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दिल्लीः हॉलीवुड फिल्म देखकर किया अपहरण, बच्चा सकुशल बरामद

दिल्ली पुलिस ने एक 3 वर्षीय बच्चे के अपहरण की गुत्थी को सुलझा लिया है. बच्चे का अपहरण करने वाला कोई और नहीं बल्कि बच्चे के पिता की दुकान में काम करने वाला नौकर ही था. जिसने एक हॉलीवुड फिल्म देखकर अपहरण की इस वारदात को अंजाम दिया था. पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल की गई कार और बाइक भी बरामद कर ली है.

पुलिस ने सर्विलांस के जरिए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया पुलिस ने सर्विलांस के जरिए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया
परवेज़ सागर/तनसीम हैदर
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:17 PM IST

दिल्ली पुलिस ने एक 3 वर्षीय बच्चे के अपहरण की गुत्थी को सुलझा लिया है. बच्चे का अपहरण करने वाला कोई और नहीं बल्कि बच्चे के पिता की दुकान में काम करने वाला नौकर ही था. जिसने एक हॉलीवुड फिल्म देखकर अपहरण की इस वारदात को अंजाम दिया था. पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल की गई कार और बाइक भी बरामद कर ली है.

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मामला पूर्वी दिल्ली के मंडवाली इलाके का है. जहां से 3 वर्षीय आयुष का अपहरण हो गया था. इस मामले में पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस अपहरण की साजिश बच्चे के पिता की दुकान में काम करने वाले राहुल ने अपने साथी गौरव और शुभम के साथ मिलकर रची थी.

दरअसल, राहुल पिछले एक महीने से हॉलीवुड की फ़िल्में देखा करता था. उसके बाद किडनैपिंग पर आधारित फ़िल्म देखकर ही राहुल ने अपने दोस्तों के साथ अपने शोरुम मालिक गौरव के बेटे आयुष को किडनेप करने का प्लान बनाया. प्लान के मुताबिक 22 दिंसबर के दिन के करीब 2 बजकर 30 मिनट पर बच्चे को टाटा इंडिका कार में बैठाकर ये सभी फरार हो गए.

इसके बाद राहुल ने चोरी के मोबाइल फोन से शोरुम के मालिक गौरव को फोन करवा कर 10 लाख रुपये की फिरौती की मांग की. डरे सहमे मां-बाप घबराकर सीधे पुलिस के पास पहुंच गए. पुलिस ने लोकल मुखबिर और सर्विलांस के जरिए बदमाशों की तलाश शुरु की.

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एक सीसीटीवी फुटेज में पुलिस को वो शख्स दिखाई दिया जो शोरुम में काम किया करता था. लिहाजा पुलिस ने राहुल की तलाश शुरु कर दी. इससे पहले कि किड़नेपर पकड़ मे आते पुलिस को बच्चा अक्षरधाम के पास लावारिस हालत में मिल गया.

पुलिस ने बच्चे से किडनेपर्स का हुलिया पूछा तो वो भी राहुल की शक्ल से मेल खाता था. लिहाजा पुलिस ने मयूर विहार से राहुल और उसके साथियों को दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया.

उधर, आयुष के पिता का कहना है कि उन्हें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि उनका मुलाजिम ही इस तरह की वारदात को अंजाम दे सकता है. वह दुकान के में दिनभर फिल्में देखता था. मगर कभी लगा नहीं कि वह इस तरह की वारदात को अंजाम देगा.

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