसा कुछ करने से साफ इनकार किया है. इस तरह रूस के लिए प्रतिबंधों के बाद भी युआन में ग्लोबल ट्रेड करने का विकल्प खुला हुआ है. (AFP)

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