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टाटा ग्रुप का पलटवार, कहा- भरोसा कायम नहीं रख पाए साइरस मिस्त्री

टाटा ग्रुप से चेयरमैन साइरस मिस्त्री को हटाने के बाद शुरू हुई बवाल थमता हुआ नजर नहीं आ रहा. पहले साइरस मिस्त्री ने ईमेल भेजकर कंपनी पर कई आरोप लगाए और फैसलों के पीछे दखलअंदाजी का आरोप लगाकर अरबों के घाटे की आशंका जताई.

रतन टाटा टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन
संदीप कुमार सिंह
  • मुंबई,
  • 27 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 8:45 AM IST

टाटा ग्रुप से चेयरमैन साइरस मिस्त्री को हटाने के बाद शुरू हुई बवाल थमता हुआ नजर नहीं आ रहा. पहले साइरस मिस्त्री ने ईमेल भेजकर कंपनी पर कई आरोप लगाए और फैसलों के पीछे दखलअंदाजी का आरोप लगाकर अरबों के घाटे की आशंका जताई. इसके बाद गुरुवार को टाटा सन्स ने अपनी सफाई पेश की और साइरस मिस्त्री पर ताबड़तोड़ आरोप लगा दिए.

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काम की थी पूरी आजादी
टाटा ग्रुप की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि साइरस मिस्त्री ने फैसलों में और काम करने में आजादी नहीं होने की जो बात कही है सरासर गलत है और उन्हें काम करने और कंपनी के हित में फैसले लेने की पूरी छूट थी. हालांकि, टाटा ग्रुप की अपनी एक संस्कृति है और पिछले चेयरमैन के कार्यकाल में हमारी परंपराओं और संस्कृति को लेकर काफी उथल-पुथल देखने को मिला.

गोपनीय जानकारी सार्वजनिक क्यों की
टाट ग्रुप की ओर से कहा गया है कि साइरस मिस्त्री ने एक गोपनीय पत्र को सार्वजनिक किया. ये गरिमापूर्ण तरीका नहीं था. इस पत्राचार में टाटा समूह के कारोबार को लेकर आधारहीन तथ्य रखे गए हैं. इसके साथ ही टाटा सन्स बोर्ड, समूह की कई कंपनियों और सम्मानित लोगों के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं.

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हटाए जाने के बाद लगाए आरोप
टाटा ग्रुप ने कहा है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद बिजनेस को लेकर हुए कई फैसलों को लेकर आरोप लगाए गए हैं. जब भी इन फैसलों को लेकर रिकॉर्ड सामने आएंगे तब सारी बातें साफ हो जाएंगी. ऐसी कोशिशें की जा रही हैं कि लोगों और कंपनी बोर्ड पर कॉरपोरेट गवर्नेंस नियमों के उल्लंघन से जुड़े झूठे आरोप लगाए जाएं लेकिन ये तब भी जारी थे जब पूर्व चेयरमैन जिम्मेदारी संभाल रहे थे.

'भरोसा बनाए रखने में नाकामयाब रहे'
टाटा ग्रुप ने कहा है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि मि. मिस्त्री बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का भरोसा बनाए रखने में कई कारणों से विफल रहे. बिजनेस के कई मुद्दों पर टाटा सन्स बोर्ड की ओर से लगातार चिंता जताई गई. इसके अलावा टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टियों ने भी बढ़ते अविश्वास के मामले को लगातार उठाया लेकिन मि. मिस्त्री इनका समाधान करने में सफल नहीं रहे. इसके बाद टाटा सन्स बोर्ड ने सामूहिक रूप से एक फैसला लिया अपने चेयरमैन को बदलने को लेकर. ये फैसला पूरी प्रक्रिया के अनुरूप लिया गया.

सही मंच पर रखे जाएंगे रिकॉर्ड्स
टाटा समूह के बयान में कहा गया है कि इस बात को किसी भी तरीके से भुलाया नहीं जा सकता कि मि. मिस्त्री ने कर्मचारियों की निगाह में समूह की छवि को खराब करने की कोशिश की. एक व्यक्ति के नजरिए को सही साबित करने के लिए गोपनीय बातों को सार्वजनिक किया गया. कंपनी के रिकॉर्ड्स ये दिखाते हैं कि मि. मिस्त्री के आरोप बेबुनियाद हैं और जब भी जरूरत होगी सही मंच पर इन रिकॉर्ड्स को रखा जाएगा.

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