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नमक से नैनो तक टाटा का सफर, भारतीयों की रग-रग में बसे हैं रतन

टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री की बर्खास्तगी की खबर केवल उद्योग जगत ही नहीं, बल्कि देश के सभी तबके के लिए हैरानी का पैगाम लेकर आई.

रतन टाटा रतन टाटा

टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री की बर्खास्तगी की खबर केवल उद्योग जगत ही नहीं, बल्कि देश के सभी तबके के लिए हैरानी का पैगाम लेकर आई. एक वजह यह थी कि साइरस टाटा ग्रुप के सबसे युवा चेयरमैन थे और उनकी नियुक्ति अगले 30 वर्षों के लिए की गई थी. दूसरी वजह यह कि जो टाटा ग्रुप अपने कर्मचारियों की नौकरी की गारंटी के लिए देश भर में मिसाल था, उसी कंपनी के चेयरमैन को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

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देश का सबसे बड़ा उद्योग समूह टाटा ग्रुप 148 साल के अपने इतिहास में पहली बार बड़े विवाद में फंसा है. चेयरमैन के पद से हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा और कंपनी के दूसरे लोगों पर आरोपों की झड़ी लगा दी है. चार साल पहले जब रतन टाटा ने अपनी विरासत साइरस मिस्त्री को सौंपी थी तो उनसे बहुत उम्मीदें थीं. लेकिन साइरस केवल मुनाफे वाले बिजनेस पर ध्यान दे रहे थे और नॉन-प्रॉफिट बिजनेस बेचने लगे थे. इसमें यूरोप का स्टील बिजनेस भी है, जिसे रतन टाटा ने ही खरीदा था.

टाटा ग्रुप की 85 देशों में 100 से ज्यादा कंपनियां हैं. ग्रुप का 70 फीसदी बिजनेस विदेश से आता है. दूसरी ओर, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के मार्केट कैप में टाटा की हिस्सेदारी 7.5 फीसदी है. इसमें 4.78 लाख करोड़ की टीसीएस, 1.61 लाख करोड़ की टाटा मोटर्स, 41 हजार करोड़ की टाटा स्टील, 33 हजार करोड़ की टाइटन, 22 हजार करोड़ की टाटा पावर शामिल हैं. टाटा ग्रुप की कंपनियों में अभी 41 लाख शेयरधारक हैं. टाटा ग्रुप में 7 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं.

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कंपनी में शापूरजी पालोनजी का 18.5 फीसदी हिस्सा है. मिस्त्री पालोनजी के ही बेटे हैं. पर कंपनी का सबसे ज्यादा 66% शेयर टाटा ट्रस्ट के पास है. इसके प्रमुख रतन हैं. कहा जा रहा है कि 6 महीने से रतन से मिस्त्री के मतभेद बढ़ रहे थे. रतन टाटा अगर मिस्त्री के काम करने की शैली से दुखी थे तो इसकी वाजिब वजह भी है. रतन टाटा को कंपनी विरासत में मिली है. पिछले 50 सालों से टाटा समूह से जुड़े रतन टाटा 21 सालों तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे. जमशेदजी टाटा की इस कंपनी को उनके परिवार की आने वाली पीढ़ियों ने आगे बढ़ाया. मिस्त्री टाटा परिवार से नहीं थे. रतन टाटा को लगने लगा था कि मिस्त्री के काम करने के तरीके से कंपनी की परंपरा और इमेज का नुकसान हो रहा है.

टाटा समूह का मकसद समझदारी, जिम्मेदारी, एकता और बेहतरीन काम से समाज में जीवन के स्तर को उंचा उठाना है. टाटा समूह के नाम से जाने जाने वाले इस परिवार का हर सदस्य इन मूल्यों का अनुसरण करता रहा है. चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या विज्ञान या तकनीक का क्षेत्र, टाटा का योगदान अहम है. करीब हर भारतीय इस बात का सम्मान भी करता है. यही वजह है कि टाटा का नाम आज देशभर की जुबान पर है.

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आम आदमी के लिए नैनो

साल 2008 में टाटा ने दुनिया की सबसे सस्ती और किफायती कार पेश की. आम आदमी के लिए एक लाख रुपये की कार लाने का सपना रतन टाटा ने 1997 में देखा था. शुरू में तो जानकारों ने रतन टाटा के इस आइडिया को खारिज करते हुए कहा था कि इतने कम पैसों में कार बनाना नामुमकिन है. लेकिन रतन ने इसे मुमकिन कर दिखाया और वो भी ऐसे दौर में जब दुनियाभर में महंगाई बेतहाशा ढंग से बढ़ी. इनके अलावा टाटा मोटर्स के अधीन तमाम प्रोडक्ट ऐसे हैं जो काफी मशहूर हैं.

देश का नमक

देश में पहली बार नमक बनाने का काम 1927 में गुजरात के ओखा में शुरू किया गया था. जेआरडी टाटा ने 1938 में ओखा साल्ट वर्क्स को खरीद लिया. और इसी के साथ टाटा केमिकल्स की शुरुआत हुई. 1984 में टाटा नमक ने भारत का पहला आयोडीन युक्त नमक लॉन्च किया. किचन में इस्तेमाल होने वाले नमक के आजकल तमाम ब्रांड आ गए हैं लेकिन अभी तक सबसे मशहूर टाटा का नमक ही रहा है. टाटा नमक की पंचलाइन है- देश का नमक. टाटा नमक स्वाद से कहीं आगे जाकर स्वास्थ्य के मामलों जैसे आयोडीन और आयरन की कमी और नमक से जुड़े ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है.

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शहर का नाम ही बदल गया

टाटा का नाम चाय में टाटा चाय और घड़ियों में टाइटन से जुड़ा है. सूचना और संचार के क्षेत्र में भी टाटा का नाम टीसीएस जैसी तमाम कंपनियों से जुड़ा है. इसके अलावा सॉफ्टवेयर बनाने वाली भी कई ऐसी कंपनियां हैं जो टाटा का हिस्सा हैं. 1917 में टाटा ऑयल मिल्स की स्थापना के साथ ही समूह ने घरेलू वस्तुओं के क्षेत्र में कदम रखा और साबुन, कपड़े धोने के साबुन, डिटर्जेंट्स, खाना पकाने के तेल आदि का निर्माण शुरू किया. 1932 में टाटा एयरलाइंस की शुरुआत हुई. झारखंड के जमशेदपुर में कंपनी का प्लांट क्या बना इस शहर का नाम ही बदल गया और लोग इसे 'टाटा' कह कर पुकारने लगे.

60 फीसदी रोगियों का फ्री इलाज

टाटा ने कई सरकारी संस्थानों और कंपनियों की शुरुआत भी की. इनमें भारतीय विज्ञान संस्थान, टाटा मूलभूत अनुसंधान केंद्र, टाटा समाज विज्ञान संस्थान और टाटा ऊर्जा अनुसंधान संस्थान. देश में पहली बार अपने कर्मचारियों के लिए आठ घंटे की शिफ्ट तय करने वाली कंपनी तमाम तरह के सामाजिक कार्य भी करती है. टाटा मेमोरियल सेंटर कैंसर पर रिसर्च और उसके इलाज का एक संपूर्ण केंद्र है. यहां इलाज के लिए आने वाले 60 फीसदी रोगियों का निःशुल्क उपचार किया जाता है.

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दुनिया में भी मशहूर

हो सकता है कि दुनिया में अधिकांश लोगों ने टाटा स्टील का नाम न सुना हो, लेकिन संभावना है कि उन्होंने कभी टाटा की ‘टेटली चाय’ की चुस्कियां ली हों या फिर फोन कॉल के लिए समुद्र के नीचे बिछे फाइबर ऑप्टिक केबल का इस्तेमाल किया हो. या फिर कभी टाटा समूह के होटलों में आराम फरमाया हो. टाटा की बसें और ट्रक तो एशिया और अफ्रीका के तमाम देशों की सड़कों पर फर्राटे से चलते हुए नजर आ जाएंगे. टाटा ने निशान मोटर्स को खरीदकर अफ्रीका में अपनी बसों और ट्रकों की बिक्री का मजबूत आधार तैयार किया.

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