Advertisement

नीरव-मेहुल की तरह हुआ वीडियोकॉन-ICICI लोन गेम? नहीं मिले इन सवालों के जवाब

विदेशी ब्रांच द्वारा लोन देने और शेल कंपनियों के द्वारा रकम ट्रांसफर का खेल कुछ उसी तरह का है जैसा पीएनबी घोटाले में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने किया था. इस मामले में कई महत्वपूर्ण सवालों का जवाब मिलना बाकी है.

वेणुगोपाल धूत, चंदा कोचर और दीपक कोचर वेणुगोपाल धूत, चंदा कोचर और दीपक कोचर
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 30 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 12:26 PM IST

वीडियोकॉन समूह को करीब 4 हजार करोड़ लोन देने के मामले में वेणुगोपाल धूत और दीपक कोचर की कंपनियों के बीच सौदेबाजी, विदेशी ब्रांच द्वारा लोन देने और शेल कंपनियों के द्वारा रकम ट्रांसफर का खेल कुछ उसी तरह का है जैसा पीएनबी घोटाले में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने किया था. इस मामले में कई महत्वपूर्ण सवालों का जवाब मिलना बाकी है.

Advertisement

शेयरों के ट्रांसफर का चकरा देने वाला तिकड़म

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को दी गई जानकारी के मुताबिक आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और धूत ने मिलकर दिसंबर 2008 में एक संयुक्त उद्यम नूपावर रीन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) बनाया था. इस कंपनी में धूत परिवार की 50 फीसदी साझेदारी थी और बाकी शेयर दीपक कोचर और उनके परिवार के स्वामित्व वाले पैसिफिक कैपिटल के थे. एक साल बाद ही जनवरी 2009 में धूत ने NRPL के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया और अपने करीब 25,000 शेयर दीपक कोचर को हस्तांतरित कर दिए.

इसके अलावा मार्च 2010 में धूत के स्वामित्व वाली एक कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड ने NRPL को 64 करोड़ रुपये का सेक्योर्ड लोन दिया. लेकिन फिर मार्च 2010 तक सुप्रीम एनर्जी ने NRPL का बहुल स्वामित्व अपने हाथ में ले लिया और दीपक कोचर के पास सिर्फ 5 फीसदी स्वामित्व बचा. खेल यहीं खत्म नहीं होता, इसके करीब आठ महीने बाद धूत ने सुप्रीम एनर्जी की अपनी पूरी हिस्सेदारी अपने एक सहयोगी महेश चंद्र पंगलिया को ट्रांसफर कर दी. फिर इसके करीब दो साल बाद पंगलिया ने कंपनी की अपनी पूरी हिस्सेदारी सिर्फ 9 लाख रुपये में दीपक कोचर की कंपनी पिनाकल एनर्जी को ट्रांसफर कर दी.

Advertisement

इन सवालों के जवाब मिलने बाकी

धूत और दीपक कोचर की कारोबारी साझेदारी और एक डूबती कंपनी को ICICI द्वारा दिए गए कर्ज को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं. इसम मामले में शि‍कायत करने वाले वीडियोकॉन के इन्वेस्टर अरविंद गुप्ता ने इंडिया टुडे को बताया, 'हम यह जानना चाहते हैं कि दीपक कोचर और धूत ने संयुक्त उद्यम क्यों बनाया और धूत इससे बाहर क्यों हुए. हम यह जानना चाहते हैं कि मॉरीशस की कंपनी डीएच रीन्यूएबल्स के पीछे असल में कौन लोग हैं.'

गुप्ता के संदेह का कारण NRPL को उसी समय विदेशी फंड का बहुतायत में मिलना  है, जब ICICI बैंक ने धूत की कंपनी को लोन दिए थे. बैंक ने वीडियोकोन ग्रुप को करीब 4000 करोड़ रुपए के लोन 2010 से 2012 के बीच दिए और डीएच रीन्यूएबल्स ने इसी दौर में 325 करोड़ और 66 करोड़ रुपए NRPL में डाले.

जब आईसीआईसीआई बैंक जब वीडियोकॉन समूह को लोन दे रहा था, तो उसी समय दीपक कोचर की कंपनी में बाहर से इतना पैसा क्यों आ रहा था?

कहानी यहीं खत्म नहीं होती, ICICI बैंक ने वीडियोकोन समूह की पांच कंपनियों को अप्रैल 2012 में 3250 करोड़ के लोन दिए थे, इसके तत्काल बाद केमेन आईलैंड्स की एक शेल कंपनी (शायद वीडियोकॉन समूह से ही जुड़ी) को 660 करोड़ रुपए का लोन दिया गया.

Advertisement

दीपक कोचर और धूत अनियमितता से चाहे जितना इंकार करें, लेकिन कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाए हैं. वीडियोकॉन ने आईसीआईसीआई को लोन के बदले क्या गारंटी दी? बैंक ने जब लोन मंजूर किया तो कंपनी का क्रेडिट स्कोर क्या था? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या चंदा कोचर ने बैंक बोर्ड को अपने पति के साथ धूत के कारोबारी रिश्तों की जानकारी दी थी?

वीडियोकॉन समूह ने ये लोन अपनी पांच सब्सिडियरी कंपनियों के खाते में ICICI की कनाडा और यूके की शाखाओं से हासिल किए. चंदा कोचर ICICI बैंक कनाडा और यूके की वाइस चेयरपर्सन हैं.

साल 2010 और 2012 के बीच नूपावर रीन्यूएबल्स ने मारीशस की कंपनी फर्स्टहैंड होल्डिंग से 325 करोड़ रुपये (जो 3250 करोड़ का 10 फीसदी होता है) की फंडिंग हासिल की, बाद में मारीशस की इस कंपनी का नाम बदलकर डीएच रीन्यूएबल्स होल्ड‍िंग्स कर दिया गया.

साल 2014 में मॉरीशस की डीएच रीन्यूएबल्स होल्ड‍िंग्स ने फिर नूपावर को 66 करोड़ रुपये दिए (जो 660 करोड़ रुपये का 10 फीसदी होता है). ऐसा माना जा रहा है कि डीएच रीन्यूएबल्स होल्ड‍िंग्स वेणुगोपाल धूत की ही शेल कंपनी है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement