
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से कहा कि नोटबंदी के बाद बैंकों में बड़ी मात्रा में धन पहुंचा है जिसके बाद बैंक अपनी ब्याज दरें कम कर रहे हैं. लोगों के लिए कर्ज लेना सस्ता हुआ है. स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि नोटबंदी के कारण बैंकों के पास धन आया है इसलिए बैंक अपनी ब्याज दर कम कर रहे हैं.
मोदी ने नोटबंदी को लेकर क्या कहा?
नोटबंदी पर सरकार की सफलता का आंकड़ा पेश करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि बीते तीन साल के दौरान कालेधन पर लगाम लगाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए 800 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति की धरपकड़ की गई है. कालेधन पर लगाम और नोटबंदी के आंकड़ों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि 3 लाख करोड़ रुपये जो बैंकिंग व्यवस्था से पूरी तरह बाहर था, वापस आ चुका है. इसमें से लगभग 2.25 लाख करोड़ रुपये का कालाधन संभावित है जिसकी जांच की जा रही है.
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पीएम ने यह भी कहा कि नोटबंदी लागू होने के बाद से अर्थव्यवस्था में नए कालेधन के सृजन को रोकने में भी बड़ी सफलता दर्ज की गई है.1 अप्रैल से 5 अगस्त 2017 तक इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 56 लाख पहुंच गई. यह संख्या एक साल पहले वित्त वर्ष के लिए महज 22 लाख थी.
हालांकि हाल में रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी के दौरान 1.6-1.7 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कैश बैंकिंग व्यवस्था में वापस आया है. गौरतलब है कि इस आंकड़े का भी रिजर्व बैंक ने सिर्फ जिक्र किया है और यह बतौर रिसर्च पेपर उसकी वेबसाइट पर दिया गया है.
क्या हैं रिजर्व बैंक के आंकड़े?
वहीं रिजर्व बैंक के एक अन्य अनुमानित आंकड़े के मुताबिक नोटबंदी के बाद 2.8 से 4.3 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त जमा बैंकों में हुआ है. इन आंकड़ो का जिक्र करते हुए अगस्त के पहले हफ्ते में केन्द्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कटौती करते वक्त किया. रिजर्व बैंक के मुताबिक नोटबंदी के दौरान लगभग 1.6-1,7 लाख करोड़ रुपये का संभावित कालाधन बैंक खातों में जमा हुआ है.
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दोनों आंकड़ों में मेल नहीं!
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले से दिए गए नोटबंदी आंकड़े आरबीआई द्वारा दिए गए आंकड़ों से भी मेल नहीं खाते. क्या प्रधानमंत्री ने अपने आंकड़ों में नोटबंदी के पहले कालेधन के खिलाफ लाई गई एमनेस्टी स्कीम की रकम को भी जोड़ दिया है या फिर वाकई देश के प्रधानमंत्री को नोटंबदी के विषय में देश के केन्द्रीय बैंक से ज्यादा मालूम है. बहरहाल, आंकड़ों की हकीकत कुछ भी हो, इतना साफ है कि 9 महीने पहले हुई नोटबंदी को अब समझना और भी मुश्किल हो गया है.