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घर से अब तक 25 रजिस्टर बरामद, ललित ने बनाया था सामूहिक फांसी का प्लान!

दिल्ली के एक ही परिवार के 11 लोग जिनकी मौत पर पूरे देश में बातें हो रही हैं. इन 11 लोगों के बीच में वो ललित भी है जिसे इन सामूहिक मौत का जिम्मेदार माना जा रहा है. वो ललित ही था जिसने मौत की स्क्रिप्ट लिखी. वो ललित ही था जिसका दावा था कि दस साल पहले मर चुके उसके पिता ना सिर्फ उससे मिलने आते हैं, बल्कि वो उनसे बातें भी करता था.

पुलिस के लिए यह मामला अभी तक एक पहेली बना हुआ है पुलिस के लिए यह मामला अभी तक एक पहेली बना हुआ है
परवेज़ सागर/शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 6:46 PM IST

दिल्ली के एक ही परिवार के 11 लोग जिनकी मौत पर पूरे देश में बातें हो रही हैं. इन 11 लोगों के बीच में वो ललित भी है जिसे इन सामूहिक मौत का जिम्मेदार माना जा रहा है. वो ललित ही था जिसने मौत की स्क्रिप्ट लिखी. वो ललित ही था जिसका दावा था कि दस साल पहले मर चुके उसके पिता ना सिर्फ उससे मिलने आते हैं, बल्कि वो उनसे बातें भी करता था.

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वो ललित ही था जिसने पूरे परिवार को अपने मृत पिता और फिर भगवान से मिलवाने का वादा किया था. वो ललित ही था जिसने पूरे परिवार को फंदे पर चढ़ा कर ये भरोसा दिलाया था कि तुम लोग मरोगे नहीं. बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे. मगर ऐसा हुआ नहीं.

घर में हर तरफ लटकी थीं लाशें

जान देने वाले परिवार से कहा गया, 'आखिरी समय पर झटका लगेगा, आसमान हिलेगा, धरती हिलेगी. लेकिन तुम घबराना मत, मंत्र जाप तेज़ कर देना, मैं तुम्हे बचा लूंगा. जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे की नीचे उतरने में मदद करना. तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे.' मगर अफसोस कि कोई उन्हें बचाने नहीं आया और 11 लाशों के साथ हंसता खेलता घर एक झटके में श्मशान बन गया.

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50 साल पहले. सवा गांव, चित्तौड़गढ़, राजस्थान

भोपाल सिंह को नारायणी देवी इतनी भाईं की उन्होंने उनसे शादी करने का फैसला कर लिया.. डर था पिता नहीं मानेंगे लिहाज़ा गांव छोड़कर भोपाल सिंह हरियाणा चले गए. नारायणी देवी से उनकी शादी हुई और तीन बेटे और दो बेटियां हुईं.

23 साल पहले. संतनगर, बुराड़ी, दिल्ली

भोपाल सिंह ने दिल्ली में बसने का फैसला किया. खानदान से मज़बूत होने के बावजूद भोपाल सिंह ने पिता की मदद नहीं ली और खुद ही दिल्ली शहर में प्लाईवुड का काम शुरू किया. काम चल निकला और कुछ सालों में संतनगर में खुद की ये इमारत खड़ी ली.

10 साल पहले. संतनगर, बुराड़ी, दिल्ली

भोपाल सिंह का पूरा परिवार दिल्ली सेटल हो चुका था. मगर तभी अचानक भोपाल सिंह की मौत हो गई. भोपाल सिंह की मौत के बाद छोटा बेटा दिनेश राजस्थान लौट गया और रावतभाटा में रहने लगा. जबकि, इधर दिल्ली के संतनगर के इस मकान में परिवार के अब 11 लोग बचे थे.

78 साल की नायारणी देवी. 50 साल का बड़ा बेटा भुवनेश उर्फ भुप्पी. 48 साल की उसकी पत्नी सविता. तीन बच्चे नीतू, मोनी और ध्रुव. भोपाल सिंह का 45 साल का छोटा बेटा ललित. ललित की पत्नी 42 साल की टीना. ललित का बेटा शिवम. भोपाल सिंह की 57 साल की विधवा बेटी प्रतिभा. प्रतिभा की 33 साल की बेटी प्रियंका.

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पिता का लाड़ला था ललित

छोटा बेटा होने की वजह से ललित शुरू से अपने पिता का लाड़ला था. बाप की मौत का सबसे ज़्यादा सदमा भी उसे ही लगा था. भोपाल सिंह की मौत के कुछ साल बाद ही अचानक एक हादसे में ललित की आवाज़ भी चली गई. पिता की मौत और आवाज़ के चले जाने से ललित पूरी तरह से टूट चुका था. काफी इलाज के बाद भी उसकी आवाज़ नहीं लौटी. परिवार के करीबियों के मुताबिक इसी दौरान ललित ने घर वालों को बचाना शुरू किया कि उसे उसके पिता भोपाल सिंह दिखाई देते हैं. वो उनसे बात भी करते हैं.

शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर से ग्रसित था ललित

मेडिकल साइंस में इसे शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर या डाइल्यूज़न भी कहते हैं. ये एक तरह की बीमारी है, जिसमें कोई अपना मरने के बाद भी दिखाई और सुनाई देने लगता है. और ऐसे लोग फिर अपने करीबियों को भी वही महसूस करवाना चाहता है. इस तरह की बीमारी दुनिया में कई लोगों को है और मेडिकल साइंस में इसका इलाज भी है.

अंधविश्वास के जाल में फंसा था परिवार

मगर सूत्रों के मुताबिक मनोचिकित्सक के पास जाने के बजाए ललित बाबाओं के जंजाल में फंस गया. उसके इस अंधविश्वास में उसे साथ मिला उसकी पत्नी टीना का. जो पहले से ही बेहद धार्मिक थी. वक्त गुजरता गया और ललित को अब आए दिन उसके पिता दिखाई देने लगे. हद तब हो गई जब वो उनके आदेशों को सुनने और मानने लगा. यहां तक कि अब वो अपने पिता की ही हूबहू आवाज़ निकालने लगा.

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रजिस्टर में लिखे जाते थे सारे आदेश

घर से मिले रजिस्टर के मुताबिक एक रोज़ ललित के पिता ने उसे परिवार से उनकी मुलाकात कराने का आदेश दिया. 'आखिरी समय पर झटका लगेगा, आसमान हिलेगा, धरती हिलेगी. लेकिन तुम घबराना मत, मंत्र जाप तेज़ कर देना, मैं तुम्हे बचा लूंगा. जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे की नीचे उतरने में मदद करना... तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे.'

रजिस्टर में दर्ज है भगवान से मिलने की बात

ऐसी बातें उस रजिस्टर में लिखी हुईं थी जो इस घर से पुलिस ने बरामद किया है. इसी रजिस्टर में पिता भोपाल सिंह का हवाले देते हुए लिखा गया है, 'मैं कल या परसों आऊंगा, नहीं आ पाया तो फिर बाद में आऊंगा.' रजिस्टर में लिखी हर बात ललित ने लिखी थी. कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. ललित पिता से मिलने के बाद अब इसी रजिस्टर में भगवान से मिलने की भी बात करने लगा. जो इस तरह लिखी गईं जैसे ये ललित नहीं उसके पिता भोपाल सिंह लिख रहे हों. रजिस्टर में आगे लिखा था, 'तुम्हें पता है कि भगवान कभी भी हमारे घर में आ सकते हैं इसलिए पूरी तैयारी रखो.'

बचाने नहीं आया कोई

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बकौल पुलिस वो ललित ही था जो पिता के आदेशों को ना सिर्फ रजिस्टर में लिख रहा था. बल्कि उसे हूबहू पूरा भी कर रहा था. मगर जिस आवाज़ ने ललित से सबको बचा लेने का वादा किया था. उसने बचाया ही नहीं. असल में ऐसी कोई आवाज़ थी ही नहीं. ये तो बस ललित का वहम था. जो एक बीमारी की वजह से उसे सुनाई दे रही थी.

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