
जियो की तर्ज पर अब एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने उनके नेटवर्क से बाहर जाने वाली कॉल पर रिंग टाइम (घंटी बजने का समय) 30 सेकंड से घटाकर 25 सेकंड कर दिया है. एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की ओर से उठाए गए इस कदम का एक मकसद कॉल जुड़े रहने के समय के मुताबिक उस पर लगने वाले इंटरकनेक्ट यूसेज चार्ज (IUC) की लागत घटाना है.
क्या किया था जियो ने
गौरतलब है कि इसके पहले मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप की कंपनी रिलायंस जियो ने अपने नेटवर्क से जाने वाले आउटगोइंग कॉल का रिंग टाइम 20 से बढ़ाकर 25 सेकंड कर दिया था, लेकिन इससे भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी दूसरी कंपनियों की नाराजगी दूर नहीं हुई, क्योंकि वे कम से कम 30 सेकंड रिंग टाइम रखने की मांग पर अड़ी थीं.
टेलीकॉम कंपनियों ने दी थी चेतावनी
एयरटेल ने हाल में टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) को एक लेटर लिखकर चेतावनी दी थी कि अगर जियो की रिंग टाइम बरकरार रही तो दूसरी टेलीकॉम कंपनियां भी आउटगोइंग कॉल के लिए रिंग समय को घटाकर 20 सेकंड कर सकती हैं. एयरटेल ने ट्राई से अनुरोध किया था कि वह जियो से रिंग टाइम बढ़ाने को कहे.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने इंटरकनेक्ट शुल्क मामले में उसके किसी आधिकारिक निर्णय पर पहुंचने से पहले दूरसंचार कंपनियों से सर्वसम्मति से किसी समाधान पर पहुंचने के लिए कहा था.
इस मसले पर ट्राई की 6 सितंबर की बैठक में चर्चा की गई थी. इस बैठक में एयरटेल, वोडाफोन आइडिया, बीएसएनएल और एमटीएनएल ने किसी कॉल के जवाब के लिए कम से कम 30 सेकंड के रिंग टाइम रखने की बात का समर्थन किया था. हालांकि, जियो ने कहा था कि रिंग टाइम 25 सेकंड का होना चाहिए, जियो का दावा था कि किसी कॉल वाले पक्ष को जवाब देने के लिए 20 सेकंड काफी है और ज्यादा समय रखने का मतलब स्पेक्ट्रम संसाधन की बर्बादी है.
ग्राहकों को हो सकती है असुविधा
जब जियो ने रिंग टाइम घटाई थी तो एयरटेल जैसी दूसरी कंपनियों का तर्क था कि फोन की घंटी बजने की अवधि कम करने से मिस्ड कॉल की संख्या बढ़ेगी. एयरटेल का कहना है कि इससे जियो निर्भर कंपनी को होने वाले आईयूसी भुगतान में कटौती कर सकती है. हालांकि जियो ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि 15-20 सेकंड दुनिया भर में अपनाया जाने वाला मानक है.
इससे किसी व्यक्ति को कॉल लगाने और साथ ही मिस्ड कॉल देखने के बाद वापस कॉल करने की संख्या भी बढ़ेगी. इससे ग्राहकों के अनुभव के साथ-साथ नेटवर्क की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. इससे ग्राहकों को असुविधा हो सकती है.
क्या है आईयूसी?
इंटरकनेक्ट उपयोग शुल्क (आईयूसी) किसी एक नेटवर्क को दूसरे नेटवर्क की ओर से दी जाने वाली सेवाओं पर दिया जाता है. इसमें जिस नेटवर्क से कॉल की जाती है वह कॉल पहुंचाने वाले नेटवर्क को यह शुल्क अदा करता है.