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बैंकों से 1955 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप, CBI ने की Educomp के खिलाफ कार्रवाई

CBI  ने 1,955 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में आठ स्थानों पर छापेमारी की है. एडुकॉम्प सॉल्यूशंस, उसकी सहयोगी कंपनी और निदेशकों पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. 

CBI ने Educomp के खिलाफ की कार्रवाई (प्रतीकात्मक तस्वीर) CBI ने Educomp के खिलाफ की कार्रवाई (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST

  • एडुकॉम्प के ख‍िलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज
  • बैंकों से 1955 करोड़ रुपये के फ्रॉड का मामला
  • देश में 8 स्थानों पर सीबीआई ने मारा छापा

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एडुकॉम्प सॉल्यूशंस, उसकी सहयोगी कंपनी और निदेशकों पर करीब 1,955 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. कंपनी ने कथित रूप से भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले 13 बैंकों के गठजोड़ से यह धोखाधड़ी की है.

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 सीबीआई अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि सीबीआई ने आठ स्थानों पर छापेमारी भी की है. जांच एजेंसी ने एडुकॉम्प सॉल्यूशंस लिमिटेड, उसके प्रबंध निदेशक शांतनु प्रकाश, गारंटर जगदीश प्रकाश, उसकी सहयोगी कंपनी एडु स्मार्ट सर्विसेज प्राइवेट लि. और निदेशकों विजय कुमार चौधरी और विनोद कुमार दन्डोना के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज कर दिल्ली, देहरादून और गुरुग्राम में एडुकॉम्प सॉल्यूशंस, एडु स्मार्ट और उसके निदेशकों के आठ परिसरों पर छापेमारी की है. अधिकारियों ने बताया कि कंपनी के खाते को 2016 में गैर निष्पादित परिसंत्त‍ियां  (एनपीए) घोषित किया गया था. 

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कैसे किया धोखाधड़ी

13 बैंकों के गठजोड़ में से सात ने इसके बारे में श‍िकायत की थी. एडुकॉम्प सॉल्यूशंस (ESL) की स्थापना 1994 में हुई थी. कंपनी स्कूलों के लिए डिजिटल एजुकेशनल कॉन्टेंट तैयार करती है और 'स्मार्टक्लास' तथा 'एडुरिच' के नाम से वोकेशनल कोर्स चलाती है. कंपनी ने यह कॉन्टेंट मुहैया करने के लिए अपनी सबसिडियरी एडु स्मार्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (ESPL) और स्कूलों के साथ त्रिपक्षीय समझौते किए थे.'स्मार्टक्लास' कारोबार के तहत ESPL को ईएसएल हार्डवेयर और डिजिटल कॉन्टेंट बेचती थी.

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इसके बाद ESPL इसे स्कूलों को बेचती थी. पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट पीरियड के साथ हर तिमाही यह बिक्री दिखाई जाती थी. कथ‍ित रूप से इस कॉन्ट्रैक्ट से होने वाली आमदनी को दिखाकर कंपनी ने बैंकों के कंसोर्टियम से टर्म लोन लिया. इस लोन के द्वारा कंपनी अपने पुराने कर्जदाताओं (जो कि ईएसएल थी) का कर्ज चुकाना था. लेकिन बाद में ESL ने 'स्मार्टक्लास' को ESPL के द्वारा बेचने का कारोबार बंद कर दिया और खुद ही सीधे स्कूलों को इसे बेचने लगी.

बैंकों ने ESPL के कर्जों के ढांचे में बदलाव किया, कंपनी का टर्म लोन एकाउंट बंद कर दिया और जो भी लायबिलिटीज थी उसे ईएसएल को ट्रांसफर कर दिया. ईएसएल को नए टर्म लोन दिए गए और ईएसपीएल की भविष्य की देनदारी भी इसे ट्रांसफर कर दी गई. लेकिन नए नियमों और शर्तों को पूरा न करने की वजह से ईएसएल के लोन साल 2016 में एनपीए में बदल गए.

क्या है आरोप

आरोप के मुताबिक ईएसएल और ईएसपीएल के डायरेक्टर ने मिलकर स्कूलों के साथ फर्जी त्रिपक्षीय समझौते कायम किए और बैंकों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे ऐसे कॉन्ट्रैक्ट पर लोन दें, जिन्हें या तो लागू नहीं किया गया, या कैंसिल कर दिया गया था या पहले ही बंद कर दिया गया था.  

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