
अमेरिकी सरकार एच-1बी वीजा नीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रही है. ट्रंप प्रशासन एक ऐसा प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है, जिसके जरिये एच-1बी वीजा के तहत आने वाले रोजगार और विशेष व्यवसायों या पेशों की परिभाषा को बदला जाएगा.
अमेरिका के इस कदम से भारत की आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) कंपनियों पर बड़े पैमाने पर असर पड़ेगा. भारतीय मूल के अमेरिकियों के स्वामित्व वाली छोटी और मध्यम आकार की कंपनियां भी इससे प्रभावित होंगी.
भारतीय आईटी प्रोफेशनल के बीच एच-1बी काफी ज्यादा लोकप्रिय है. यह एक गैर-प्रवासी वीजा है. यह वीजा अमेरिकी कंपनियों को कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में विदेशी कर्मचारियों की भर्ती की अनुमति देता है. यहां की प्रौद्योगिकी कंपनियां चीन और भारत जैसे देशों से प्रोफेशनल की भर्ती इसी वीजा की मदद से करती हैं.
अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने बुधवार को इसकी जानकारी दी. विभाग ने कहा कि अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) इस संबंध में जनवरी 2019 तक नया प्रस्ताव लाने की योजना बना रही है.
इस प्रस्ताव का उद्देश्य विशेष व्यवसाय की परिभाषा को बदलना है. इस संशोधन के जरिये अमेरिका में एच-1बी वीजा कार्यक्रम के जरिये यहां प्रतिभाशाली और बेहतर विदेशी नागरिकों को लाया जा सके.
डीएचएस ने इसके साथ ही कहा कि वह यह संशोधन अमेरिकी नागरिकों के हितों और वेतन-भत्तों को ध्यान में रखकर करेगी. इस खातिर 'रोजगार और नियोक्ता-कर्मचारी संबंध की परिभाषा' को भी संशोधित किया जाएगा.
विभाग ने दोहराया कि वह एच-1बी वीजा धारकों के जीवन साथी को जारी होने वाले एच-4 वीजा में भी बदलाव करने की तैयारी कर रहा है. इसमें कुछ नियमों को हटाने का प्रस्ताव भी लाया जा रहा है.