Advertisement

मथुरा में एक सनकी का सत्याग्रह!

एक सनकी लीडर की सनक पर सवार तीन से चार हजार लोगों की भीड़ को 80 एकड़ में फैलें मथुरा के जवाहर बाग से बाहर निकालना था. जिस अंदाज में इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया उसका नतीजा ये हुआ कि ना सिर्फ पूरा जवाहर बाग सुलग उठा बल्कि दो पुलिस अफसर भी शहीद हुए.

मथुरा में एक सनकी का सत्याग्रह! मथुरा में एक सनकी का सत्याग्रह!
सना जैदी
  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2016,
  • अपडेटेड 2:06 AM IST

कृष्ण नगरी मथुरा की 80 एकड़ जमीन पर गुरुवार शाम चार घंटे तक एक ऐसी महाभारत हुई जिसकी शायद जरूरत ही नहीं पड़ती अगर यूपी सरकार और पुलिस सही वक्त पर सही फैसला ले लेती.

एक सनकी लीडर की सनक पर सवार तीन से चार हजार लोगों की भीड़ को 80 एकड़ में फैलें मथुरा के जवाहर बाग से बाहर निकालना था. उस पार्क से जिसपर उन लोगों ने दो साल से कब्जा कर रखा था. काम इतना आसान भी नहीं था. लेकिन जिस अंदाज में इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया उसका नतीजा ये हुआ कि ना सिर्फ पूरा जवाहर बाग सुलग उठा बल्कि हमें अपने दो पुलिस अफसरों की शहादत देनी पड़ी.

Advertisement

ऑपरेशन जवाहर बाग की तैयारी पिछले दो महीने से चल रही थी
लखनऊ से लेकर मथुरा तक तमाम मीटिंग के दौर चले. कई बार ऑपरेशन का रिहर्सल हुआ. ड्रोन उड़ा कर कैमरे से बाग के अंदर की तस्वीरें और बाग में मौजूद लोगों की सही तादाद पता करने की कोशिश की गई. लोकल और खुफिया एजेंसियों से अलग जानकारी जुटाई गई. इस ऑपरेशन के लिए आईजी, डीआईजी खुद डेरा डाले रहे. पुलिस और प्रशासन की आखिरी बैठक हुई. ऑपरेशन के लिए हरी झंडी मिली और फिर ऑपरेशन की तारीख 2 जून तय हुई.

पुलिस ने जवाहर बाग की पीछे की चारदीवारी को तोड़कर बाग पर काबिज लोगों के लिए रास्ता बना दिया ताकि वो वहां से निकल सकें. बाग के पीछा का रस्ता कलेक्ट्रेट की तरफ जाता है. रणनीति ये थी कि पुलिस मेन गेट से जवाहर बाग के अंदर घुसेगी और बाग पर काबिज लोगों को धेकलते हुए पीछे के रास्ते से बाहर निकलने के लिए मजबूर कर देगी. फिर उन्हें कलेक्ट्रेट के करीब गिरफ्तार कर लिया जाएगा. पीएसी, आरएएप और लोकल पुलिस के करीब पांच सौ जवानों की टुकड़ी चारों तरफ से जवाहर बाग को घेर चुकी थी. एहतियात के तौर पर मथुरा-आगरा के बीच का मार्ग भी बंद कर दिया गया.

Advertisement

डीएम, एसएसपी और एसपी फोर्स ने मेन गेट से जवाहर बाग के अंदर दाखिल होकर लाउडस्पीकर से लोगों को बाग खाली कर सरेंडर करने को कहा. लेकिन पुलिस ऐलान ही कर रही थी कि बाग में पेड़ों पर चढ़ कर बैठे लोगों ने अचानक पुलिस पर फायरिंग कर दी. इसी गोलीबारी में एसएचओ संतोष यादव को दो गोली लगीं और उनकी मौके पर ही मौत हो गई. तभी सिटी एसपी मुकुल द्विवेदी भी गोली लगने से घायल हो गए. घायल पुलिस वालों को फौरन अस्पताल ले जाया गया. लेकिन तब तक एसपी सिटी की भी मौत हो चुकी थी.

जवाहर बाग को किया आग के हवाले
बाग के अंदर मौजूद लोग पूरी तरह से हिंसक हो गए और चारों तरफ से पुलिस टीम पर गोलियां चलने लगे. मजबूरन पुलिस ने भी असली गोलियां दागनी शुरू कर दीं. जिससे कई लोग मारे गए. इस महले से घबराकर मौजूद भीड़ ने भागना शुरू किया. उन्होंने देसी बम और बरूद के जखीरे में आग लगा दी और साथ ही टेंट को भी आग के हवाले कर दिया. जिससे टेंट में रखे रसोई गैस के सिलेंडर फट गए. थोड़ी ही देर में जवाहर बाग पूरी तरह से आग की चपेट में आ गया.

पुलिस पूरी तैयारी से नहीं गई थी
चार घंटे के इस ऑपरेशन के दौरान दो पुलिस अफसरों की शहादत के साथ-साथ कुल 24 लोगों की जान चली गई. साथ ही करीब दर्जन से ज्यादा पुलिस वाले घायल हुए. इस ऑपरेशन को शुरू करने से पहले पुलिस को यह नहीं पता था कि जवाहर बाग के अंदर कितने लोग मौजूद हैं और उनके पास क्या-क्या हथियार हैं?

Advertisement

जवाहर बाग में मौजूद लोगों के पास थे ये हथियार
जवाहर बाग में मौजूद लोगों से बरामद हुए हथियारों में 315 बोर के 42 देसी कट्टे, 12 बोर के 3 तमंचे, 312 बोर के 4 रायफल, 315 बोर के दो रायफल, 1 लाइसेंसवाली बंदूक, 315 बोर के 90 कारतूस, 312 बोर के 99 कारतूस और खोखे शामिल हैं. ऑपरेशन पूरा होने के बाद पुलिस ने जब बाग के अंदर की तलाशी ली तो वहां कई छोटे-छोटे बंकर भी मिले. पेड़ों पर भी हथियार छुपा कर रखे गए थे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement