
मुकेश अंबानी ने बताया कि रिलायंस जियो शुरू करने के पीछे की मुख्य प्रेरणा उनके पिता धीरूभाई अंबानी हैं जो सिर्फ एक हजार रुपये लेकर कुछ सपनों के साथ मुंबई आए थे. उन्होंने बताया कि किस तरह से जियो शुरुआती सफलता के बाद आज भारत का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया है.
गौरतलब है कि एक स्कूल टीचर के बेटे धीरूभाई अंबानी करीब 60 साल पहले महज एक हजार रुपये लेकर मुंबई पहुंचे थे. उन्होंने एक कारोबारी साम्राज्य खड़ा कर दिया. पूर्व नौकरशाह और बीजेपी नेता एन.के. सिंह की पुस्तक 'पोर्ट्रेट ऑफ पावर: हाफ अ सेंचुरी ऑफ बीइंग ऐट रिंगसाइड' के विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए मुकेश अंबानी ने रिलायंस की सफलता की कहानी बताई.
भविष्य के कारोबार में निवेश
उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह से जियो शुरुआती सफलता के बाद आज भारत का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया है. मुकेश ने बताया कि उनके पिता धीरूभाई अंबानी एक स्कूल टीचर के बेटे थे. वह सिर्फ एक हजार रुपये लेकर कुछ सपनों के साथ मुंबई आये थे और यह मानते थे कि जो लोग भविष्य के कारोबार और सही प्रतिभा में निवेश करते हैं, वे अपने सपने को पूरा कर सकते हैं.
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जियो लाने की प्रेरणा
उन्होंने बताया कि उनके पिता हमेशा नई टेक्नोलॉजी अपनाने पर जोर देते थे और इसी वजह से रिलायंस समूह पेट्रोकेमिकल, टेक्सटाइल से आगे बढ़ते हुए टेलीकॉम कारोबार में उतरा और रिलायंस जियो इन्फोकॉम (Jio) का जन्म हुआ.
उन्होंने कहा कि उनके पिता हमेशा इस बात पर जोर देते थे कि भविष्य की नई टेक्नोलॉजी को अपनाना चाहिए. मुकेश अंबानी ने कहा, 'वह हमेशा कहते थे कि मुझे सिर्फ टेक्सटाइल कंपनी तक सीमित नहीं रहना चाहिए. यदि तुम टेक्सटाइल कंपनी से आगे बढ़ना चाहते हो तो भविष्य के कारोबार को अपनाना चाहिए और अगली पीढ़ी की प्रतिभाओं में निवेश करना चाहिए.'
उन्होंने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का टेलीकॉम सेक्टर को लेकर रोडमैप शुरू से स्पष्ट था. उन्होंने कहा, 'हमारा रोडमैप यह था कि कॉलिंग को किसी पोस्टकार्ड से भी सस्ता बनाया जाए. आज यह पूरी तरह से फ्री है. और अब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं, तो यह न सिर्फ लोगों में संवाद कराएगा बल्कि तमाम अनगिनत चीजें भी.'