
देश में कई ऐसे बाहुबली नेता हैं, जो अपराध की दुनिया के रास्ते राजनीति में दाखिल हुए हैं. लेकिन कुछ ऐसे अपराधी भी मुल्क में मौजूद हैं जिन्हे सियासत ने ही गुनाहों के दलदल में धकेल दिया. राजस्थान पुलिस को तलाश है एक ऐसे ही खूंखार गैंगस्टर की. जिसे पकड़ने के लिए पुलिस ने हर पैतरा अपनाया. और हारकर इमोश्नल कार्ड चलने का फैसला किया है. दरअसल, 15 से ज्यादा आईपीएस और 20 हजार पुलिस के जवान जो काम नहीं कर पाए उस काम के लिए पुलिस अब उस गैंगस्टर की मां और महबूबा का सहारा ले रही है. वो पांच लाख का इनामी गैंगस्टर है आनंदपाल सिंह.
पुलिस का सिरदर्द बना है आनंदपाल सिंह
पुलिसवालों की एके-47 की बौछार से कहीं तेज़ आग उगलती है गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की एके-47. पुलिस की जीपों से कहीं तेज़ फर्राटा भरती है गैंगस्टर आनंदपाल की फॉर्च्यूनर. पुलिस के इन बंकरों में फंसने की जगह शातिर आनंदपाल हर बार खुद देता है पुलिस की भारी-भरकम फौज को चकमा. अपना हर हथियार अब तक नाकाम देख आखिरकार राजस्थान पुलिस ने चला है इमोशनल कार्ड. पुलिस का ये इमोशनल कार्ड है गैंस्टर आनंदपाल की मां निर्मल कंवर
गैंगस्टर बेटे से मां की अपील
भागो मत, सरेंडर कर दो बेटा. गैंगस्टर आनंदपाल की मां की ये मार्मिक अपील एक वीडियो की शक्ल में राजस्थान पुलिस ने जारी की है. पांच लाख रुपये के ईनामी गैंगस्टर आनंदपाल को पकड़ने के लिए 80 साल की बूढ़ी मां अब पुलिस की नई उम्मीद है. पुलिस को उम्मीद है कि मां की कंपकंपाती आवाज़ से शायद खूंखार गैंगस्टर आनंदपाल का कलेजा भी लरजने लगे और वो सरेंडर कर दे.
महबूबा की गुहार
मां के साथ ही गैंगस्टर आनंदपाल की महबूबा ने भी गुहार लगाई है 'अकेले अब और नहीं जिया जा रहा. मैं मरना चाहती हूं. हो सके तो लौट आओ आनंद'. गैंगस्टर की महबूबा लेडी गैंगस्टर अनुराधा चौधरी ने कोर्ट में पेशी के दौरान जज से गुहार लगाई है कि जब से आनंपाल गया है वो अकेले जीना नहीं चाहती. और जान देना चाहती है. कोर्ट उसे इच्छामृत्यु की इजाजत दे.
आनंदपाल की महबूबा भी हैं गैंगस्टर
एक तरफ मां और दूसरी ओर महबूबा की यह गुहार इमोशनल आनंदपाल को तोड़ सकती है. पुलिस को यही उम्मीद है. हालांकि पुलिस जानती है कि आनंदपाल की महबूबा अनुराधा चौधरी आनंदपाल के हर गुनाह में शरीक रही है. अंग्रेजी स्कूल में पढ़ी. एमबीए कर चुकी और कई भाषाएं धारा प्रवाह बोलने वाली लेडी डान अनुराधा चौधरी ही आनंदपाल के फरार होने के बाद से उसका गैंग ऑपरेट कर रही थी. एक कारोबारी के अपहरण के दौरान नाकेबंदी में अनुराधा पकड़ी गई और फिलहाल जयपुर की सेंट्रल जेल में बंद है. पुलिस के मुताबिक आनंदपाल की महबूबा अनुराधा ही आनंदपाल की तमाम वारदातों की प्लानिंग तैयार करती थी. इतना ही नहीं शातिर दिमाग अनुराधा कानूनी दाव-पेंच में भी बखूबी माहिर है. वह आनंदपाल को 28 अपराधिक मामलों में से 9 में बरी भी करवा चुकी है.
दोस्ती के जज्बात ने बनाया गैंगस्टर
गैंगस्टर आनंदपाल को पकड़ने के लिए पुलिस ने यह इमोशनल कार्ड इसलिए चला है क्योंकि अंग्रेजी दां आनंदपाल गैंगस्टर बना ही दोस्ती के जज्बात में. बी.एड की पढ़ाई कर चुका आनंदपाल तो फौजी बनना चाहता था. लेकिन बन गया राजस्थान का सबसे बड़ा गैंगस्टर.
राजनीति से सामने आया रक्तचरित्र
राजस्थान की पुलिस का सबसे बड़ा सिरदर्द बने आनंदपाल ने बचपन से तो क्या जवानी में भी कभी ऐसा नहीं सोचा था कि वह गैंगस्टर बन जाएगा. उसके पिता हुकुम सिंह चाहते थे कि वह उनकी तरह फौजी बने. यहां तक कि खुद आनंदपाल ने टीचर बनने के लिए बी.एड की पढ़ाई भी की थी. सीमेंट की दुकान भी खोली थी. लेकिन अपने गांव लाडनूं की राजनीति में कदम रखते ही उसका रास्ता बदल गया. सियासत में आगे बढ़ते-बढ़ते सामने आने लगा आनंदपाल का रक्तचरित्र.
सियासी रंजिश ने बनाया गैंगस्टर
घरवालों की मानें तो पंचायत समिति का चुनाव जीतने के बाद आनंदपाल का हौसला बढ़ा. उसने प्रधानी के चुनाव में किसमत आज़मानी चाही तो वहीं से शुरू हो गई सियासी रंजिश. इस बीच आनंदपाल के एक दोस्त को एक केस में फंसा दिया गया तो जीत-हार के दांव-पेच में आनंदपाल पर भी मुकदमे दर्ज हुए. और इसी के चलते पढ़ा लिखा सीधा-साधा आनंदपाल बन गया एक गैंगस्टर.
पांच लाख का ईनामी है आनंदपाल
आनंदपाल के गैंगस्टर बनने की दास्तां शुरू होती है साल 2005 से. उसी साल नागौर के रहने वाले राजू ठेठ, बलवीर बानूड़ा और गोपाल फोगावट ने मिलकर जीण माता में शराब की दुकान खोली. कारोबार में आपसी विवाद के चलते राजू ठेठ और बलवीर बानूड़ा के बीच विवाद हो गया. राजू ठेठ ने बानूड़ा के रिश्तेदार गोपाल की हत्या कर दी. बदला लेने के लिए बानूड़ा ने दोस्त आनन्दपाल की मदद मांगी. दोस्त की खातिर आनन्दपाल आगे आया और फिर शुरू हुआ गैंगवार का ऐसा खेल, जिसने आनंदपाल को बना दिया 5 लाख का ईनामी गैंगस्टर. जिसके पीछे लगी है पूरे राजस्थान की पुलिस.
आनंदपाल को बेगुनाह बताता है परिवार
पूरे राजस्थान में खौफ का दूसरा नाम बन चुके आनंदपाल के परिवार का कहना है कि जितने गुनाह में उसका नाम बताया जा रहा है वो गलत है. इसी वजह से आनंदपाल कानून से बचता फिर रहा है. आखिरी बार वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने घर पहुंचा था. उस वक्त वह एक जज्बाती बेटा ही नज़र आ रहा था.
फिल्मी अंदाज में फरार हुआ था एपी
नाटकीय गिरफ्तारी के बाद राजस्थान की अजमेर जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह कुछ ही दिन बाद फिल्मी अंदाज में फरार हो गया था. नागौर जिले के डीडवाना में नानूराम हत्याकांड में आनंदपाल की पेशी के बाद पुलिस एस्कोर्ट में उसे वापस अजमेर जेल लाया जा रहा था. तभी परबतसर के गांगवा गांव के पास पिकअप में सवार कुछ बदमाश उसके पीछे लग गए. उन्होंने बॉलीवुड स्टाइल में पुलिस जवानों पर गोलियों की बौछार कर आनंदपाल और उसके साथी सुभाष मंडू और श्रीवल्लभ को छुड़ा लिया था. तभी से आनंदपाल उर्फ एपी फरार है.
रिश्तेदारों के खिलाफ भी मुकदमें
अंग्रेजी में बात करने वाला गैंगस्टर आनंदपाल पुलिस की सोच से कहीं आगे सोचता है. उसके खिलाफ राजस्थान के कई जिलों में मुकदमें दर्ज हैं. खास बात यह है कि ये गैंगस्टर सिर्फ गोलियां ही नहीं बरसाता. बल्कि सोशल मीडिया पर भी खूब एक्टिव रहता है. फेसबुक पर आनंदपाल के काफी लाईक्स भी मिलते हैं. लेकिन राजपूत बिरादरी में रॉबिनहुड बना आनंदपाल अपने गुनाहों के दलदल में अपने रिश्तेदारों को भी ले डूबा. आनंदपाल पर मुकदमे बढ़ने लगे. उसके दो भाई विक्की और मंजीत के साथ ही कई रिश्तेदार भी कानून के शिकंजे में आ गए. यहां तक की उसकी महबूबा लेडी डॉन अनुराधा भी जेल पहुंच गई.
क्या पसीजेगा गैंगस्टर का दिल
आनंदपाल की महबूबा और उसकी मां को पुलिस अब अपना सबसे बड़ा हथियार मान रही है. पुलिस के मुताबिक परिवार का कहना है कि आनंदपाल बेहद इमोशनल है. रिश्तों को निभाने की खातिर ही वो गैंगस्टर बना है. ऐसे में अब अपनी मां और महबूबा की गुहार के बाद उसका दिल जरूर पसीजेगा और वो सरेंडर कर देगा. राजस्थान पुलिस खूंखार गैंगस्टर आनंदपाल के धड़कते दिल को पिघलाना चाहती है. ताकि वह कानून के सामने अपने घुटने टेक दे.