
पटना के आसरा शेल्टर होम में लड़कियों की मौत के मामले दर्ज की गई एफआईआर की कॉपी आज तक की टीम के पास है. एफआईआर में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. पटना सदर के कार्यपालक दंडाधिकारी नीलू पाल ने इस मामले में शुरूआती जांच के बाद पटना के राजीव नगर थाने में यह एफआईआर दर्ज करवाई थी.
एफआईआर के मुताबिक आसरा शेल्टर होम में ही तड़पकर तड़पकर ही बबली और पूनम नाम की लड़कियों की संदिग्ध मौत हो गई थी. बाद में उन्हें मृत हालत में अस्पताल ले जाया गया था.
मृतक बबली का मेडिकल रिकार्ड जो शेल्टर होम की तरफ से दिखाया गया है वो अधूरा था. शेल्टर होम में मेडिकल के लिए डॉक्टर की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी. दोनों लड़कियों में से एक को लड़की को बुखार था और दूसरी लड़की को लगातार लूज़ मोशन हो रहे थे.
रिपोर्ट के मुताबिक मनीषा दयाल और चिरंतन कुमार पीड़ित लड़कियों को सही समय पर पीएमसीएच अस्पताल लेकर नहीं गए और ईलाज नहीं मिल पाने के कारण दोनों लड़कियों की मौत हो गई.
जांच में पाया गया कि आसरा शेल्टर होम का संचालन बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग से मिलने वाली राशि से संचालित किया जा रहा था. लेकिन वहां पैसों के खर्च का कोई रिकॉर्ड भी मेंटेन नहीं किया गया. उसमें बड़े पैमाने पर धांधली की गई थी. सरकारी पैसे की बंदरबांट हुई. दोनों लड़कियों के इलाज में लापरवाही बरती गई.
एफआईआर के अनुसार 10 अगस्त को जब 4 लड़कियों ने शेल्टर होम से भागने की कोशिश की तो, पड़ोसी पर छेड़छाड़ का आरोप शेल्टर होम की तरफ से लगाया गया. उसी दिन सीडब्ल्यूसी की टीम शेल्टर होम में जांच के लिए गई थी. तब भी मनीषा दयाल और चिरंतन ने दोनों लड़कियों की चिंताजनक हालत के बारे में सीडब्ल्यूसी की टीम को नहीं बताया. और कुछ देर बाद संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत की ख़बर आई थी.