
जीएसटी परिषद की तरफ से 21 जुलाई को जीएसटी रेट में कटौती की गई है. 85 से ज्यादा उत्पादों में हुई इस कटौती का फायदा भले ही ग्राहकों को मिल रहा है, लेकिन इससे सरकार की जेब पर बोझ बढ़ जाएगा. वैश्विक वित्तीय संस्था का कहना है कि इस रेट कट से सरकार का राजस्व घटेगा. इसकी वजह से राजस्व समेकन का गणित भी बिगड़ेगा.
मूडीज ने अपने बयान में कहा कि हाल में जीएसटी परिषद की तरफ से जो रेट में कटौती की गई है. इससे नुकसान हर साल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 0.04 फीसदी से 0.08 फीसदी तक रहने का अनुमान है. भले ही राजस्व में होने वाली हानि छोटी है. लेकिन इससे सरकार के बढ़ते खर्च के बीच राजस्व के प्रति अनश्चितता का माहौल तैयार होता है.
मूडीज ने कहा कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में सकल कर राजस्व वृद्धि में 16.7 फीसदी का बजटीय अनुमान रखा था. यह वित्त वर्ष मार्च, 2019 में खत्म होगा. इस दौरान सरकार के इस लक्ष्य को हासिल करने की खातिर जीएसटी कलेक्शन काफी अहम भूमिका निभाएगा.
वैश्विक वित्तीय संस्था ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि मध्य अवधि में जीएसटी से हासिल होने वाला राजस्व जीडीपी का 1.5 फीसदी हो जाएगा. जीएसटी के शुरुआती अवरोधों के बावजूद जीएसटी कलेक्शन दिसंबर 2017 के बाद से बढ़ा है. लेकिन जीएसटी परिषद की तरफ से रेट में की जा रही यह कटौती साल के 7.4 लाख करोड़ के लक्ष्य तक पहुंचने की राह मुश्किल पैदा करेगी.
अनुमान के मुताबिक जीएसटी रेट में की गई कटौती की वजह से सरकार को 8 हजार करोड़ से 10 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है. हालांकि सरकार को उम्मीद है कि डिमांड बढ़ने से राजस्व बढ़ेगा और यह नुकसान कम होगा.