देश के सबसे बड़े दानवीर अजीम प्रेमजी ने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी है. दिग्गज आईटी कंपनियों में शामिल विप्रो के संस्थापक और एग्जीक्यूटिव चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अजीम प्रेमजी 30 जुलाई 2019 को पद से रिटायर हो जाएंगे.
कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी के मुताबिक अजीम प्रेमजी के रिटायरमेंट के बाद बेटे रिशद प्रेमजी को अगले 5 सालों के लिए पूर्णकालिक निदेशक और एग्जीक्यूटिव चेयरमैन पद पर नियुक्त कर दिया है. यानी बेटे के हाथ कंपनी की कमान होगी. वह 31 जुलाई से पदभार संभालेंगे.
दरअसल 1.76 लाख करोड़ रुपये की मार्केट कैप के साथ विप्रो देश की तीसरी बड़ी आईटी कंपनी है. वहीं फोर्ब्स की सूची में अजीम प्रेमजी विश्व में 38वें स्थान पर हैं. उनकी कुल नेटवर्थ 510 करोड़ रुपये है. साल 2018 में प्रेमजी भारत में दूसरे नंबर पर अरबपति थे, पहले नंबर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी हैं.
इस साल भी आईटी दिग्गज और विप्रो के अध्यक्ष अजीम प्रेमजी ने विप्रो लिमिटेड के 34 फीसदी शेयर दान कर दिए हैं. इन शेयर का बाजार मूल्य 52,750 करोड़ रुपये है. अजीम प्रेमजी के हाथों में कंपनी की लगभग 53 साल तक कमान रही. हालांकि वह नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और फाउंडर चेयरमैन के तौर पर जुड़े रहेंगे.
अपने रिटायरमेंट पर अजीम प्रेमजी का कहना है, 'कंपनी के साथ मेरा सफर बेहद लंबा और संतोषजनक रहा है. अगर भविष्य की बात करें तो अब मैं सक्रिय रूप में समाज सेवा में जुड़ जाऊंगा, इसके लिए हमारे पास कुछ योजनाएं हैं.' इसके साथ अजीम प्रेमजी ने कहा कि उन्हें अपने बेटे रिशद प्रेमजी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है. जो कंपनी को एक नई बुलंदी तक ले जाएंगे.
गौरतलब है कि अजीम प्रेमजी ने छोटी-सी हाइड्रोजनेटिव कुकिंग फैट कंपनी को 8.5 अरब डालर टर्नओवर वाली ग्लोबल कंपनी बना दिया. हालांकि प्रेमजी विप्रो एंटरप्राइजेज लिमिटेड के चेयरमैन और विप्री-जीई हैल्थकेयर के बोर्ड के चेयरमैन बने रहेंगे.
अजीम प्रेमजी को अपने पिता मोहम्मद हासम प्रेमजी से 1966 में वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स नामक कंपनी विरासत में मिली थी. बाद में इसका नाम ही WIPRO पड़ा.
बहुत कम लोगों को पता है कि जब देश का विभाजन हुआ, तब मोहम्मद अली जिन्ना ने मोहम्मद हासम प्रेमजी से कहा था कि तुम ‘पढ़े-लिखे मुसलमान हो, एक मजबूत मुस्लिम राष्ट्र बनाने में मेरी मदद करो. मेरे साथ पाकिस्तान चलो और वहां मनचाहा पद संभालो.’
उस समय अजीम प्रेमजी के पिता को राइस किंग ऑफ बर्मा कहा जाता था. उन्होंने जिन्ना का ये ऑफर ठुकरा दिया और कहा- INDIA IS MY HOME
अजीम प्रेमजी को महादानी कहा जाता है. अब तक वे विप्रो का करीबन आधा हिस्सा दान कर चुके हैं. अपने पिता के नख्शेकदम पर चलते हुए अजीम प्रेमजी इंडिया को ही अपना एकमात्र घर बताते हैं. उनका 1000 अरब रुपए से ज्यादा का बिजनेस 67 देशों में फैला हुआ है लेकिन उनकी जीवनशैली बेहद साधारण है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि वे इकोनॉमी क्लास में सफर करते हैं, हजारों करोड़ दान करने वाले प्रेमजी ने अपने ही एक कर्मचारी से सेकंड हैंड मर्सडीज-बेंज खरीदी. प्रेमजी ने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की थी, यह देशभर में स्कूलों को बेहतर बनाने का काम करता है.
अजीम प्रेमजी का जन्म मुंबई के एक गुजराती मुस्लिम परिवार में 24 जुलाई 1945 को हुआ था. अजीम प्रेमजी कभी देश के सबसे धनी व्यक्ति रह चुके हैं. अमेरिकी बिजनेस पत्रिका फोर्ब्स के मुताबिक वर्ष 1999 से 2005 तक अजीम प्रेमजी भारत के सबसे धनी व्यक्ति रह चुके हैं.
विप्रो के दुनियाभर में एक लाख तीस हजार कर्मचारी हैं और इसकी 54 देशों में शाखाएं हैं. विप्रो का मुख्यालय बेंगलुरु में स्थित है. वर्ष 1966 में प्रेमजी के सिर से पिता एम.एच. प्रेमजी का साया उठने के बाद उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी.
अजीम प्रेमजी के परिवार में पत्नी यास्मिन और दो बच्चे रिशद और तारिक हैं. रिशद विप्रो में ही कार्यरत हैं. अब 31 जुलाई से पदभार संभालने जा रहे हैं.
महज 21 साल की उम्र में उन्होंने पारिवारिक कारोबार अपने हाथों में ले ली. प्रेमजी ने जब कारोबार संभाला उस समय उनकी कंपनी वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट कंपनी हाइड्रोजनेटेड वेजिटेबल आयल बनाती थी.
प्रेमजी की अगुवाई में साबुन तेल बनानी वाली वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल ने विप्रो का रूप लिया और विभिन्न उत्पादों के साथ ही विप्रो ने आईटी क्षेत्र में अपना खास मुकाम बनाया.
सामाजिक कार्यों में सराहनीय योगदान के लिए साल 2005 में भारत सरकार के अजीम प्रेमजी को पद्म भूषण से सम्मानित किया. विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी से जुड़ी एक खास बात है कि वो हवाई जहाज की इकोनॉमी क्लास में सफर करना पसंद करते हैं.
प्रेमजी की संस्था ‘दि अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ गरीब बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने में योगदान देती है. प्रेमजी का मानना है कि गुणवत्ता, लागत और डिलीवरी में अंतरराष्ट्रीय मानकों की उत्कृष्टता के बारे में सोचना चाहिए और जब तक हम उन मानकों से ऊपर ना चले जाएं, विश्राम न करें.
विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन प्रेमजी लग्जरी होटलों की जगह अगर कंपनी का गेस्ट हाउस उपलब्ध हो तो उसी में ठहरना पसंद करते हैं. अजीम प्रेमजी को भारत का बिल गेट्स भी कहा जाता है.