आज के समय में हर कोई कमाई करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है और उसमें से कुछ ना कुछ बचत (Saving) करके ऐसी जगह इन्वेस्ट (Invest) करना चाहता है, जहां उसका पैसा बढ़ता रहे. लेकिन, कुछ लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि उनकी कमाई तो शानदार होती है, लेकिन इसके बावजूद वो सेविंग नहीं कर पाते. इसके पीछे की वजह तमाम तरह के खर्चे होते हैं, जो कमाई से ज्यादा पहुंच जाते हैं. ऐसे में बेहद जरूरी है कि अपनी कमाई में से सेविंग, खर्च और निवेश के बीच तालमेल बनाया जाए. इसमें 3 अकाउंट का फॉर्मूला काम आ सकता है. आइए जानते हैं कैसे ये मुश्किल आसान कर सकता है?
ट्रिपल अकाउंट फॉर्मूले के लिए ये जरूरी
महंगाई (Inflation) के इस दौर में लगातार खर्चों में इजाफा हो रहा है और इसमें हर महीने होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा चला जाता है. ऐसे में भविष्य संवारने के लिए इसे मैनेज करना बेहद जरूरी हो जाता है. अगर आपने बचत, खर्च और निवेश के बीच सही तरीके से तालमेल बैठा लिया, तो फिर आर्थिक मोर्चे पर सफल होने से आपको कोई नहीं रोक सकता. खासतौर पर ऐसे लोगों के लिए तीन बैंक अकाउंट का फॉर्मूला बेहद कारगर साबित होता है, जो अक्सर शिकायत करते हैं कि कमाते तो बहुत हैं, लेकिन पैसे कहां खर्च हो जाते हैं पता नहीं चलता है.
पहला- इनकम अकाउंट
अब समझते हैं कि आखिर ट्रिपल अकाउंट फॉर्मूला काम कैसे करता है, तो अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो फिर हर महीने आपके बैंक खाते में सैलरी आती होगी. या फिर आप कोई बिजनेस करते हैं, तो आपका पैसा करंट अकाउंट में आता होगा. इसीको पहला अकाउंट या इनकम अकाउंट नाम दे सकते हैं. इसका मतलब ये अकाउंट आपकी हर महीने की कमाई के बारे में बताता है. सिर्फ सैलरी ही नहीं, बल्कि इसके अलावा भी अगर आपको किसी अन्य जरिए से आय हो रही है, तो उसे भी इसी अकाउंट में डालें, इससे आपको पता चलेगा कि महीने में आपकी कुल आमदनी कितनी है.
दूसरा- स्पेंड अकाउंट
पहले अकाउंट से आपको अपनी हर महीने की इनकम का पूरा पता रहेगा, तो इसके बाद बारी आती है दूसरे बैंक अकाउंट की, जिसे Spend Account नाम दिया जा सकता है. नाम से साफ है कि ये आपके खर्च की जानकारी से जुड़ा हुआ है. आपको करना इतना होगा, कि अपने हर महीने होने वाले जरूरी खर्चों की लिस्ट बनाएं और उसके हिसाब से इस पर खर्च किए जाने वाली रकम को इनकम अकाउंट से इस अकाउंट में ट्रांसफर कर दें और इसी से उन्हें मैनेज करें. ऐसे में इस दूसरे अकाउंट के जरिए महीनेभर के खर्च की राशि का पूरा हिसाब आपके सामने होगा. कोशिश करें कि फिजूल खर्चों पर लगाम लगाएं.
तीसरा- इन्वेस्टमेंट अकाउंट
एक बार जब आप दोनों अकाउंट में या कहें कि कमाई और खर्च के बीच तालमेल बना लेंगे, तो फिर बारी आएगी अगले कदम की. अगला अकाउंट सेविंग और इन्वेस्टमेंट अकाउंट होगा. मतलब हर महीने के खर्च के बाद आपके पहले अकाउंट में जो पैसा सेव होगा, उसमें से एक हिस्सा आपको इस अकाउंट में ट्रांसफर करना होगा और इसे आप किसी भी ऐसी जगह या स्कीम में इन्वेस्ट कर सकेंगे, जहां शानदार रिटर्न हासिल हो सके. अच्छा ये रहेगा कि खर्च की लिस्ट मैंटेन करने के बाद आप अपने इनकम अकाउंट से एक तय अमाउंट हर महीने इसमें डालें.
इससे ये फायदा होगा, कि इन्वेस्ट करने वाली तय राशि के लिए और किसी जगह मैनेज नहीं करना होगा. इसी अकाउंट के जरिए हर महीने निवेश कर सकते हैं. हालांकि, इस बात का भी ध्यान रखें कि शुरुआती दौर में बहुत ज्यादा रकम से निवेश की शुरुआत न करें, क्योंकि इससे आपके बजट पर असर पड़ सकता है. अपने निवेश को धीरे-धीरे आय बढ़ने के साथ ही बढ़ाएं.
कमाई से लेकर निवेश तक का होगा पूरा ब्योरा
इस फॉर्मूले के जरिए कुल मिलाकर आपके पास तीन बैंक अकाउंट के जरिए आमदनी, महीनेभर के खर्च और निवेश से जुड़ा पूरा ब्योरा होगा और इसके साथ ही आपकी ये शिकायत पूरी तरह से दूर हो जाएगी कि खूब कमाई होने के बाद भी पैसे कहां खर्च हो जाते हैं ये पता नहीं चलता है. इसके साथ ही आपका निवेश भी शुरू हो जाएगा, जो आपको आर्थिक रूप से मजबूत करेगा.