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नरभक्षी...नरपिशाच...ऐसे इंसान से हैवान बन जाता है 'सीरियल किलर'

मानवीय इतिहास में सीरियल किलिंग की घटनाएं काफी पुरानी हैं. 'सीरियल किलर' ठग बहराम से लेकर निठारी के 'नर पिशाच' सुरेंद्र कोली और अब रविंद्र कुमार तक अनेकों नाम हमारे सामने हैं.

मानवीय इतिहास में सीरियल किलिंग की घटनाएं काफी पुरानी हैं. मानवीय इतिहास में सीरियल किलिंग की घटनाएं काफी पुरानी हैं.
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

मानवीय इतिहास में सीरियल किलिंग की घटनाएं काफी पुरानी हैं. 'सीरियल किलर' ठग बहराम से लेकर निठारी के 'नर पिशाच' सुरेंद्र कोली और अब रविंद्र कुमार तक अनेकों नाम हमारे सामने हैं. aajtak.in सीरियल किलिंग पर एक सीरीज पेश कर रहा है. इस कड़ी में हम बताने जा रहे हैं कि आखिर सीरियल किलर होता कौन है? एक साधारण इंसान इतना हैवान कैसे बन जाता है?

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1966 में ब्रिटिश लेखक जॉन ब्रोडी ने सबसे पहले 'सीरियल किलर' शब्द का प्रयोग किया था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जस्टिस ने अलग-अलग घटनाओं में दो या दो से अधिक मर्डर के सीरीज को सीरियल किलिंग के रूप में परिभाषित किया है. इस तरह एक मानसिक विकृति से पीड़ित शख्स अपनी संतुष्टि के लिए यदि मर्डर को अंजाम देता है, तो वह सीरियल किलर होता है.

मनोवैज्ञानिक संतुष्टि है मकसद

मनोवैज्ञानिक डॉ. शांतनु गुप्ता के मुताबिक, सीरियल किलिंग का मुख्य मकसद मनोवैज्ञानिक संतुष्टि होती है. अधिकतर हत्याओं में पीड़ित के साथ किलर का सेक्सुअल रिलेशन होता है. क्रोध, रोमांच, वित्तीय लाभ और ध्यान आकर्षित करने के लिए अधिकतर सीरियल मर्डर किए जाते हैं. वे अपनी तरफ मीडिया को आकर्षित करना चाहते हैं.

अश्लीलता और ड्रग्स की भूमिका

डॉ. शांतनु गुप्ता बताते हैं कि अधिकतर सीरियल किलर को बचपन में एक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उनके अंदर बचपन से ही अलगाववादी व्यवहार पनपने लगते हैं. उनके उपर आस-पास के वातावरण और माता-पिता के व्यवहार आदि का प्रभाव भी पड़ता है. उनमें इस विकृति के विकास के पीछे अश्लीलता, ड्रग्स या शराब की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है.

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मशहूर शोधकर्ता स्टीव इग्गेर ने सीरियल किलिंग की छह विशेषताएं बताई हैं- 1- कम से कम दो हत्या, 2- हत्यारे-शिकार में कोई संबंध नहीं, 3- हत्याओं के बीच सीधा संबंध, 4- अलग-अलग स्थानों पर हत्याएं, 5- पीड़ितों में कॉमन विशेषताएं हो सकती हैं, 6- किसी लाभ की बजाए संतुष्टि के लिए हत्या.

सामान्यत: सीरियल किलर दूरदर्शी, मिशन ओरिएंटेड और पॉवर चाहने वाला होता है. उसमें लस्ट, थ्रिल, प्रॉफिट, पॉवर कंट्रोल और मीडिया का ध्यान आकर्षित करने की भूख होती है. ऐसे लोग स्वभाव से बहुत शातिर होते हैं. यही वजह है कि ये पुलिस की गिरफ्त में आसानी से नहीं आते हैं. उनको अपने किए पर जरा भी पछतावा नहीं होता है.

भारत के 10 खौफनाक सीरियल किलर

1- ठग बहराम: 900 लोगों की हत्या

2- सुरेंद्र कोली: चार बच्चों की हत्या

3- ऑटो शंकर: नौ किशोर लड़कियों की हत्या

4- चार्ल्स शोभराज: 12 पर्यटकों की हत्या

5- मोट्टा नवास: पांच लोगों की हत्या

6- मोहन कुमार: 20 महिलाओं की हत्या

7- मल्लिका: छह लोगों की हत्या

8- कम्पटीमार शंकरिया: 70 लोगों की हत्या

9- चंद्रकांत झा: छह लोगों की हत्या

10- दरबारा सिंह: 20 लोगों की हत्या

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