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Neha Murder Case: 9 साल पहले कत्ल की इस वारदात से दहल उठा था आगरा, 39 दिन बाद हुआ था सनसनीखेज खुलासा

ये मामला एक नौजवान लड़की के कत्ल का था. जिसने लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए थे. मौका-ए-वारदात पर हर तरफ खून से सने टीशु पेपर बड़ी तादाद में पड़े हुए थे. ऐसा लग रहा था कि मानों कातिल ने हर वार के बाद अपने हाथों से खून साफ किया हो. मगर आगरा पुलिस ने 39 दिनों में इस केस का पर्दाफाश किया था. पुलिस कातिल तक कैसे पहुंची थी, इसके पीछे है कत्ल की एक हैरान करने वाली कहानी.

कत्ल की इस सनसनीखेज वारदात ने आगरा शहर के लोगों को सकते में डाल दिया था कत्ल की इस सनसनीखेज वारदात ने आगरा शहर के लोगों को सकते में डाल दिया था
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 11:04 AM IST

जुर्म की दुनिया से कई ऐसे पेचीदा मामले सामने आते हैं, जिनकी छानबीन और तफ्तीश पुलिस के लिए चुनौती बन जाती है. खासकर ऐसे मामले में जिन पर आम जनता की नज़र हो. ऐसा ही एक मामला 9 साल पहले ताजमहल के शहर आगरा में सामने आया था. वो मामला था एक नौजवान लड़की के कत्ल का. जिसने लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए थे. मगर आगरा पुलिस ने 39 दिन बाद इस केस का पर्दाफाश कर दिया था. पुलिस कातिल तक कैसे पहुंची थी, ये कहानी भी हैरान करने वाली है.

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नेहा शर्मा मर्डर केस
वो 15 मार्च 2013 का दिन था. शाम के साढ़े सात बजे थे. उसी वक्त आगरा पुलिस के कंट्रोल रुम में फोन की घंटी बजी. कॉल करने वाले ने पुलिस को बताया कि आगरा के दयालबाग इलाके में खेलगांव के पास एक लावारिस ऑल्टो कार खड़ी है. पुलिसकर्मी ने सूचना नोट की और मैसेज वायरलेस पर फ्लैश कर दिया. कुछ देर बाद ही इलाकाई पुलिस के दो सिपाही पेट्रोलिंग बाइक पर सवार होकर मौके पर पहुंचे. उन्होंने कार के आस-पास छानबीन की. फिर किसी तरह से कार को खोलकर उसकी तलाशी ली. कार से एक कागज़ का टुकड़ा मिला, जिस पर एक मोबाइल नंबर लिखा था.

पुलिसवालों ने उस नंबर पर कॉल किया तो पता चला कि वो नंबर कार के मालिक श्रृषिपाल शर्मा का था. पुलिस ने उन्हें कार के बारे में जानकारी दी. फिर कार को कब्ज़े में लेकर अमर विहार पुलिस चौकी पर पहुंचा दिया.

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दूसरी तरफ से कार के यूं लावारिस मिलने से श्रृषिपाल शर्मा के घर में हड़कंप मच गया. क्योंकि वो कार श्रृषिपाल शर्मा की बेटी नेहा चलाती थी. उस दिन भी सुबह के वक्त वो कार लेकर घर से निकली थी. लेकिन इसके बाद वो लापता थी. उसका मोबाइल नंबर भी नहीं मिल रहा था. घर वाले हर तरफ नेहा की तलाश कर रहे थे. जब पुलिस को नेहा के लापता होने की बात मालूम हुई तो नेहा को तलाश में कई टीम लगा दी गईं. पुलिस की तलाश का केंद्र दयालबाग इलाका ही था.

नेहा शर्मा आगरा के मशहूर दयालबाग एजुकेशनल इंस्टिट्यूट में पढ़ रही थी. वो होनहार और बेबाक लड़की थी. एमएससी, एम.फिल करने के बाद वो पीएचड़ी कर रही थी. नेहा के परिवार में माता पिता के अलावा एक बहन और एक भाई और थे. राधा स्वामी सम्प्रदाय को मानने वाले इस परिवार की जान नेहा में ही बसती थी. पिता श्रृषिपाल शर्मा को अपनी बेटी पर बड़ा नाज़ था.

उस दिन भी नेहा रोज़ की तरह अपने पिता की लाल ऑल्टो कार लेकर कॉलेज जाने के लिए घर से निकली थी. लेकिन शाम 5 बजे तक भी वो घर नहीं पहुंची थी. नेहा की परेशान मां लगातार उसके मोबाइल पर फोन कर रही थी. मां ने एक बाद एक करीब 50 बार उसके नंबर पर कॉल की. मगर फोन रिसीव नहीं हुआ. वो लगातार कॉल करती रहीं, और तभी अचानक किसी लड़के ने नेहा के फोन पर कॉल रिसीव की और बोला 'नमस्ते आंटी, नेहा दीदी तो सदर बाज़ार गई हैं.' इससे पहले कि नेहा की मां कुछ समझ पाती, और उससे कुछ पूछती, फोन कॉल कट गई.

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नेहा की मां का दिल बैठा जा रहा था. चंद मिनटों बाद उन्होंने फिर से नेहा के मोबाइल पर कॉल की. उसी अनजान लड़के ने फोन उठाया और आवाज़ आई- 'आंटी नेहा दीदी तो मूवी के टिकट लेने के लिये लाइन में खड़ी हैं,' और फोन कॉल कट गई. नेहा की मां ने फिर से कॉल किया, लेकिन इसके बाद नेहा का मोबाइल फोन नहीं लगा. नेहा की मां ने फौरन अपने पति को इस बात की जानकारी दी. वो नेहा का पता लगाने के लिए इधर-उधर फोन घुमाने लगी. मगर कहीं से कुछ पता नहीं चला. अब नेहा की मां को किसी अनहोनी का डर सता रहा था. पिता और भाई नेहा को तलाश कर रहे थे.

शाम के साढ़े 8 बज चुके थे. पुलिस नेहा की तलाश में जुटी थी. नेहा के घर वाले भी पुलिस के साथ आ गए थे. इस दौरान पुलिस को पता चला कि नेहा को आखरी बार डीईआई की नैनो बायोटेक्नोलॉजी लैब की तरफ जाते हुए देखा गया था. पुलिस की टीम फौरन बायो लैब पहुंची. जैसे ही लैब का दरवाजा खुलवाया गया तो अंदर का मंज़र देखकर सबके होश उड़ गए. लैब के उस कमरे में चारों तरफ खून बिखरा हुआ था और सामने फर्श पर पड़ी थी नेहा की खून से सनी लाश. उस कमरे में इस कदर खून था कि नेहा के कपड़ों का रंग भी पता नहीं चल रहा था. पुलिस जब नेहा की लाश के करीब पहुंची तो पाया कि उसके पेट और जिस्म को बेरहमी के साथ काटा गया था. उसकी जाघों पर भी काटने के निशान थे. उसके मुंह में रुमाल ठूंसे गए थे. उसके दोनों हाथों को पीछे की तरफ बांधा गया था. उसकी सलवार घुटनों तक उतरी हुई थी.

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मौका-ए-वारदात पर हर तरफ खून से सने टीशु पेपर बड़ी तादाद में पड़े हुए थे. ऐसा लग रहा था कि मानों कातिल ने हर वार के बाद अपने हाथों से खून साफ किया हो. उस कमरे का ये खौफनाक मंज़र देखकर नेहा की मां अपने होश ओ हवास खो बैठी. उसके पिता भी घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गए. अपनी लाड़ली बेटी की इतनी दुर्गति देखकर उनके आंसुओं की धार चीखों के साथ बह निकली. पुलिस वाले भी कातिल का करतूत देखकर सोच में पड़ गए कि आखिर कातिल ने इतनी दरिंदगी क्यों की.

पुलिस ने लैब की जांच पड़ताल में पाया कि वहां कोई टूट-फूट नहीं हुई थी. मगर लाश के पास एक कांच की पीपेट आधी टूटी हुई पड़ी थी और उसका आधा हिस्सा नेहा के पेट में घुसाया गया था. पहली तफ्तीश के बाद पुलिस को समझ आ रहा था कि नेहा के साथ कत्ल से पहले बलात्कार किया गया या उसके साथ बलात्कार की कोशिश की गई. मगर नाकाम होने पर कातिल ने उसे इस बेरहमी से कत्ल कर दिया.

कुछ देर बाद आगरा के सभी आला पुलिस अफसर मौके पर थे. मीडियाकर्मी भी वहां पहुंच चुके थे. पूरे दयाल बाग में इस कत्ल की ख़बर आग की तरह फैल चुकी थी. राधा स्वामी सम्प्रदाय से जुड़े सत्संगी भी वहां जमा होने लगे थे. पुलिस ने पंचनामा किया और नेहा की लाश को पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया. इससे पहले मौके से फोरेंसिक सबूत भी जुटाए गए.

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घटना के अगले दिन 16 मार्च 2013 को नेहा के कत्ल की ख़बर सभी अखबारों की सुर्खियां बनी. लोग अभी दिल्ली का निर्भया कांड़ ठीक से भूले भी नहीं थे कि इस वारदात ने फिर उस दरिंदगी की यादें ताजा कर दी. आगरा में लोगों का गुस्सा भड़कने लगा. छात्र सड़कों पर उतर आए. महिलाऐं भी पीछे नहीं रही. हत्यारों को पकड़ने और कड़ी सज़ा देने की मांग ज़ोर पकड़ रही थी. शहर में जगह-जगह धरना प्रदर्शन हो रहे थे.

पुलिस ने 16 मार्च को ही वो लैब सील कर दी थी. उसी दिन नेहा का पोस्टमार्टम कराया गया. इसी दौरान लैब के पास से पुलिस ने झाडियों में पड़ा नेहा का लैपटॉप भी बरामद किया.

नेहा के कत्ल की वारदात को तीन दिन बीत चुके थे. पुलिस नेहा के दोस्तों, साथ पढ़ने वालों और तमाम लोगों से पूछताछ कर रही थी. तभी एक प्रोफेसर ने पुलिस को एक लड़के के बारे में बताया. जिसका नाम विशाल शर्मा था. वो दयालबाग एजुकेशनल इंस्टिट्यूट परिसर में निर्माण कार्य कराने वाला एक ठेकेदार था. पुलिस उससे पूछताछ करने उसके घर पहुंची. पुलिस ने वहां एक साइकिल देखी, जिस पर खून जैसे लाल धब्बे थे. वहां एक जींस पड़ी थी, उस पर भी लाल धब्बे मौजूद थे. घर के बाहर विशाल के जूते सूख रहे थे. ये सब देखकर पुलिस को विशाल पर शक हो गया.

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पुलिस ने विशाल शर्मा को हिरासत में लेकर पूछताछ की. साइकिल और विशाल की जींस पर मौजूद लाल धब्बों के नमूने जांच के लिये लैब भेजे गए. पुलिस शक की बिनाह पर विशाल से 3 दिन तक पूछताछ करती रही, लेकिन उसे इस बारे में कुछ नहीं पता था. 3 दिन बाद लाल धब्बों की फोरेंसिक रिर्पोट सामने आई तो पता चला की विशाल की साइकिल, जींस और जूतों पर मिले लाल धब्बे खून नहीं रंग था. इसके बाद पुलिस ने विशाल को छोड़ दिया.

पुलिस के पास कातिल का ना तो कोई सुराग था और ना ही कोई ख़बर. DEI के अधिकारी भी पुलिस को जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. यहां तक कि पुलिस के खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में रिट भी लगा दी थी. पुलिस को पहले मामला जितना आसान दिख रहा था, उतना था नहीं. पुलिस ने जांच जारी रखी. पुलिस नेहा के कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों से लगातार बात कर रही थी. ताकि कोई सुराग हाथ लगे और हुआ भी ऐसा ही.

एक दिन नेहा के घरवालों ने ही पुलिस को बताया कि उदय स्वरुप नाम का एक लड़का नेहा को परेशान करता था. वो लड़का दयालबाग एजुकेशनल इंस्टिट्यूट के चैयरमैन और पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी का भान्जा था. पुलिस उससे पूछताछ करने पहुंची. उदय ने पुलिस के सवालों के जवाब ऐसे दिए कि जैसे वो नेहा को जानता ही नहीं. पुलिस भी उसके जवाबों से सन्तुष्ट होकर वापस लौट आई. हालांकि उदय के परिवार वाले और DEI के चैयरमैन पुलिस से नाराज़ थे.

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पुलिस की छानबीन जारी थी. इसी दौरान कुछ छात्र-छात्राओं ने फिर से दबी ज़बान में उदय पर शक जताया. हालांकि कोई भी खुलकर सामने आने को तैयार नहीं था. पुलिस ने एक बार फिर उदय से पूछताछ करने का फैसला किया और उसके घर जाकर सवाल जवाब किए. इस बार उस लड़के के घरवाले पुलिस के खिलाफ ही उत्पीड़न की शिकायत लेकर अदालत जा पहुंचे.

इस बीच पुलिस को नेहा की पोस्टमार्टम रिर्पोट मिली. जिसके मुताबिक नेहा को कत्ल से पहले क्लोरोफॉम देकर बेहोश किया गया था. हैरानी की बात ये थी कि पोस्टमार्टम रिर्पोट में इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि नेहा के साथ रेप हुआ या नहीं.

कत्ल के 15 दिन बाद पुलिस एक बार फिर से फॉरेन्सिक टीम के साथ सील की गई बायोलैब पहुंची. बारीकी के साथ फिर से सुराग जुटाने की कोशिश की गई. कई घंटे की मशक्कत के बाद टीम ने लाश वाली जगह के पास से कुछ बाल बरामद किए. उस जगह से फिंगर प्रिन्ट भी लिए गए. फिर बरामद सुराग जांच के लिए भेजे गए.

पुलिस अब तक इस मामले में करीब 250 लोगों से पूछताछ कर चुकी थी. ये केस सीबीआई को दिए जाने की मांग भी तेज होने लगी थी. पुलिस पर दबाव बढ़ रहा था. पुलिस ने अपनी जांच का दायरा केवल 22 लोगों तक समिति किया. तब तक पुलिस के हाथ नेहा और उदय स्वरूप की मोबाइल कॉल डीटेल्स भी आ चुकी थी. पुलिस ने उदय के दोस्तों से भी पूछताछ की.

डीईआई के एक प्रोफेसर ने पुलिस को बताया कि वारदात के दिन नेहा की कार एक लैब टेक्नीशियन यशवीर संधु चला रहा था. पुलिस ने उसी रात चुपचाप यशवीर को उठा लिया. उसने पूछताछ में पुलिस को कार के बारे में अहम जानकारी दी. लेकिन मुख्य आरोपी का नाम नहीं बताया.

पुलिस की जांच के केंद्र में अब वो लोग थे, जो नेहा के आस-पास और लैब में ज्यादा आते जाते थे. इस बीच पुलिस को पता चला कि उदय का लैब में बहुत आना जाना था. पुलिस उदय पर फोकस कर रही थी. तभी पुलिस को लैब से बरामद हुए बालों की फॉरेन्सिक रिर्पोट मिली. रिपोर्ट से पता चला कि लैब में नेहा की लाश के पास से मिले बाल उदय के प्यूबिक हेयर थे. अब नेहा घरवालों और पुलिस का शक पुख्ता हो चुका था.

पुलिस ने एक बार फिर उदय स्वरूप को थाने बुलाकर पूछताछ की. एक मनोचिकित्सक भी पूछताछ में शामिल था. पुलिस ने बार-बार उदय से सवालों को कागज़ पर लिखकर बार-बार पूछा. उन सवालों से उदय टूट गया और उसके जवाब बदल गए थे. सबूतों की बिनाह पर लैब उदय स्वरूप और टेक्नीशियन यशवीर संधु गिरफ्तार किया गया.

जांच टीम में एक एसपी, दो डीएसपी और एक एसएचओ समेत कई पुलिसकर्मी शामिल थे. पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि वारदात के दिन उदय ने लैब टेक्नीशियन यशवीर संधु की मदद ली थी. उसकी सूचना पर ही वो नेहा की मौजूदगी में लैब पहुंच गया था. मौका पाकर उसने नेहा को बेहोश किया. फिर बाहर आकर उसने नेहा की कार की चाबी यशवीर संधु को दी. यशवीर कार को लावारिस छोड़कर वहां से निकल गया था. जबकि वारदात के बाद उदय ने ही नेहा का लैपटॉप झाड़ियों में फेंका था. नेहा का मोबाइल भी उसी के पास था. उसने लैब से कत्ल के सबूत मिटाने की कोशिश भी की थी. 

पुलिस ने 39 दिनों की तफ्तीश के बाद 23 अप्रैल 2013 को नेहा मर्डर केस का सनसनीखेज खुलासा किया और साल 2015 में दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी.

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