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हिंदू-मुस्लिम कपल के पासपोर्ट विवाद में कूदी BJP, कहा- अधिकारी दोषी मिले तो कार्रवाई हो

अब जो तथ्य सामने आए हैं, उसके मुताबिक, पासपोर्ट अधिकारी ने तीन विसंगतियों के चलते आपत्ति जाहिर की थी. और एक बार फिर से पूरे मामले की जांच की जा सकती है.

LUCKNOW PASSPORT ISSUE: हो सकती है कपल के दस्तावेजों की जांच LUCKNOW PASSPORT ISSUE: हो सकती है कपल के दस्तावेजों की जांच
आशुतोष कुमार मौर्य
  • लखनऊ,
  • 23 जून 2018,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST

लखनऊ में एक दंपति को अलग-अलग धर्मों का होने के चलते पासपोर्ट न देने के मामले में नए तथ्य सामने आ रहे हैं. पहले ये कहा गया कि हिंदू-मुस्लिम कपल होने के चलते मोहम्मद अनस सिद्दीकी और तन्वी सेठ को पासपोर्ट अधिकारी ने धर्म के नाम पर अपमानित किया. हिंदू-मुस्लिम होने के चलते पासपोर्ट रिन्यूअल का उनका आवेदन खारिज कर दिया और पासपोर्ट को होल्ड पर डाल दिया. लेकिन अब जो तथ्य सामने आए हैं, उसके मुताबिक, पासपोर्ट अधिकारी ने तीन विसंगतियों के चलते आपत्ति जाहिर की थी. इधर बीजेपी भी इस विवाद में कूद गई है. बीजेपी ने कहा कि अगर पासपोर्ट अधिकारी दोषी है तो उस पर कार्रवाई हो.

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और अब ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि तन्वी सेठ के नाम और स्थायी पते को लेकर उठे विवाद के बाद एक बार फिर से पूरे मामले की जांच की जा सकती है. पासपोर्ट विवाद के तूल पकड़ने के बाद भले ही आनन-फानन में तन्वी सेठ का पासपोर्ट उन्हें दे दिया गया हो, लेकिन एक बार फिर पासपोर्ट का वेरिफिकेशन किया जा सकता है. खबर है कि अगर पासपोर्ट वेरिफिकेशन में गड़बड़ी पाई गई तो तन्वी सेठ का पासपोर्ट भी जब्त हो सकता है.

हालांकि बाद में इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि न सिर्फ हिंदू-मुस्लिम कपल को पासपोर्ट जारी कर दिया गया, बल्कि उनके साथ कथित तौर पर बदसलूकी करने वाले पासपोर्ट अधिकारी का भी ट्रांसफर कर दिया गया.

बाद में आरोपी पासपोर्ट अधिकारी ने भी कहा था, 'हमें धर्म से कोई मतलब नहीं, हमें तो पासपोर्ट के मैनुअल के मुताबिक फैसला लेना होता है, जिसमें आवेदक द्वारा दी गई जानकारी को कॉलम वाइज पुष्टि करनी होती है. उस फैसले के तहत निवेदक को अपना नाम स्पष्ट करना चाहिए था क्योंकि उस पर उनका पुराना नाम था.'

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दरअसल पासपोर्ट अधिकारी ने इन तीन विसंगतियों को लेकर आपत्ति जताई थी-:

नोएडा में नौकरी, लखनऊ से वर्क फ्रॉम होम

तन्वी सेठ के पते को लेकर पासपोर्ट ने आपत्ति जताई थी, क्योंकि तन्वी सेठ नोएडा की एक कंपनी में 12 साल से काम कर रही हैं, जबकि लखनऊ का निवासी दिखाने के लिए उन्होंने वर्क फ्रॉम होम की जानकारी दी थी.

आरोपी पासपोर्ट अधिकारी ने इसी बात पर पहली आपत्ति जताई थी कि जब तन्वी नोएडा की रहने वाली हैं तो उन्हें गाजियाबाद से पासपोर्ट के लिए अप्लाई करना चाहिए. फिर नोएडा में नौकरी करते हुए कोई 12 साल तक भला कैसे लखनऊ से वर्क फ्रॉम होम के जरिए काम कर सकता है.

नाम बदलने की जानकारी छिपाई गई

पासपोर्ट अधिकारी ने जो दूसरी आपत्ति जताई, वह तन्वी सेठ के नाम बदलने को लेकर था. कपल ने एप्लिकेशन फॉर्म में इस बात का जिक्र ही नहीं किया कि तन्वी ने अपना नाम बदला है. पासपोर्ट अधिकारी के मुताबिक, एप्लिकेशन फॉर्म में एक कॉलम होता है, जिसमें नाम बदलने के बारे में सूचित करना होता है. लेकिन तन्वी सेठ ने इस कॉलम को छोड़ दिया.

नया नाम न जोड़ने पर तीसरी आपत्ति

पासपोर्ट अधिकारी ने बताया कि तन्वी सेठ ने पासपोर्ट आवेदन के साथ अपना जो निकाहनामा दिया था उसमें उनका बदला हुआ नाम सादिया हसन लिखा हुआ था. हालांकि वह सादिया की जगह तन्वी सेठ के नाम से ही पासपोर्ट इश्यू करवाना चाहती थीं.

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तन्वी सेठ अपने पुराने नाम से ही पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था और जब पासपोर्ट अधिकारी ने उनसे अपना नया नाम भी पासपोर्ट में जुड़वाने के लिए कहा तो उन्होंने इनकार कर दिया.

दिए गए दस्तावेज मानकों पर पूरे नहीं

जानकारी के मुताबिक, कपल ने जो दस्तावेज पासपोर्ट रिन्यूअल के लिए दिए, वे मानकों पर खरे नहीं उतर रहे थे. आवेदन में तन्वी ने अपनी हाईस्कूल की मार्कशीट और आधार कार्ड लगाया था. दोनों ही दस्तावेजों पर उनका नाम तन्वी सेठ दर्ज है.

इसके अलावा उन्होंने एक प्राइवेट बैंक अकाउंट के पासबुक की फोटोकॉपी भी लगाई है. यह बैंक अकाउंट तन्वी सेठ और मोहम्मद अनस सिद्दीकी के संयुक्त नाम से है. हालांकि नियम है कि सिर्फ राष्ट्रीयकृत बैंक का पासबुक ही मान्य होता है. वहीं उन्होंने जो निकाहनामा लगाया है, उसमें तन्वी का बदला हुआ नाम सादिया दर्ज है.

सद्भाव बिगाड़ने के आरोप में तन्वी-अनस को जेल भेजा जाए: BJP

पासपोर्ट इश्यू करने और पासपोर्ट अधिकारी द्वारा बदसलूकी के इस मामले के हिंदू-मुस्लिम से जुड़ा होने के चलते अब BJP भी इस विवाद में कूद गई है. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने मामले की गहन जांच की मांग की है.

उन्होंने कहा कि अगर पासपोर्ट अधिकारी दोषी है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन अगर अनस सिद्दीकी और तन्वी सेठ झूठ बोल रहे हैं तो इनके खिलाफ भी कड़ी कानूनी कार्रवाई हो और सद्भाव बिगाड़ने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए.

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