
एक अकेले शख्स के हाथों इतनी बड़ी तादाद में मौत देने की ये हाल की शायद सबसे बड़ी वारदात है. वो अकेला था और उसके हाथ में असॉल्ट राइफल जबकि उसके सामने क्लब के फ्लोर पर थिरकते एक साथ करीब साढ़े तीन सौ लोग. उसने अचानक फ्लोर का निशाना लेकर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. भीड़ इतनी थी कि शायद ही कोई गोली बेकार गई हो. देखते ही देखते 50 लोगों की जान चली गई. 9/11 के बाद अमेरिका में ये अब तक का सबसे बड़ा हमला था. आईएसआईएस ने दावा किया है कि ये हमला उसने किया है.
9/11 के बाद अमेरिका पर सबसे बड़ा हमला
9/11 की याद आज भी अमेरिका को दहला जाती है. अमेरिका के साथ-साथ पूरी दुनिया ने तब आतंक का सबसे खौफनाक चेहरा देखा था, वो भी बिल्कुल लाइव. अमेरिका के इतिहास में अमेरिका पर ये अब तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था. इस हमले के बाद अमेरिका ने ऐलान किया था कि वो अपने देश की सुरक्षा व्यवस्था इतनी मजबूत कर देगा कि फिर दोबारा कभी किसी की ऐसे हमले की हिम्मत नहीं होगी. 15 साल तक अमेरिका अपने इस वादे पर खरा भी उतरा. 9/11 के बाद वाकई फिर कभी अमेरिका पर कोई आतंकवादी हमला नहीं हुआ.
छुट्टी की वजह से क्लब में थी भारी भीड़
इतवार की छुट्टी होने की वजह नाइट क्लब में कुछ ज़्यादा ही भीड़ थी. क्लब अभी भी पूरी तरह से गुलज़ार था. लगभग साढ़े तीन सौ लोग अब भी क्लब के अंदर थे. तभी अचानक असॉल्ट रायफल और शॉटगन लिए एक शख्स क्लब में दाखिल होता है और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर देता है.
देखते-देखते बिछा दी लाशें
जिस क्लब में बस मिनट पर पहले तक म्यूजिक का तेज शोर, था अब वहां चारों तरफ चीख-पुकार मच गई. लोगों को कुछ समझ ही नहीं आया कि ये अचानक क्या हुआ है. भागने का बस एक रास्ता था और वो सिरफिरा उसी एक रास्ते पर खड़ा अंधाधुंध गोलियां बरसा रहा था. देखते ही देखते क्लब में लाशों की गिनती बढ़ने लगी. जो बचे थे वो क्लब के अंदर ही छुपे उसके बंधक बने हुए थे.
पुलिस ने नाइट क्लब को घेरा लेकिन...
अब तक गोलीबारी की आवाज ने क्लब के आसपास के लोगों को भी चौंका दिया था. उन्हीं के जरिए खबर पुलिस तक पहुंची. कुछ ही देर में ओरलैंडो पुलिस नाइट क्लब को चारों तरफ से घेर चुकी थी मगर क्लब के अंदर का सच पुलिस को नहीं पता था. जल्दबाज़ी में उठाया गया कोई भी कदम न सिर्फ उनके लिए बल्कि क्लब में बंधक बनाए गए सैकड़ों लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता था. लिहाजा, क्लब की दहलीज पर पहुंच कर भी पुलिस के कदम ठिठक गए और इसी तरह खौफ, दहशत और दर्द के बीच तीन घंटे निकल गए.
एक्शन में आई पुलिस टीम
उधर, क्लब के अंदर से रह-रह कर गोलियों और चीख-पुकार की आवाज अब भी आ रही थी. इसी बीच पुलिस को क्लब के अंदर फंसे कुछ बंधकों और चश्मदीदों से अंदर की सही जानकारी मिलती है. पुलिस को पता चलता है कि हमलावर सिर्फ एक है. तब जाकर पुलिस की टीम एक्शन में आती है. बीयरकैट नाम की एक बख्तरबंद गाड़ी में पहले तो कमांडो क्लब के अंदर दाखिल होते हैं और फिर आखिरकार उस शख्स को मार गिराते हैं.
50 लोगों को उतारा मौत के घाट
लेकिन ऑपरेशन में शायद बहुत देर हो गई थी क्योंकि मरने से पहले वो अकेला सिरफिरा पचास लोगों को मार चुका था जबकि इतने ही लोग गोलियों से जख्मी क्लब के अंदर पड़े थे. हमलावर ने 39 लोगों की जान तो क्लब के अंदर ही ले ली थी जबकि दो लोग क्लब के बाहर और नौ ने अस्पताल जाने के बाद दम तोड़ दिया.
आईएसआईएस ने ली जिम्मेदारी
तीन घंटे के तक चले मौत के इस तांडव के बाद जब ओरलैंडो के गुनहगार का चेहरा बेनकाब हुआ, तो एक बार फिर से दुनिया के सबसे जालिम आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का नाम सामने था. अमेरिका को दहलानेवाले इस आतंकवादी हमले के पीछे आईएसआईएस से जुड़े एक ऐसे आतंकवादी का हाथ था, जिसे समलैंगिकों से नफरत थी. हालांकि अफगानिस्तानी मूल के इस शख्स के बाप का कहना है कि क्लब में हुए कत्लेआम के पीछे आईएसआईएस या धर्म का कोई लेना-देना नहीं है.
समलैंगिकों से करता था नफरत
तीन घंटे के कोहराम के बाद जब पल्स नाइट क्लब का हमलावर पुलिस की गोलियों से ढेर हुआ तो उसकी पहचान पता करने में ज्यादा देर नहीं लगी. ये वही शख्स था, जो अब से चंद महीने पहले दुनिया के मशहूर मियामी बीच पर दो लड़कों को एक-दूसरे को किस करता देख कर गुस्से से फट पड़ा था. जाहिर है, वो समलैंगिकों से नफरत करता था लेकिन उसकी नफरत अमेरिका के सबसे बड़े गे नाइट क्लबों में से एक पल्स पर यूं कहर बन कर टूटेगी, ये खुद उसके घरवालों ने भी कभी ख्वाबों में नहीं सोचा था.
कट्टरपंथी था उमर मतीन
सूत्रों की मानें तो इस हमले के बाद न सिर्फ दो अलग-अलग ट्विटर एकाउंट्स के जरिए आईएसआईएस ने ओरलैंडो हमले की जिम्मेदारी ली, बल्कि उमर एस मतीन की तस्वीर के साथ उसे आईएसआईएस का हीरो भी करार दिया लेकिन बात इतनी सी नहीं है. सूत्रों की मानें तो खुद हमलावर ने भी अपने मारे जाने से पहले कथित तौर पर पुलिस को 911 पर फोन कर अपने आईसआईएस से जुड़े होने की बात कही थी और जब उसकी मौत के बाद पुलिस ने उसकी डिटेल खंगाली तो ये साफ हो गया कि वो कोई और नहीं बल्कि फ्लोरिडा का रहनेवाला अफगानी मूल का एक ऐसा अमेरिकी नागरिक है, जो कभी शहर के ही एक बाल सुधार गृह यानी जुवेनाइल होम में सिक्योरिटी गार्ड का काम किया करता था और जिसके दिमाग में कट्टरपन का जहर पहले से मौजूद था.
पुलिस ने पहले भी रखी थी उमर पर नजर
छानबीन में ये साफ हुआ कि उमर एस मतीन पहले भी आतंकवादी गतिविधियों की वजह से पुलिस की रडार पर रह चुका था और यहां तक कि एफबीआई खुद उससे दो से तीन दफा पूछताछ कर चुकी थी. हालांकि तब उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं होने की वजह से उसे छोड़ दिया गया. जबकि अब पुलिस उसके आईएसआईएस से सीधे जुड़े होने के सबूत तलाश रही है.
हमलावर के पिता ने बताया सनकी
दूसरी ओर मतीन के पिता मीर सिद्दिकी ने इस वारदात के लिए लोगों से माफी मांगते हुए अपने बेटे को सनकी करार दिया है. सिद्दिकी ने खुलासा किया है कि अब से कुछ महीने पहले मियामी में मतीन दो लड़कों को एक-दूसरे को चूमते हुए देख कर बुरी तरह बौखला गया था. और तभी उन्हें पता चला कि मतीन समलैंगिकों से इतना ज्यादा नफरत करता है. हालांकि इस हमले के बाद मतीन के पिता सिद्दिकी ने जो बातें कहीं, वो भी कम चौंकानेवाली नहीं हैं. उसने कहा कि उसके बेटे को ऐसा नहीं करना चाहिए था कि क्योंकि अल्लाह खुद ही समलैंगिक लोगों को कड़ी सज़ा देने वाले हैं. सिद्दिकी ने ये भी कहा कि उसका बेटा एक अच्छा बेटा था और अगर उसे ये पता होता कि मतीन ऐसा करेगा, तो वो उसे रोकने की कोशिश ज़रूर करता.
दिमागी तौर पर बीमार था मतीन
उधर, मतीन की पूर्व पत्नी सितोरा युसूफी ने भी उसके बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. सितोरा ने पुलिस को बताया है कि मतीन शादी के बाद उसके साथ न सिर्फ मारपीट करता था, बल्कि कई बार कुछ इतना हिंसक हो जाया करता था, कि उसे रोकना भी मुश्किल हो जाता. हालांकि युसूफी ने इस हमले को किसी मजहब से न जोड़ने की अपील करते हुए कहा कि ये एक शख्स की दिमागी बीमारी का मामला है और इसे उसी रूप में लिया जाना चाहिए.
दुनिया के सबसे ताकतवर देश के लिए खतरा बना ISIS
अमेरिका में बेशक आईएसआईएस ने पहली बार दस्तक दी हो लेकिन यूरोप को कई बार रुला चुका है बगदादी. आईएसआईएस ये पहले ही बता चुका है कि उसकी पहुंच अब सिर्फ इराक और सीरिया की हदों तक ही नहीं है. बल्कि वो दुनिया के किसी भी देश तक पहुंच सकता है. ओरलैंडों की इस वारदात ने ये साबित कर दिया है कि आईएसआईएस दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका को भी रुला सकता है. यूरोपीय मुल्क तो खैर कई बार पहले ही रो चुके हैं.
चार्ली एब्दो के दफ्तर पर हमला
यूरोप के इतिहास में ये वो तारीख है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. क्योंकि इसी रोज आईएसआईएस से जुड़े कुछ हथियारबंद हमलावरों ने फ्रांस से छपने वाली इस मशहूर मैग्जीन के दफ्तर पर एक ऐसा हमला किया, जिसने सिर्फ फ्रांस ही नही बल्कि पूरी दुनिया को हिला दिया. इस हमले में तीन पुलिसवालों समेत कुल 17 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पत्रकार थे. दरअसल, ये आतंकवादी मैग्जीन में कथित तौर पर पैगंबर साहब की तस्वीर छपने से खफा थे और उन्होंने इसका बदला लोगों का खून बहाकर लिया.
बाटाक्लां कंसर्ट हॉल पर हमला
ये फ्रांस के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था, जब 13 नवंबर, 2015 को एक कॉन्सर्ट हॉल, कई रेस्त्रां और नेशनल स्टेडियम पर आतंकवादियों ने एक साथ धावा बोला. आईएसआईस की ओर से किए गए इन हमलों में कुल 129 लोगों की मौत हो गई, जबकि बहुत से लोग जख्मी हुए. पेरिस के बाटाक्लां कॉन्सर्ट हॉल में जारी एक कॉन्सर्ट के दौरान तब पहली बार अफरातफरी मची, जब अज्ञात बंदूकधारियों ने हॉल के गेट पर ही ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. आतंकवादियों ने अकेले इसी जगह पर 82 लोगों की जान ली, जबकि बहुत से लोग दूसरी जगहों पर हुए हमलों में मारे गए. और इन सभी के सभी हमलों की जिम्मेदारी आईएसआईस ने ली.
ब्रसेल्स एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन पर धमाका
यूरोप के 21वें सबसे बिजी ब्रसेल्स एयरपोर्ट पर 22 मार्च 2016 सुबह एक साथ कई विमान उड़ान भरने को तैयार थे और कई लैंड करने वाले थे लेकिन तभी एयरपोर्ट के डिपार्चर हॉल में अमेरिकी एयरलाइंस के काउंटर के पास अचानक एक के बाद एक दो ताकतवर धमाके होते हैं. धमाके की आवाज सुनते ही पूरे एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी मच जाती है. धमाके की जद में आने वाले बहुत से लोग खून से लथपथ एयरपोर्ट के अंदर पड़े थे. थोड़ी ही देर में साफ हो जाता है कि ये फिदाईन हमला था. इसके ठीक एक घंटे बाद दूसरी बुरी खबर आती है. इस बार खबर ब्रसेल्स के एक मेट्रो स्टेशन से आई थी, जो एयरपोर्ट से बहुत ज्यादा दूरी पर नहीं है. तीसरा धमाका मेट्रो स्टेशन पर हुआ था. इस धमाके में भी बहुत से लोग मारे गए और उससे भी ज्यादा जख्मी हुए. शक यही है कि मेट्रो में भी धमाका करने वाला फिदाईन था और इन सभी हमलों का ताल्लुक आईएसआईएस से ही था.