
गोंडा में किडनैप हुए बच्चे को सकुशल छुड़ाने के बाद अब पुलिस लेडी किडनैपर छवि पाण्डेय की कुंडली खंगालकर यह पता करने की कोशिश कर रही है कि क्या पहले भी उसने इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया है. बता दें कि छवि ने ही "विकास दुबे वाला मैटर तो पता ही होगा, पुलिस किसका कितना साथ देती है" कहकर गोंडा के व्यापारी को फोन पर धमकाकर चार करोड़ रूपए फिरौती की मांग की थी.
8 वर्षीय बच्चे की किडनैपिंग के मामले में मुठभेड़ में गिरफ्तार पांच अभियुक्तों में से मुख्य साजिशकर्ता छवि, उसका पति सूरज व देवर राज उर्फ राजा पाण्डेय हैं. गिरफ्तारी के बाद गोंडा पुलिस ने उनसे थाने में घंटों पूछताछ की है.
जिले के सकरोरा इलाके में सूरज, राज और छवि का मकान है जहां पर घटना के बाद से ताला लगा है. पड़ोसी भोलानाथ सोनी के मुताबिक जिले के शाहपुर इलाके में इनकी परचून की दुकान है और पूर्व में इनके द्वारा की गयी कोई भी घटना उनके संज्ञान में नहीं है.
यह भी पढ़ें: विकास दुबे वाला मैटर तो सुना होगा, जब महिला किडनैपर ने किया बच्चे की फैमिली को फोन
कहा यह जा रहा है कि सूरज और छवि का प्रेम विवाह हुआ था और लेडी किडनैपर का मायका उन्नाव जिले में है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक सूरज पहले बाइक चोरी के मामले में जेल जा चुका है हालांकि इसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.
बीते कुछ दिनों में इस घटना को अंजाम देने के लिए छवि, उसके पति और देवर ने किन लोगों से बात की, इसका पता भी उनकी कॉल डिटेल्स निकलवाकर लगाया जा रहा है. वहीं पुलिस मुठभेड़ में गोली लगने से घायल दो अन्य अपहरणकर्ता उमेश यादव व दीपू कश्यप ने अस्पताल में इलाज के दौरान मीडिया से बातचीत की.
पुलिस मुठभेड़ में घायल उमेश नाबालिग है और उसने वर्ष 2019 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की है. उमेश के मुताबिक उसके मन में अपहरण का कभी कोई विचार नहीं था. राज और सूरज पाण्डेय के कहने पर उसने यह सब किया. उमेश भी सकरोरा इलाके का रहने वाला है और उसके पड़ोसी कबीर जोशी ने आज तक से बातचीत करते हुए कहा कि उमेश के पिता किसान हैं और उनका दूध का भी काम है.
कबीर के मुताबिक उमेश की चार बहनें हैं और दोस्ती के चक्कर में वह इस मामले में फंस गया. वहीं घायल दीपू ने बताया कि कि पैसे की लालच में उसने यह काम किया. वह गरीब है और आठ वर्षीय बच्चे के परिवार से उसकी कोई रंजिश नहीं थी और ना ही उसने इससे पहले किसी आपराधिक घटना को अंजाम दिया है.
गोंडा जिले के सोनवार गांव में रहने वाली दीपू की मां सीतावती का कहना है कि उनके चार बच्चे हैं, एक बच्चे की मौत कुछ वर्ष पहले लखनऊ में हो गयी थी और मुठभेड़ में गिरफ्तार उसका बेटा कई सालों से उसके साथ नहीं रह रहा था. दीपू पहले एक परचून की दुकान में काम करता था और घर से कोई मतलब नहीं रखता था. दीपू के पिता का देहांत कुछ साल पहले हो गया था और वह शिक्षा विभाग में चपरासी थे.
दीपू के पड़ोसी लल्लन पाठक का कहना है कि मां को कोई भी लड़का रखने को तैयार नहीं है और इसलिए वह उनको अपने साथ रखते हैं. दीपू का कोई आपराधिक इतिहास है कि नहीं इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. लेकिन कुछ समय पहले उसके बारे में जानकारी लेने के लिए एक दारोगा ने फोन किया था. दीपू की उम्र लगभग 20 साल है. वहीं सूत्रों के मुताबिक दीपू बीते कुछ महीनों से लगातार सूरज पाण्डेय के संपर्क में था और उसके घर भी जाता रहता था.