
Iran Israel Tension: ये कहानी दो दोस्तों की दोस्ती और उनकी दुश्मनी की है. दोस्ती 31 सालों की और दुश्मनी 45 साल की. ये दुश्मनी अब भी जारी है. बल्कि यूं कहें कि ये दुश्मनी अब इस हद तक बढ़ गई है कि पहली बार इन दोनों के बीच जंग के आसार बन गए हैं. हम बात कर रहे है ईरान और इजरायल की. आगे हम आपको बताने जा रहे हैं इन दोनों मुल्कों की दोस्ती और दुश्मनी का वो किस्सा, जो पूरी दुनिया को हैरान कर रहा है.
14 अप्रैल 2024
रात के अंधेरे में आतिशबाजी सा वो मंजर असल में मौत की आहट है. वो आहट जो अब ईरान और इजरायल के साथ-साथ दुनिया भर को सुनाई देने लगी है. क्योंकि वो तस्वीरे थीं ईरान की तरफ से दनादन दागी जा रही उन मिसाइलों की, जिनके निशाने पर इजरायल है. ईरान लगातार मिसाइलें दागता जा रहा था. और इजरायल उन मिसाइलों को अपने आयरन डोम सिस्टम की मदद से रास्ते में ही चुन-चुन कर राख करता जा रहा था. वैसे तो इस हमले में किसी जानी नुकसान की खबर नहीं है.
इजरायल ने दी बदला लेने की धमकी
लेकिन दुनिया जानती है कि इस हमले के बाद इजरायल भी चुप बैठने वालों में नहीं है. और तभी हमलों के फौरन बाद इजरायल ने आनन-फानन में अपने वार कैबिनेट की बैठक की है. और ईरान को ये चेतावनी दी है कि वो इन हमलों का बदला जरूर लेगा. हमले की तारीख और वक़्त भी वो खुद ही तय करेगा. जाहिर है अगर इजरायल ने ईरान के इस हमले का बदला लिया, तो फिर दुनिया में एक ऐसी जंग की शुरुआत हो जाएगी. जिसे शायद रोकना नामुमकिन हो जाए.
ईरान पर भारी पड़ सकता है इजरायल
क्योंकि इस जंग में एक तरफ इजरायल के साथ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे ताकतवर पश्चिमी देश होंगे, तो वहीं दूसरी तरफ ईरान के साथ लेबनान, सीरिया और फिलिस्तीन जैसे पड़ोसी देश. इन दोनों खेमों की तुलना करने पर सैन्य ताकत में बेशक ईरान, इजरायल पर भारी नजर आता हो, लेकिन चूंकि इजरायल को पश्चिमी देशों का साथ है और वो खुद एक मजबूत न्यूक्लियर पावर है, दुनिया में इजरायल का खौफ ही ज्यादा है.
कोई नहीं जानता ईरान और इजरायल की जंग का नतीजा
उधर, ईरान के पास अधिकारिक तौर पर परमाणु बम होने के कोई प्रमाण नहीं हैं. हालांकि इसके बावजूद कल को अगर ईरान और इजरायल के बीच फुल-फ्लेजेड जंग की शुरुआत हो गई तो इसका अंजाम क्या होगा, ये कोई नहीं जानता. जंग से पैदा होने वाले सवालों के जवाब आज वारदात में ढूंढने की कोशिश करेंगे, लेकिन आईए सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ईरान और इज़रायल के बीच हालात इतने खराब कैसे हो गए?
ईरान-इज़रायल टर्निंग प्वाइंट नंबर-1
फिलिस्तीन और खास कर गाजा पट्टी पर किए जा रहे हमलों के लेकर ईरान और इजरायल के बीच तनातनी तो खैर पहले से चली आ रही थी, लेकिन 1 अप्रैल को तब इस आग में घी पड़ गया, जब इजरायल ने सीरिया की राजधानी दमिष्क में ईरानी एंबेसी के बगल में मौजूद कौंसुलेट ऑफिस पर बमबारी कर दी. इस बमबारी में ईरान के दो जनरल रैंक के ऑफिसर्स मारे गए और ईरान बुरी तरह बौखला गया. वो इजरायल से बदला लेना चाहता था, लेकिन शायद ईद की वजह से हमले की तारीख टल गई.
ईरान-इज़रायल टर्निंग प्वाइंट नंबर-2
फिर 14 अप्रैल की रात को इजरायल के आसमान में वो तस्वीर दिखाई पड़ी, जिसने दुनिया को युद्ध के खतरे से भर दिया. ईरान ने रातों-रात इजरायल की तरफ ताबड़तोड़ 110 बैलिस्टिक और करीब 45 क्रूज मिसाइलें दाग दीं. इसके अलावा 170 शाहेद आत्मघाती ड्रोंस से भी हमला किया. ये और बात रही कि इतने हमलों के बावजूद इजरायल का बाल भी बांका नहीं हुआ और इजरायल के आयरन डोम सिस्टम ने आसमान में ही इन सारे के सारे हथियारों को खत्म कर दिया. रात भर हुए हमलों के बाद इजरायल के दक्षिणी हिस्से में मौजूद एक एयरबेस पर कुछ गड्ढे जरूर बन गए. जिनकी तस्वीरें इजरायल ने अगले रोज जारी की.
ईरान-इज़रायल टर्निंग प्वाइंट नंबर-3
इजरायल ने फिलहाल ईरान की ओर से किए गए इन हमलों का सीधे तौर पर कोई जवाब तो नहीं दिया है, लेकिन उसने हमास के ठिकानों पर नए सिरे से कहर ढाना शुरू कर दिया है. इजरायल ने पिछले 24 घंटों में हमास पर 40 एयर स्ट्राइक किए हैं. और इन एयर स्ट्राइक्स में मिसाइल और रॉकेट्स का इस्तेमाल किया गया है. दावा है कि इजरायली सैनिकों ने इस हमले में हमास के दर्जनों आतंकवादियों को नामो निशान मिटा दिया है. असल में ईरान हमास के आतंकियों को पैसों और हथियार के साथ-साथ दूसरी जरूरत की चीज़ें मुहैया कराता है. ऐसे में इजरायल का हमास पर हमला घुमा-फिर पर ईरान को जवाब देने की कोशिश मानी जा रही है. इजरायली हमले से हमास के कई ठिकाने पूरी तरह से नेस्तोनाबूद हो चुके हैं.
हमास के ठिकानों पर इजरायल का हमला जारी
इजरायल ने इन हमलों में हमास के कुछ ऐसे ठिकानों को भी टार्गेट किया है, जहां से हमास अपने ड्रोन ऑपरेट करता है. इजरायल का कहना है कि उसकी नहल ब्रिगेड ने भी इन हमलों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया है, जिसमें हमास के कुछ स्नाईपर्स का भी खात्मा हो गया है. हमलों में चुन-चुन कर कई वैसे इमारतों को जमींदोज़ कर दिया गया है, जहां बाहर से तो काम कुछ और दिखता है, लेकिन असल में जिन इमारतों में हमास के आतंकी छुप कर वार करते हैं. अब आने वाले दिनों में ईरान इन हमलों का क्या जवाब देता है या फिर इजरायल कब तक ईरान पर सीधा हमला करता है, ये अभी देखने वाली बात है.
दुश्मनी से पहले दोस्ती का इतिहास
लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस ईरान और इजरायल के बीच चल रही तनातनी की वजह से पूरी दुनिया पर थर्ड वर्ल्ड वार का खतरा मंडरा रहा है, वही ईरान और इजरायल कभी दोस्त भी हुआ करते थे? दोनों देशों के एक दूसरे पर किए जा रहे हमलों के बीच आपको इन देशों का इतिहास भी एक बार जरूर देखना चाहिए.
कई साल से चल रही है शैडो वॉर
आम तौर पर दो देशों के बीच विवाद की शुरुआत तभी होती है, जब दोनों की सीमाएं एक दूसरे से लगती हों और उनमें अपने-अपने एरिया समेत कई पहलुओं को लेकर अनबन हो. लेकिन ईरान और इज़रायल के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है. लेकिन सालों से दोनों देश एक दूसरे के साथ शैडो वॉर लड़ते रहे हैं. लेकिन ये जानना भी कम अजीब नहीं है कि जो ईरान और इजरायल इस वक्त एक दूसरे से खून के प्यासे हैं, उनके रिश्तों की शुरुआत कभी दोस्ती से हुई थी.
ऐसी कमाल थी ईरान और इजरायल की दोस्ती
1948 में इजरायल के वजूद में आने के बाद उसे काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. दुनिया के ज्यादातर देशों ने तब इजरायल को मान्यता देने से ही इनकार कर दिया था, खास कर मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देश इजरायल के सख्त खिलाफ थे. लेकिन तब ईरान ने इजरायल को मान्यता दी थी. तब ईरान में यहुदियों की भी अच्छी तादाद थी. मान्यता मिलने के बाद इजरायल ने ईरान को हथियारों की सप्लाई शुरू की और ईरान ने बदले में इजरायल को तेल देना चालू किया. रिश्ते कुछ इतने अच्छे हो गए कि दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों ने टेक्नोलॉजी से लेकर ज्वाइंट ट्रेनिंग तक किए.
इस्लामिक क्रांति के बाद रिश्तों में आई खटास
लेकिन ईरान में अयातुल्लाह खुमैनी की अगुवाई में इस्लामिक क्रांति की शुरुआत क्या हुई, इजरायल के साथ ईरान के रिश्ते खराब होने लगे. खुमैनी ने अमेरिका और इजरायल को शैतानी देश कहना शुरू कर दिया. और मुस्लिम राष्ट्र की मांग उठाने लगे. 1979 में ईरान पूरी तरह से मुस्लिम राष्ट्र बन चुका था और इसी के साथ इजरायल के साथ ईरान के रास्ते अलग हो गए.
ऐसे खिंच गई दुश्मनी की लकीर
इस्लामिक क्रांति के बाद दोनों देशों के बीच आवाजाही बंद हो गई. एयर रूट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों पर भी विराम लग गया. तेहरान के इजरायली दूतावास को फिलिस्तीनी दूतावास में बदल दिया गया. और तो और दोनों ने ही देशों ने अब एक दूसरे को मान्यता देना ही बंद कर दिया. ईरान ने पहले तो इजरायल को मान्यता दी थी, लेकिन बाद में वो कहने लगा कि इजरायल ने फिलिस्तिनियों का हक मारा है. अब इकतरफा प्यार कहां तक चलता? तो इजरायल ने भी इस्लामिक रिब्लिक को मानने से इनकार कर दिया.
ईरान ने इजरायल के दुश्मनों से मिलाया हाथ
आगे चल कर रिश्ते तब और खराब हो गए, जब ईरान ने इजरायल के विरोधी सीरिया, यमन और लेबनान जैसे देशों को हथियारों की सप्लाई शुरू कर दी. अस्सी के दशक में इस्लामिक जेहाद नाम के आतंकी संगठन का ईरान ने खुल कर सपोर्ट किया, जो फिलिस्तीन के नाम पर ईरान से टकरा रहा था. और फिर तो तनाव और दुश्मनी की कहानी लगातार आगे बढ़ती रही.