
राजस्थान में एक छात्र ने स्कॉलरशिप लिस्ट में नाम न होने की वजह से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मृतक छात्र कश्मीर का रहने वाला था. साथी छात्रों का आरोप है कि पुलिस और कॉलेज प्रशासन मामले को रफा-दफा करना चाहता है. फिलहाल पुलिस मामले में जांच की बात कह रही है.
एक और कश्मीरी छात्र भारत सरकार की जम्मू-कश्मीर स्पेशल स्कॉलरशिप योजना की भेंट चढ़ गया. पुलिस के अनुसार, कश्मीर के कुपवाड़ा के देवर गांव का रहने वाला 19 साल का इंजीनियरिंग छात्र तौशीफ अहमद स्कॉलरशिप लिस्ट में नाम नहीं आने से काफी वक्त से परेशान चल रहा था. जिसके बाद रविवार को तौशीफ ने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
मैकेनिकल इंजीनियर बनना चाहता था तौशीफ
दरअसल मैकेनिकल इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले तौशीफ ने अनंतनाग स्थित एक कंसलटेंसी फर्म के जरिए राजस्थान स्थित शेखावटी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया था. दाखिला लेने के तीन महीने बाद जब उसने स्कॉलरशिप की लिस्ट में अपना नाम नहीं देखा तो आगे पढ़ाई जारी नहीं रख पाने के डर से परेशान रहने लगा. तौशीफ के दोस्तों ने बताया, रविवार को तौशीफ का कमरा बंद था. काफी खटखटाने के बावजूद जब तौशीफ ने कमरा नहीं खोला तो कॉलेज प्रशासन ने पुलिस को फोन किया. पुलिस ने दरवाजा तोड़ा और अंदर का मंजर देख सभी सन्न रह गए. तौशीफ ने फांसी लगा ली थी.
पुलिस और कॉलेज प्रशासन मामले को कर रहे हैं रफा-दफा
थानाधिकारी भंवरलाल ने कहा कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. मामले की जांच जारी है. वहीं साथी छात्रों का आरोप है कि पुलिस और कॉलेज प्रशासन मामले को रफा-दफा करने की कोशिश कर रहा है. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में यूनिवर्सिटी, कॉलेज और कंसलटेंसी के नाम पर सक्रिय दलालों के बीच एक रैकेट चल रहा है. कश्मीर में हालात ठीक नहीं होने की वजह से स्थानीय छात्र पढ़ाई के लिए बाहर जाना चाहते हैं. पढ़ाई का सपना देखने वाले ज्यादातर छात्र गरीब कश्मीरी हैं. इन छात्रों को कंसलटेंसी के नाम पर दलाल कमीशन के चक्कर में कॉलेजों और यूनिवर्सिटी का फार्म यह कहकर भरवाते हैं, कि वह उसे स्कॉलरशिप दिलवा देंगे.
धोखे से बुलाया जाता हैं कश्मीरी छात्रों को
एक बार जब यह छात्र कश्मीर से बाहर पढ़ने चले जाते हैं और स्कॉलरशिप नहीं मिलती है तो वह फंस जाते हैं. दरअसल कुछ कॉलेज और यूनिवर्सिटी को नियमों के आधार पर छात्रों की स्कॉलरशिप मिल जाती है और साथ ही दलाल को उसका कमीशन भी मिल जाता है. कश्मीर के छात्रों को यहां एडमिशन दिलवाने के लिए ज्यादातर यूनिवर्सिटी और कॉलेजों ने जम्मू-कश्मीर में काम कर चुके रिटायर्ड सेना के अधिकारियों को अपने यहां नौकरी पर रखा है. इस अधिकारियों की मदद से कथित संस्थान उनके संपर्कों के आधार पर जम्मू-कश्मीर के छात्रों को यहां बुलवाते हैं.
गृहमंत्री ने समस्या सुलझाने का किया था वादा
'आजतक' ने जब इस मामले को गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सामने रखा था तो उन्होंने कश्मीरी छात्रों से संपर्क कर दिल्ली में छात्रों के साथ मीटिंग के बाद उनकी समस्या सुलझाने का वादा किया था. काफी हद तक इस समस्या का निपटारा भी हुआ लेकिन स्कॉलरशिप के लिए नियम-12 बी को हटाने का मामला अभी तक नहीं सुलझ पाया है. जिसके तहत निजी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी को भी जम्मू-कश्मीर स्पेशल स्कॉलरशिप दिए जाने की बात कही गई है. दरअसल नियमों की यह सारी समस्या कॉलेजों, यूनिवर्सिटी और जम्मू-कश्मीर में बैठे दलालों के रैकेट की वजह से पनपी है. जिसका खामियाजा गरीब कश्मीरी परिवार से आने वाले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है.