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इराक की एक फैक्ट्री में हुई एक चोरी की वारदात ने इस बार पूरी दुनिया को डरा दिया है क्योंकि जिस चीज की चोरी हुई है, वो एक रेडियोएक्टिव मेटेरियल है और जिस पर चोरी का शक है, वो आईएसआईएस है. ऐसे में अगर आईएसआईएस ने इस मेटेरियल के इस्तेमाल कर कोई डर्टी बम बना लिया, तो इसका अंजाम कितना खौफनाक हो सकता है, बस यही सोच-सोच कर दुनिया सहमी जा रही है क्योंकि डर्टी बम का शिकार होने पर हड्डियां तक गलने लगती हैं और लोग तिल-तिल कर मरते हैं.
चोरी ने पैदा किया डर
इस दुनिया में चोरी की हर रोज नामालूम कितनी वारदातें होती हैं, लेकिन दक्षिणी इराकी शहर बसरा में इस बार एक ऐसी चोरी हुई है, जिसने मध्य एशिया से लेकर यूरोप और रूस से लेकर अमेरिका तक सबको डरा दिया है. बात सोचनेवाली है, वो इसलिए कि फकत एक चोरी से आखिर दुनिया पर इतना बड़ा खतरा कैसे पैदा हो गया? लेकिन इस चोरी के पीछे की असली कहानी वाकई रौंगटे खड़े करनेवाली है. क्योंकि अगर ये चोर जल्दी पकड़े नहीं गए, तो यकीन मानिए कि सिर्फ इस चोरी की वजह से ही दुनिया में लाखों लोग अपनी जान से जा सकते हैं और वो भी तड़प-तपड़ कर.
इराक से गायब हुआ रेडियोएक्टिव मेटेरियल
दरअसल, बसरा की एक फैक्ट्री से इस बार एक बेहद खौफनाक रेडियोएक्टिव मेटेरियल के कई कैप्सूल गायब हो गए हैं. वैसे तो इस मेटेरियल का इस्तेमाल आम तौर पर गैस और तेल की पाइपलाइन में बहाव को बनाए रखने और कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है, लेकिन इसी रेडियोएक्टिव मेटेरियल की चपेट में आने से इंसान मौत के मुंह में भी समा सकता है और भी तड़प-तड़प कर. इनमें भी सबसे फिक्र की बात ये है कि इस मेटेरियल की चोरी के पीछे आईएसआईएस के आतंकवादियों का हाथ होने का शक है.
ऐसे में अगर आईएसआईएस ने इस मेटेरियल का इस्तेमाल कर कोई डर्टी बम बना लिया, तो उसके धमाके से कहां और कैसी तबाही मचेगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. असल में विस्फोट के पारंपरिक तरीकों में रेडियोएक्टिव मेटेरियल के इस्तेमाल को ही दुनिया डर्टी बम के नाम से जानती है और नए हालात में आईएसआईएस के डर्टी बम का खतरा सबसे ज्यादा अमेरिका, रूस, इंग्लैंड और फ्रांस जैसे उसके दुश्मन मुल्कों को ही है.
बिना ताल तोड़े या नुकसान पहुंचाए हुई चोरी
सूत्रों की मानें तो आईआर-192 के नाम से जाना जानेवाला ये मेटेरियल एक अमेरिकी तेल कंपनी के वर्कशॉप में पूरी हिफाजत से रखा था, लेकिन एक रोज अचानक लैपटॉप के साइजवाले एक बक्से में रखा ये मेटेरियल गायब पाया गया. इसमें भी हैरानी की बात ये थी कि रेडियोएक्टिव मेटेरियल चुराने वाले चोरों ने इसे गायब करने के लिए ना तो कोई ताला तोड़ा और ना ही फैक्ट्री या बक्से को कोई नुकसान ही पहुंचाया, बल्कि बेहद शातिराना तरीके से सुरक्षाकर्मियों की निगाह बचा कर सारा माल ले उड़े.
आईएसआईएस पर शक
जानकारों की मानें तो चोरी का ये तरीका देख कर ये बात साफ है कि चोरी के पीछे किसी ऐसे शख्स का हाथ है, जिसे रेडियोएक्टिव मेटेरियल और उसके खतरे का एहसास है और यही वजह है कि उसने चोरी करने में भी पूरी एहतियात बरती है. ऐसे में तमाम सुरक्षा एजेंसियों का पहला शक आईएसआईएस की तरफ ही है.
वैसे बसरा से आईएसआईएस के कब्जे वाले इलाके की दूरी तकरीबन 300 मील है, लेकिन इस शहर के आस-पास दूसरे विरोधी गुटों और लड़ाकों की मौजूदगी जरूर है.
खतरनाक है रेडियोएक्टिव मेटेरियल
जानकारों की मानें तो इस रेडियोएक्टिव मेटेरियल का नुकसान के लिए इस्तेमाल सिर्फ बम के जरिए ही नहीं, बल्कि किसी भीड़ भरी जगह पर यूं ही खुले में रख कर भी किया जा सकता है. ये मेटेरियल इतना खतरनाक है कि एक घंटे या उससे ज्यादा तक अगर कोई इसके संपर्क में आता है, तो उसकी मौत तय है. ऐसे में अगर आईएसआईएस या कोई दूसरा गुट सिर्फ एक आईईडी के साथ इस रेडियोएक्टिव मेटेरियल का ब्लास्ट करता है, तो उसके खौफनाक नतीजे सामने आ सकते हैं.
यही वजह है कि इराकी सरकार के साथ-साथ अब तमाम सुरक्षा एजेंसियां भी हर हाल में चोरी गए इस मेटेरियल को दोबारा हासिल करना चाहती है, ताकि बेगुनाहों को खौफनाक मौत से बचाया जा सके.