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नोटबंदी: 28 फरवरी तक बैंक में जमा कराना होगा PAN या FORM 16

सरकार ने सभी बैंक खाताधारकों से कहा है कि वह अपने दस्तावेज इस तारीख तक अपने बैंक में जमा करा दें. सरकार ने बेसिक सेविंग खातों और जीरो बैलेंस खातों को, जिसमें जनधन खाते भी शामिल हैं को दस्तावेज जमा करने के इस कानून से अलग रखा है.

अब 40 दिन बैंकों के बाहर लगेगी पैन नंबर और फॉर्म 16 जमा कराने की कतार अब 40 दिन बैंकों के बाहर लगेगी पैन नंबर और फॉर्म 16 जमा कराने की कतार
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 6:51 PM IST

केन्द्र सरकार ने देश के सभी बैंकों से कहा है कि वह 28 फरवरी तक अपने सभी खाताधारकों का परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) प्राप्त कर ले. जिन खाताधारकों के पास PAN नंबर न हो वह 28 फरवरी तक अपना FORM-16 अपने बैंक में जमा करा दें.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सभी बैंक खाताधारकों का PAN या FORM-16 प्राप्त कर लेने के बाद जांच करने में आसानी हो जाएगी कि किन बैंक खातों में 500 और 1000 रुपये की करेंसी में रखा कालाधन जमा किया गया है.

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केन्द्र सरकार ने हाल ही में इनकम टैक्स नियमों में संशोधन करते हुए प्रावधान किया है जिससे 28 फरवरी, 2017 तक सभी बैंकों को अपने ग्राहकों के बैंक खातों को PAN नंबर से जोड़ने के काम को पूरा कर लेना है.

सरकार ने सभी बैंक खाताधारकों से कहा है कि वह अपने दस्तावेज इस तारीख तक अपने बैंक में जमा करा दें. सरकार ने बेसिक सेविंग खातों और जीरो बैलेंस खातों को, जिसमें जनधन खाते भी शामिल हैं को दस्तावेज जमा करने के इस कानून से अलग रखा है.

अगर नहीं है PAN नंबर?
यदि आपके पास PAN नंबर नहीं है तो इनकम टैक्स कानून के मुताबिक आपकी इनकम डेक्लरेशन मान्य नहीं होगी. यदि किसी इनकम डेक्लरेशन में PAN नंबर नहीं है तो उसपर सामान्य से अधिक टैक्स लगाया जाएगा.

क्या है PAN नंबर और फॉर्म 16?
परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा दिया गया 10 डिजिट का अल्फान्यूमरिक कार्ड है. एक प्लास्टिक कार्ड के रूप में आप अपना PAN नंबर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से प्राप्त कर सकते हैं. वहीं आपके पास पैन नंबर नहीं है तो आप अपनी इनकम को घोषित करने के लिए फॉर्म-16 की मदद से सकते हैं. फॉर्म 16 आपको सैलरी देने वाली कंपनी जारी करती है. इस फॉर्म में वह आपको दी गई सैलरी के साथ टैक्स (टीडीएस) का विवरण देता है.

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गौरतलब है कि नोटबंदी से पहले भी देश में कालेधन को छिपाने के लिए ग्रामीण इलाकों में खेती की जमीन के खरीद-फरोख्त का मायाजाल चलता था. नोटबंदी लागू होने के बाद एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में जनधन खातों का गलत इस्तेमाल का मामला सामने आ चुका है.

 

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