
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के द्वारा कई तरह के काम कराए जाने के बाद गरीब घरों की आय में 11 फीसदी और खेतों में 32 फीसदी उत्पादकता बढ़ी है. इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ (आईइजी) के एक अध्ययन में यह जानकारी मिली है. इस अध्ययन के लिए 29 राज्यों के 30 जिलों के 1160 ग्रामीण परिवारों को चयनित किया गया है.
अनाज और सब्जी के उत्पादन में वृद्धि
आईइजी के अध्ययन के अनुसार, इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अनाज के उत्पादन में 11.5 फीसदी और सब्जी के उत्पादन में 32.3 फीसदी की वृद्धि हुई है.
155 तरह के कराए जाते हैं कार्य
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में रोजगार सुनिश्चित करने और इन इलाकों में ढांचागत सुविधाएं बढ़ाने के लिए 155 तरह के कार्य कराए जाते हैं. इस योजना के धन का बड़ा हिस्सा जल संरक्षण कार्यों में खर्च किया जाता है.
बता दें कि जहां एक तरफ मनरेगा से ग्रामीण लोगों की आय और उत्पादकता में वृद्धि हुई है वहीं राजस्थान के आंकड़ों को देखें तो ये मनरेगा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण बेरोजगारी गारंटी योजना नजर आएगी.
महज 13 हजार लोगों को मिला रोजगार
हाल ही में मनरेगा के तहत राज्य में महज 13 हजार लोगों को 100 दिन का रोजगार मिला है. जबकि जब से ये योजना लागू हुई है तब से कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि ढाई लाख से कम लोगों को 100 दिन का रोजगार मिले. आज तक संवाददाता ने गांवों में जाकर हालात का जायजा लिया तो समस्या आंकड़ों में कहीं ज्यादा दिखाई दी.
जयपुर जिले के निमेड़ा गांव में 6 महीने बाद मनरेगा के तहत 12 लाख का काम मांगा था, लेकिन सिर्फ सात लाख रुपये का काम आया. गांव में मनरेगा के तहत 400 बेरोजगार लोगों का जॉब कार्ड बना हुआ है. 200 रुपये की मजदूर के हिसाब से 50 मजदूरों को एक दिन काम पर रखने के हिसाब से दो महीने का काम है और फिर बेरोजगार.