कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2020-21 में देश के करीब 6 करोड़ पीएफ खाताधारकों को उनके प्रोविडेंट फंड (PF) के लिए ब्याज तय कर दिया है. EPFO के ट्रस्टी बोर्ड की श्रीनगर में होने वाली बैठक में इस वित्त वर्ष के लिए 8.5 फीसदी की ब्याज दर ही तय की गई है.
यानी ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यह एक तरह से राहत है, क्योंकि कोरोना की वजह से ब्याज दरों में कटौती के आसार थे. जानकारों का कहना है कि कोरोना संकट को देखते हुए इस वित्त वर्ष यानी 2020-21 के लिए ब्याज दर में कटौती की जा सकती है. गौरतलब है कि पीएफ पर ब्याज दर पहले से ही सात साल के निचले स्तर पर है. पिछले वित्त वर्ष में ब्याज दर 8.5 फीसदी तय की गई थी.
श्रम व रोजगार मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी कर बताया गया है कि ट्रस्टीज बोर्ड ने 2021 के लिए ब्याज दरें वहीं रखी हैं क्योंकि 'EPFO ने कर्ज और शेयरों से आय प्राप्त की है, जिसके चलते वो अपने सब्सक्राइबर्स को ऊंचे रिटर्न दे पा रहा है.'
कोरोना के बावजूद कटौती नहीं
गौरतलब है कि कोरोना काल में बड़ी मात्रा में लोगों नेपीएफ से एडवांस रकम ली है या निकासी की है. इसके अलावा बड़ी संख्या में नौकरियां जाने से पीएफ में योगदान भी कम हुआ है. इसकी वजह से ईपीएफओ के लिए पहले जैसा ब्याज देना मुश्किल हो सकता है.
31 दिसंबर, 2020 तक ईपीएफओ ने कोरोना संकट में शुरू की गई एडवांस स्कीम के तहत 56.79 लाख दावों में 14,310.21 करोड़ रुपये की रकम वापस की है. इस तरह अप्रैल से दिसंबर तक फाइनल सेटलमेंट, मौतों, बीमा, एडवांस सहित कुल मिलाकर पीएफ से 73,288 करोड़ रुपये की रकम निकाली गई है. इसी तरह निजी कंपनियों के ट्रस्ट से चलने वाले पीएफ से भी करीब 3,983 करोड़ रुपये निकाले गए हैं.
बजट से मिला था झटका
पिछले साल मार्च में केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड ने 2019-20 के लिए 8.5 फीसदी ब्याज दर तय की थी. बजट 2021 के ऐलान के बाद प्रोविडेंट फंड (PF) में निवेश करने वालों को झटका लगा है. प्रोविडेंट फंड में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के कॉन्ट्रिब्यूशन की रकम से मिले ब्याज पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया गया है.
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