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सबसे बड़े 'सीरियल किलर' का दिल दहला देने वाला कबूलनामा

दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में सीरियल किलर रविन्द्र ने पूछताछ के दौरान करीब 35 वारदातों को अंजाम देने की बात कबूल की है. जैसे-जैसे उससे पूछताछ हो रही है, वैसे-वैसे कत्ल और रेप की नई वारदातें सामने आती जा रही हैं.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 9:02 PM IST

दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में सीरियल किलर रविन्द्र ने पूछताछ के दौरान करीब 35 वारदातों को अंजाम देने की बात कबूल की है. जैसे-जैसे उससे पूछताछ हो रही है, वैसे-वैसे कत्ल और रेप की नई वारदातें सामने आती जा रही हैं. यदि पुलिस इन वारदातों की तस्दीक कर पाती है, तो ये निठारी से भी बड़ा कांड होगा. वारदातों की तस्दीक के लिए पुलिस रविन्द्र को यूपी के कई शहरों में ले जाने की तैयारी कर रही है.

2007 में नोएडा के निठारी कांड से सुरेन्द्र कोली का खूंखार चेहरा लोगों के सामने आया था. इसे इत्तेफाक ही कहिए कि जब कोली अपने गुनाहों के लिए जेल में बंद था, तब एक दूसरे शैतान के निशाने पर ये मासूम थे. ये शैतान रविन्द्र ही था, जिसने साल 2008 में रेप और कत्ल की पहली वारदात को अंजाम दिया. छह साल तक वो वारदातों को अंजाम देता रहा और सात साल बाद उसके वहशी चेहरे से पर्दा उठ ही गया.

वो सुरेंद्र था, ये रवींद्र है. वो निठारी का शैतान. ये दिल्ली का वहशी. सुरेंद्र कोली की हैवानियत की दास्तान सुनने और सुनाने के लिए भी कलेजा चाहिए था. रविंद्र की कहानी सुनने के लिए दिल पर पत्थर रखना पड़ेगा. जी हां, इस वहशी दरिंदे 2008 में पहला क़त्ल किया था. हर दो से तीन महीने में एक बच्चा उठाता था यानी साल में कम से चार बच्चे को उठाता. इस तरह 7 साल में इसने 28 बच्चों को कत्ल कर दिया.

दिल्ली का सबसे बड़ा सीरियल किलर
दिल्ली का सबसे बड़ा सीरियल किलर और रेपिस्ट जब अपनी हैवानियत का किस्सा सुना रहा था, तो कई बार तो खुद पुलिसवालों को चक्कर आने लगा. शहर, गांव, बस्ती, मोहल्ला....वो सब याद है इसे जहां-जहां इसने बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाया. जहां-जहां इसने बच्चों को मारने के बाद उनके साथ कुकर्म किया. जैसे-जैसे इसकी याददाश्त तेज होती जा रही है बच्चों की लाशों की गिनती बढ़ती जा रही है.

अगले पेज पर क्लिक करके पढ़ें: आखिर क्यों हैरान है पुलिस...{mospagebreak}

याददाश्त से हैरान है पुलिस

इसकी याददाश्त पर खुद पुलिस हैरान है. इसे अपने हर शिकार का चेहरा आज भी याद है. बस बच्चों की तस्वीर देखते ही ये बता देता है कि इसने कब और कहां उसका शिकार किया था. इसलिए पुलिस को यकीन है कि इसकी याददाश्त के सहारे वो इसके शिकार की सही गिनती तक जरूर पहुंच जाएगी. बस....डर एक ही बात का है कि कहीं ये गिनती सोच से भी आगे ना निकल जाए.

शराब पीते ही बन जाता था जानवर
पुलिस के मुताबिक, रविंद्र शराब के साथ-साथ गांजा भी पीता था. इसी के बाद नशें में वो रात को घर से बाहर निकलता. उसके निशाने पर तीन से आठ साल की उम्र के गरीब घर के बच्चे होते, क्योंकि उसे पता था कि गरीब मां-बाप पलिस-कानून के ज्यादा चक्कर नहीं काटते. सबसे पहले वो बस्ती में घर के बाहर सो रहे बच्चे की तलाश करता. मौका मिलते ही उन्हें उठा लेता.

बच्चों को देता था चाकलेट
बच्चे शोर ना करें इसके लिए वो उन्हें चाकलेट या पैसे देता. फिर किसी सुनसान जगह पर ले जाकर सबसे पहले गला दबा कर उसकी हत्या कर देता. इसके बाद लाश के साथ दुष्कर्म करता. कुछ लाश को उसने दफना दिया, तो कुछ को पानी के टैंक या नाले में डाल दिया

यूपी का रहने वाला है ये दरिंदा
रविंद्र का परिवार 1990 तक यूपी के इसी कासगंज के गजडुंडवारा गांव में रहता था. बाद में उसका पिता परिवार के साथ दिल्ली आ गया. तभी से रविंद्र दिल्ली में ही रहने लगा. 2013 में आकिरी बार वो अपने गांव गया था. तब वो वहां दो महीने बुआ के घर रहा था. इस दौरान भी उसने कासगंज और उसके आसपास चार बच्चों को अपना निशाना बनाया था.

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