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बजट 2018: इन क्षेत्रों में छोटे और मझोले कारोबार को बढ़ावा देने की मांग

सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया है कि धातु और खनन क्षेत्र के 43 प्रतिशत लघु एवं मझोले उद्यमों ने कहा कि सरकर को लाभ से जुड़़े प्रोत्साहनों का विस्तार कर इसमें पूंजी गहन उद्योगों को भी शामिल करना चाहिए. हालांकि, 88 प्रतिशत की राय थी कि सरकार संरक्षणवादी रुख अपनाते हुए घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देगी.

इन सेक्टर्स की बजट से उम्मीद इन सेक्टर्स की बजट से उम्मीद
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:17 AM IST

आम बजट से पहले परिवहन क्षेत्र के 87.5 प्रतिशत लघु एवं मझोले उपक्रमों (एसएमई) ने क्षेत्र के लिए और अधिक परियोजनाओं की घोषणा की उम्मीद जताई है. डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के एक सर्वे में यह जानकारी दी गई है. सर्वे में कहा गया है कि खुदरा और ई-कामर्स क्षेत्र के 54 प्रतिशत एसएमई राष्ट्रीय खुदरा नीति चाहते हैं.

सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया है कि धातु और खनन क्षेत्र के 43 प्रतिशत लघु एवं मझोले उद्यमों ने कहा कि सरकर को लाभ से जुड़़े प्रोत्साहनों का विस्तार कर इसमें पूंजी गहन उद्योगों को भी शामिल करना चाहिए. हालांकि, 88 प्रतिशत की राय थी कि सरकार संरक्षणवादी रुख अपनाते हुए घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देगी.

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सर्वे के अनुसार वाहन क्षेत्र से जुड़े 56 प्रतिशत एसएमई ने सहायक या छोटे मोटे उपकरणों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती का सुझाव दिया है. भारतीय वाहन कलपुर्जा विनिर्माता संघ (एक्मा) ने भी यह सुझाव दिया है. वहीं 88 प्रतिशत की राय थी कि सरकार को भारत चरण छह को अपनाने के लिए प्रोत्साहन देने वाले कदम उठाने चाहिए.

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रसायन और फार्मा क्षेत्र के 50 प्रतिशत लघु एवं मझोले उद्यमों ने कहा कि सरकार को बजट में शोध एवं विकास के लिए भारित कटौती प्रावधान को बदलकर इसे 200 प्रतिशत करना चाहिए. सर्वे के अनुसार खुदरा और ई-कामर्स क्षेत्र के 52 प्रतिशत लोगों ने खुदरा और एफएमसीजी क्षेत्र के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार की वकालत की.

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परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के 88 प्रतिशत लोगों का कहना था कि लॉजिस्टिक पार्कों की स्थापना की जानी चाहिए. सर्वे में कहा गया है कि 91 प्रतिशत एसएमई ने प्रोत्साहन देने वाली सरकार की नीतियों और योजनाओं के जरिये प्रौद्योगिकी को अपनाने पर जोर दिया.

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