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'चावल चिपकाने वाले चमत्कारी धातु' के नाम पर ठगी, बाप-बेटा गिरफ्तार

ठग बाप-बेटे ने मिलकर कपड़े के एक थोक कारोबारी को झांसा दिया कि वे 'राइस पुलर' नाम के एक चमत्कारिक तांबे की प्लेट को अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA और भारतीय रक्षा अनुसंधान एजेंसी DRDO को बेचने में उसकी मदद करेंगे.

क्राइम ब्रांच की गिरफ्त में आए ठग पिता-पुत्र क्राइम ब्रांच की गिरफ्त में आए ठग पिता-पुत्र
अनुज मिश्रा/आशुतोष कुमार मौर्य
  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2018,
  • अपडेटेड 12:30 AM IST

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने 37,500 करोड़ का फायदा दिलाने के नाम पर एक शख्स को 1.5 करोड़ का चूना लगाने वाले ठग बाप-बेटे को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने गिरफ्तार बाप-बेटे की पहचान वीरेंद्र मोहन बरार और नितिन मोहन के रूप में की है.

पुलिस ने बताया कि बाप-बेटे ने मिलकर कपड़े के एक थोक कारोबारी को झांसा दिया कि वे 'राइस पुलर' नाम के एक चमत्कारिक तांबे की प्लेट को अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA और भारतीय रक्षा अनुसंधान एजेंसी DRDO को बेचने में उसकी मदद करेंगे. उन्होंने कारोबारी को बताया कि नासा इस चमत्कारी धातु की प्लेट 'राइस पुलर' को 37,500 करोड़ रुपये में खरीदती है.

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उन्होंने कारोबारी को बताया था कि यह खास रेडियोएक्टिव तांबे से बनी प्लेट है और बिजली गिरने के चलते उसमें ऐसा गुण आ गया है कि वह चावल को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है. हालांकि नासा या डीआरडीओ को यह चमत्कारी 'राइस पुलर' बेचने से पहले उन्होंने उसकी लैब टेस्टिंग की बात कही.

दरअसल दोनों बाप-बेटा बिचौलिया बनकर पीड़ित को कई सालों से ठग रहे थे. उन्होंने कारोबारी को लालच दिया था कि अगर वह लैब टेस्ट का खर्च उठाता है तो वह भी बड़ा मुनाफा कमा सकता है. मुनाफे का लालच देकर लैब टेस्ट के लिए वे कारोबारी से समय-समय पर पैसे उगाहने लगे.

दोनों ठग बाप-बेटा कारोबारी से यह पैसे केमिकल खरीदने, टेस्टिंग के दौरान वैज्ञानिकों द्वारा पहने जाने वाले खास एंटी-रेडिएशन सूट और टेस्ट के लिए आने वाले डीआरडीओ के वैज्ञानिक की फीस देने के नाम पर उगाहते रहे.

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ठगी का शिकार हुए कारोबारी ने बताया कि उन्होंने उससे वादा किया था कि अगर लैब टेस्ट में राइस पुलर खरा उतरता है तो वे तुरंत उसे 10 करोड़ रुपये की टोकन मनी दे देंगे. लालच में फंसकर कारोबारी ने लैब टेस्ट के लिए उन्हें पहली बार चार किश्तों में क्रमशः 5.6 लाख रुपये, 19 लाख रुपये, 24.6 लाख रुपये और 38 लाख रुपये दिए.

कारोबारी ने बताया कि पहली बार लैब टेस्ट हापुड़ में होना था, लेकिन यह कहकर लैब टेस्ट टाल दिया गया कि टेस्ट के लिए वह जगह उपयुक्त नहीं है. अगला लैब टेस्ट हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में होना था, जिसके लिए कारोबारी ने उन्हें फिर से तीन किश्तों में क्रमशः 5.6 लाख रुपये, 3.5 लाख रुपये और 42 लाख रुपये दिए.

लेकिन इस बार फिर मौसम साफ न होने की बात कहकर टेस्ट नहीं किया गया. बाद में किसी तरह कारोबारी को पता चला कि वैज्ञानिक बनकर आने वाला व्यक्ति आरोपियों के लिए 20,000 रुपये महीने पर काम करता है. जैसे ही कारोबारी को समझ में आया कि वह ठगी का शिकार हो चुका है, उसने क्राइम ब्रांच में इसकी शिकायत दर्ज कराई.

पुलिस ने जब वीरेंद्र मोहन बरार और उसके बेटे नितिन मोहन बरार को गिरफ्तार किया, उस समय वे अमेरिका की एक मेटल कंपनी 'रेहान मेटल्स' के मालिक के तौर पर मिले और उनका दावा था कि रेहान मेटल्स NASA द्वारा स्पेस रिसर्च में इस्तेमाल होने वाले दुर्लभ धातु की खरीद-बिक्री का काम करती है.

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पुलिस ने बताया कि आरोपियों के पास से फर्जी दस्तावेज, कंपनी के लेटर हेड, चेक बुक, फर्जी पहचान पत्र, नकली एंटी रेडियो एक्टिव सूट, एक लग्जरी कार और लैपटॉप बरामद किया है. अब पुलिस उस नकली साइंटिस्ट को ढूंढ रही है जो इनके लिए लैब टेस्ट का ड्रामा करता था.

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