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बुराड़ी कांड: मानसिक रूप से बीमार था ललित, पिता की आवाज में करने लगा था बातें

पुलिस का कहना है कि परिवार का छोटा बेटा ललित बीते कुछ वर्षों से किसी जटिल मानसिक बीमारी से ग्रस्त था. इस मामले में अब पुलिस मनोचिकित्सक की सलाह भी ले रही है.

burari murder mystery: मानसिक रूप से बीमार था ललित burari murder mystery: मानसिक रूप से बीमार था ललित
आशुतोष कुमार मौर्य/अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की रहस्यमयी मौत को लेकर हर दिन कुछ न कुछ हैरान करने वाली बात सामने आ रही है. अब मामले की जांच कर रही पुलिस का कहना है कि परिवार का छोटा बेटा ललित बीते कुछ वर्षों से किसी जटिल मानसिक बीमारी से ग्रस्त था. इस मामले में अब पुलिस मनोचिकित्सक की सलाह भी ले रही है.

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दरअसल परिवार के करिबियों और रिश्तेदारों से पूछताछ में पता चला है की ललित कुछ महीनों से अपने पिता की आवाज में भी बात करता था. बता दें कि घर में बने मंदिर के पास से धार्मिक अनुष्ठान, तंत्र-मंत्र और मोक्ष से जुड़ी बातें जिस रजिस्टर में लिखी मिली हैं, वह ललित की ही हैंडराइटिंग में है.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ललित के बताए अनुसार ही शनिवार देर रात घर के सभी सदस्यों ने पहले पूजा अनुष्ठान किया था. दरअसल पिता की मौत के बाद उसका दावा था की पिता उसे दिखाई देते हैं.

सूत्रों के मुताबिक ललित Shared psychotic disorder or dillusion नाम की बिमारी का शिकार था. दरअसल Shared psychotic disorder or dillusion के शिकार लोग चाहते हैं कि जिन काल्पनिक चीजों को सच मानकर वे महसूस कर रहे हैं, दूसरे भी उसे महसूस करें और उसे ही सच मानें.

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पुलिस के मुताबिक, ललित का कहना है कि उसके मृत पिता उसके सपने में आते हैं और उन्हीं की बातें उसने रजिस्टर में लिखी हैं. दरअसल इस पूरे पूजा-अनुष्ठान की बातें ललित को उसके पिता ने सपने में ही बताई थीं और मोक्ष हासिल करने के लिए कहा था.

मोक्ष पाना चाहता था परिवार, लेकिन मरना नहीं चाहता था

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को पहले तो लग रहा था कि पूरे परिवार ने धर्मांधता के जाल में फंसकर तंत्र-मंत्र और धार्मिक अनुष्ठान के जरिए मोक्ष पाने के लिए सामूहिक रूप से खुदकुशी कर ली. लेकिन अब ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि परिवार का कोई भी सदस्य मरना नहीं चाहता था , बल्कि सिर्फ मोक्ष पाना चाहता था.

पुलिस सूत्रों से मिली अहम जानकारी के मुताबिक, रजिस्टर में लिखी बातों और मौका-ए-वारदात से ये पता चलता है कि दरअसल पूरा परिवार एक अनुष्ठान कर रहा था. हाथ और मुंह पर पट्टी बांधकर लटकना इसी अनुष्ठान का अंतिम चरण था और परिवार को शायद यह विश्वास था कि वो बच जाएंगे.

वट वृक्ष से जुड़ा है मौतों का रहस्य!

सभी से कहा गया था कि वट पूजा से भगवान के दर्शन होते हैं. बरगद की तरह लटककर पूजा करने से किसी की जान नहीं जाएगी. भगवान किसी को मरने नहीं देंगे. ललित का कहना था कि उसके पिता सपने में उसे यहां तक बताते थे कि घर और कारोबार के संबंध में क्या करना है और कहां पैसा लगाना है.

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पुलिस ने बताया कि रजिस्टर में ललित ने लिखा था, 'पिताजी ने कहा है कि आखिरी समय पर झटका लगेगा, आसमान हिलेगा, धरती हिलेगी. लेकिन तुम घबराना मत, मंत्र जाप तेज कर देना, मैं तुम्हे बचा लूंगा . जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे की नीचे उतरने में मदद करना. तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे.'

पुलिस का कहना है कि ललित के कहने पर ही शनिवार की रात पूरे परिवार ने पूजा अनुष्ठान किया था. घर में हवन किया गया था और एक बोतल में पानी भी भर कर रखा हुआ था. रजिस्टर में ये भी लिखा हुआ था कि हाथ की पट्टी बच जाए तो मुंह पर डबल कर लेना. सूत्रों का कहना है कि सिर्फ ललित और उसकी पत्नी टीना के हाथ नहीं बंधे हुए थे.

रजिस्टर में 'वट सावित्री पूजा ' का भी जिक्र है. दरअसल वट सावित्री पूजा पूर्णिमा के दौरान की जाती है और जिस रात परिवार वालों की मौत हुई, यानी 27-28 जून की रात भी पूर्णिमा ही थी. हालांकि मान्यता ये है कि वट सावित्री की पूजा पत्नियां पति की लम्बी उम्र के लिए करती हैं.

आर्मीमैन थे मृत भाइयों के पिता

पुलिस ने बताया कि ललित के पिता भोपाल दास भाटिया की कई साल पहले मौत हो गई थी. वह भारतीय सेना में जवान रहे. लेकिन घोड़े से गिर जाने से उनके पैर की हड्डी टूट गई थी, जिसके चलते उन्होंने रिटायर होने से पहले वीआरएस ले लिया था.

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