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अपनी सूफी गायकी और कव्वाली के जरिए दुनिया भर में मोहब्बत और अमन का पैगाम देने वाले साबरी ब्रदर्स के चश्मो-चिराग अमजद फरीद साबरी खुद आतंक का शिकार हो गए. कराची में उनके घर के नजदीक ही सरेआम बीच सड़क पर उन्हें गोली मार दी गई. वारदात के बाद तालिबान के एक गुट ने अमजद साबरी के कत्ल की जिम्मेदारी ली है. तालिबान का कहना है कि अमजद साबरी अपनी मौसिकी के जरिए खुदा की निंदा कर रहे थे इसलिए उन्हें मार दिया.
पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर का सबसे बड़ा जनाजा
अमजद साबरी के जनाजे में मानो पूरा कराची उमड़ पड़ा. शहर ने शायद ही इससे पहले ऐसा कोई जनाज़ा देखा हो. और हो भी क्यों नहीं. जब अमजद फरीद साबरी लियाकतबाद आकर बसे थे तो उनके पीछे-पीछे पूरा कराची ही मानो लियाकतबाद में बस गया था.
नम आखों से आखिरी विदाई
पूरी दुनिया में कव्वाली को उसकी पहचान दिलाने वाले मशहूर कव्वाल गुलाम फरीद साबरी के बेटे अमजद फरीद साबरी को गुरुवार को कराची के पापोश नगर कब्रिस्तान में दफना दिया गया. नम आंखों के साथ शहर ने उन्हें आखिरी विदाई दी.
एक के बाद एक पांच गोलियां दागीं
45 साल के अमजद साबरी इफ्तार के दौरान एक टीवी शो के लिए कराची के प्राइवेट टीवी चैनल के दफ्तर जा रहे थे. हौंडा सिटी कार वो खुद चला रहे थे. जबकि बराबर में उनका कजन बैठा था. लियाकतबाद -10 के करीब ट्रैफिक ज्यादा था और गाड़ियां लगभग रेंगते हुए चल रही थीं. ठीक उसी वक्त पीछे से एक मोटरसाइकिल आकर कार के बराबर में रुकती है. पीछे बैठा शख्स नीचे उतरता है कमर से पिस्टल निकालता है और अमजद साबरी का निशाना लेकर एक के बाद एक पांच गोलियां दाग देता है.
दो गोलियां अमज साबरी के सिर में लगीं जबकि एक कान के करीब. बाकी दो गोलियां अमजद साबरी के बराबर में बैठे उनके कजन को लगी. गोली मारने के बाद हमलावर पूरे इत्मीनान से मोटरसाइकिल पर बैठ कर फरार हो गया. बाद में अमजद साबरी और उनके कजन को करीब के अस्पताल ले जाया गया. मगर वहां पहुंचने से पहले ही अमजद साबरी की मौत हो चुकी थी.
तालिबान ने कहा- खुदा की निंदा की इसलिए मारा
अमजद साबरी की मौत के करीब तीन घंटे बाद तालिबान से टूट कर अलग हुए हकीमुल्लाह महसूद गुट ने एक बयान जारी कर हत्या की जिम्मेदारी ले ली. संगठन के प्रवक्ता कारी सैफुल्ला महसूद का कहना था कि ने अमजद साबरी को इसलिए मारा गया क्योंकि वह खुदा की निंदा कर रहा था.
असल में मामला क्या था?
दरअसल 2014 में अमजद साबरी ने पकिस्तान के दो प्राइवेट टीवी चैनल के लिए एक कार्यक्रम में कव्वाली गाई थी. इस कव्वाली के दौरान एक नकली शादी को धार्मिक हस्तियों के साथ मिला कर दिखाया गया था. इसपर तब काफी हंगामा भी हुआ था. पाकिस्तानी कानून के तहत कुछ लोगों ने इसपर अमजद साबरी के खिलाफ ईश निंदा के तहत मामला दर्ज करने की मांग की थी. बाद में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में ही ईश निंदा के इस मामले में दोनों निजी टीवी चैनलों को नोटिस जारी किया था. हालांकि बाद में यह मामला खत्म हो गया.
तालिबान के निशाने पर थे साबरी
मगर कराची पुलिस की मानें तो तालिबान ने अमजद साबरी को इसी मुद्दे पर निशाना बनाया. साबरी घराने के मुताबिक अमजद साबरी को इस सिलसिले में लगातार धमकियां मिल रही थीं और उन्होंने पुलिस सुरक्षा की भी मांग की थी. मगर इससे पहले कि अमजद साबरी को पुलिस सुरक्षा मिलती हमलवारों ने कराची में बीच सड़क पर उन्हें गोली मार दी. फिलहाल कराची पुलिस सीसीटीवी कैमरे में कैद इस हमलवार को जोरोशोर से तलाश रही है.