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अमेरिका में ब्याज दरों में इजाफा, अब भारत के सामने होंगी ये 4 चुनौतियां

फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि यह बढ़ोत्तरी मौजूदा फेड प्रमुख जैनेट ऐलन के कार्यकाल में आखिरी बढ़ोत्तरी है. जैनेट का कार्यकाल फरवरी में पूरा हो रहा है और उनके बाद फेडरल रिजर्व की कमान संभालने वाले नए प्रमुख के लिए 2018 के दौरान 3 बार और ब्याज दरों में इजाफे की बात कही जा रही है.

अमेरिका में ब्याज दरों में हुआ इजाफा अमेरिका में ब्याज दरों में हुआ इजाफा
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST

अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी का इजाफा कर दिया है. इस इजाफे से अमेरिका में ब्याज दरें अब 1.25 फीसदी से बढ़कर 1.5 फीसदी पर पहुंच गई है. अमेरिका फेडरल रिजर्व का दावा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है. ब्याज दरों में इजाफे के ऐलान के साथ-साथ केन्द्रीय बैंक ने अमेरिकी जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में भी इजाफा किया है. फेड रिजर्व के मुताबिक अमेरिका में जीडीपी ग्रोथ अब 2.1 के पुराने अनुमान से तेज 2.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ेगी.

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फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि यह बढ़ोत्तरी मौजूदा फेड प्रमुख जैनेट ऐलन के कार्यकाल में आखिरी बढ़ोत्तरी है. जैनेट का कार्यकाल फरवरी में पूरा हो रहा है और उनके बाद फेडरल रिजर्व की कमान संभालने वाले नए प्रमुख के लिए 2018 के दौरान 3 बार और ब्याज दरों में इजाफे की बात कही जा रही है.

ब्याज दरों में इजाफे का मतलब

आर्थिक जानकारों का मानना है कि अमेरिका में ब्याज दरों में इजाफे का साफ मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर मजबूती के संकेत दे रही है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 2008 में लेहमैन ब्रदर्स संकट से आर्थिक सुस्ती के दौर में जाना पड़ा और केन्द्रीय बैंक को देश में ब्याज दरों को लगभग शून्य करना पड़ा था. लिहाजा अब 1.25 से 1.5 फीसदी पर ब्याज दरों के पहुंचने से अर्थव्यवस्था पर से संकट के बादल छट रहे हैं.

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वहीं आर्थिक जानकारों का दावा है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जब ब्याज दरों में बदलाव होता है तो इसके असर से दुनिया की कोई भी अर्थव्यवस्था अछूती नहीं रहती है खास तौर पर तेज भागने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका अहम असर पड़ने के आसार हैं.

भारत पर असर?

1. अमेरिका रुख कर सकतें हैं विदेशी निवेशक

बीते एक दशक से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संकट के चलते बड़ी संख्या में विदेशी निवेशकों (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने भारत का रुख किया था. अब अमेरिकी मौद्रिक नीति के सामान्य होने की स्थिति में जानकारों को उम्मीद है कि विदेशी निवेशक वापस अमेरिका का रुख कर सकते हैं. ब्याज दरों में इजाफे से निवेशकों को अमेरिका में अधिक सुरक्षा और बेहतर रिटर्न का रास्ता साफ हो जाएगा.

2. शेयर बाजार पर असर

भारतीय शेयर बाजार के लिए बीता एक साल अच्छी उछाल के नाम रहा है. हालांकि इसके लिए भारतीय कंपनियों की कमाई में इजाफे की जगह वैश्विक निवेशकों का योगदान अहम था. वहीं देश की कई बड़ी कंपनियों पर पहले से ही केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक का कहर बरपा है. इन कंपनियों पर बैंकरप्सी का दबाव बना हुआ है. लिहाजा, वैश्विक निवेशकों द्वारा अमेरिका का रुख करने की स्थिति में भारतीय शेयर बाजार के भी दबाव में रहने की उम्मीद है.

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3. रुपया बनाम डॉलर

डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूत स्थिति पर भी दबाव देखने को मिल सकता है यदि अमेरिका में ब्याज दरों में इजाफे के असर से डॉलर निवेशक बाहर जाने का रुख करते हैं. बीते कुछ महीनों में रुपये ने डॉलर के मुकाबले अपनी स्थिति को मजबूत किया है लेकिन फेडरल रिजर्व के फैसले से रुपये पर दबाव बढ़ सकता है. वहीं जीएसटी और नोटबंदी के असर से जीडीपी की रफ्तार को पहुंचे नुकसान का असर भी रुपये पर देखने को मिलेगा जिससे एक बार फिर डॉलर में मजबूती का रुख कायम होने की संभावना है. इनके अलावा, देश में किसान कर्ज माफी से भी कई राज्यों में वित्तीय संचालन की दिक्कतें देखने को मिलेगी जिसका नकारात्मक असर रुपये पर पड़ने के आसार हैं.

4. महंगा हो जाएगा विदेशी कर्ज

अमेरिका में धीरे-धीरे बढ़ रहा ब्याज दर और 2018 में फिर बढ़ोत्तरी के संकेत से साफ है कि भारत के लिए विदेशी कर्ज लेना महंगा हो जाएगा. बीते कई वर्षों से अमेरिकी और यूरोप में जारी आर्थिक संकट से कई देशों पर कर्ज का बोझ हल्का हुआ था लेकिन अब दोनों जगह मजबूती के संकेत से कई देशों की घरेलू करेंसी दबाव में रहेगी जिसके चलते उनके विदेशी कर्ज के बोझ में इजाफे के आसार हैं.  

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