
रिजर्व बैंक और अन्य सरकारी बैंकों से सबसे ज्यादा कर्ज देश में केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें लेती हैं. लिहाजा रेपो रेट में हुई कटौती से अब केन्द्र और राज्य सरकारों को सस्ती दरों पर कर्ज मिल सकेगा जिससे वह इंफ्रा और अन्य क्षेत्रों में निवेश प्रक्रिया को शुरू कर सकेंगी.
देश में सरकार के बाद दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा कर्ज लेने वाली बड़ी सरकारी और निजी कंपनियां है. सस्ते ब्याज दर पर कर्ज मिलने से इन कंपनियों के लिए अपना एक्सपैंशन करना आसान हो जाएगा. इन्हें सस्ती दरों पर मिलने वाला कर्ज देश में कारोबारी तेजी लाने के लिए बेहद अहम रहता है.
रिजर्व बैंक के इस फैसले का बड़ा फायदा देश में कमजोर हो रही और खस्ताहाल कंपनियों को भी मिलेगा. अब ऐसी कंपनियों के लिए सस्ती दर पर कर्ज लेकर कंपनी को एक बार फिर से मजबूत करने का काम आसान हो जाएगा. इस कटौती से ऐसी कंपनियों की कोशिश बैंकों से कर्ज लेकर कंपनियों में जान फूंकने की होगी. लिहाजा, ब्याज दरों में कटौती से ऐसी कंपनियों को संभालने का काम भी आसान हो जाता है.
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इन सबके साथ-साथ ब्याज दरों में हुई कटौती केन्द्र और राज्य सरकार की एक और बड़ी चुनौती को आसान कर देगा. गौरतलब है कि हाल में कई राज्यों द्वारा किसान कर्ज माफी के ऐलान से सरकारी खजाने पर बड़ा बोझ था. वहीं केन्द्रीय और राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का फायदा पहुंचाने का खर्च सरकारों के लिए बड़ी चुनौती थी. जहां बीती मौद्रिक समीक्षा में केन्द्रीय बैंक ने माना था कि ये दोनों खर्च देश में एक बार फिर मंहगाई को बेलगाम कर सकते हैं, वही अब सस्ते दर में उपलब्ध कर्ज से सरकारों की चुनौती आसान हो जाएगी.
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अंत में सस्ती दरों पर कर्ज उपलब्ध होने से आम आदमी को बड़ी राहत पहुंचती है. आम आदमी द्वारा होम लोन, पर्सनल लोन इत्यादि सस्ती दरों पर उपलब्ध हो जाती है. वहीं पहले से लोन ले चुके लोगों की ईएमआई में कटौती हो जाती है जिससे उनके लिए कर्ज का बोझ उतारना भी आसान हो जाता है.
रेपो रेट और सीआरआर का मतलब
रेपो रेट मतलब वह रेट जिस पर बैंक अपनी जरूरत के लिए केन्द्रीय बैंक से कैश उधार लेता हैं. यह रेट फिलहाल 7.25 फीसदी है. साल 2015 के शुरुआत में यह 8 फीसदी था. वहीं कैश रिजर्व रेशो (सीआरआर) वह रकम जो किसी भी बैंकों को केन्द्रीय बैंक के पास जमा करानी होती है. मौजूदा समय में यह रेट 4 फीसदी पर स्थिर है.