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ISI नेटवर्क ने अवैध टेलीफोन एक्सचेंज से सरकार को लगाया करोड़ों का चूना

मध्य प्रदेश में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज संचालित कर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले नेटवर्क ने सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है. ये नेटवर्क देशभर में इस तरह की करीब सौ टेलीफोन एक्सचेंज चलाकर सीमा पार सूचनाएं भेजता था. इस नेटवर्क में बीजेपी आईटी सेल के कार्यकर्ता भी पकड़े जा चुके हैं.

ATS की टीम सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है ATS की टीम सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST

मध्य प्रदेश में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज संचालित कर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले नेटवर्क ने सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है. ये नेटवर्क देशभर में इस तरह की करीब सौ टेलीफोन एक्सचेंज चलाकर सीमा पार सूचनाएं भेजता था. इस नेटवर्क में बीजेपी आईटी सेल के कार्यकर्ता भी पकड़े जा चुके हैं.

मध्य प्रदेश पुलिस ने केंद्र सरकार को एक जांच रिपोर्ट भेजी है. जिसमें खुलासा किया गया है कि आईएसआई के लिए काम करने वाले इन शातिरों ने केंद्र सरकार को दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है. ये गिरोह सूबे में दो दर्जन से ज्यादा अवैध टेलीफोन एक्सचेंज संचालित कर रहा था.

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यूपी के बाद जब मध्य प्रदेश में एटीएस ने इस नेटवर्क का पर्दाफाश किया तो कई जांच एजेंसियों के होश उड़ गए. मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा था, लिहाजा जांच एजेंसियां फूंक फूंक कर कदम रखी रही हैं. इस संबंध में पहले ही ग्यारह लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें बीजेपी आईटी सेल का कार्यकर्ता ध्रुव सक्सेना और उसका साथी भी शामिल है.

जांच एजेंसियों के हाथ इस खेल सरगना मनोज मंडल तक जा पहुंचे, जिसे पुलिस ने बिहार से गिरफ्तार किया. एटीएस को आईएसआई एजेंट मनोज मंडल के सौ ज्यादा बैंक खातों के बारे में पता चला है. आरोपी मनोज ही ये पैसा दूसरे एजेंट को भेजता था.

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश एटीएस की टीम ने सूबे में जासूसी के लिए अवैध रूप से चलाए जा रहे अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का पर्दाफाश किया था. जिसमें आईएसआई के 11 एजेंट गिरफ्तार किए गए थे. आरोपियों की गिरफ्तारी चार जिलों से की गई थी.

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एमपी एटीएस के प्रमुख संजीव शामी ने जानकारी देते हुए बताया था कि जम्मू के आरएसपुरा सेक्टर में पुलिस ने 2016 में आईएसआई के दो एजेंट गिरफ्तार किए थे. जो पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं के लिए रणनीतिक जानकारी भेजने का काम करते थे.

उन दोनों से गिरफ्तार के बाद पूछताछ में पता चला कि उन्हें इस काम के लिए सतना में रहने वाले आईएसआई एजेंट बलराम से पैसे मिल रहे थे. एटीएस की टीम ने दबिश देकर सतना से एजेंट बलराम को गिरफ्तार कर लिया था. और फिर उसकी निशानदेही पर बाकी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इस मामले में लगातार जांच चल रही है.

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