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एमपीः ISI के जासूसी रैकेट में बीजेपी आईटी सेल का सदस्य

मध्य प्रदेश एटीएस की टीम ने अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का पर्दाफाश करने के बाद जिन 11 सदिंग्धों को गिरफ्तार किया है, उनमें से एक बीजेपी आईटी सेल का सदस्य भी है. जो बीजेपी आईटी सेल का पदाधिकारी भी रहा है. इस खुलासे ने जांज एजेंसी के होश उड़ा दिए हैं.

ATS की टीम सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है ATS की टीम सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है
परवेज़ सागर
  • भोपाल,
  • 10 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST

मध्य प्रदेश एटीएस की टीम ने अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का पर्दाफाश करने के बाद जिन 11 सदिंग्धों को गिरफ्तार किया है, उनमें से एक बीजेपी आईटी सेल का सदस्य भी है. जो बीजेपी आईटी सेल का पदाधिकारी भी रहा है. इस खुलासे ने जांज एजेंसी के होश उड़ा दिए हैं.

एटीएस ने अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले आईएसआई के 11 संदिग्धों को गिरफ्तार किया था. आरोपियों की गिरफ्तारी चार जिलों से की गई है. उन्हीं में बीजेपी आईटी सेल का ये सदस्य ध्रुव सक्सेना भी शामिल है. उसकी एक तस्वीर भी सोशल मीडिया में वायरल हो रही है, जिसमें वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मंच पर खड़ा दिखाई दे रहा है.

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एमपी एटीएस के प्रमुख संजीव शामी ने बताया था कि जम्मू के आरएसपुरा में पुलिस ने 2016 में आईएसआई के दो एजेंट गिरफ्तार किए थे. जो पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं के लिए रणनीतिक जानकारी भेजने का काम करते थे.

उन दोनों से गिरफ्तार के बाद पूछताछ में पता चला कि उन्हें इस काम के लिए सतना निवासी बलराम नामक एक शख्स से इस काम के लिए पैसे मिल रहे थे. उसके बाद एटीएस की टीम ने दबिश देकर सतना से बलराम को गिरफ्तार किया है.

उसकी निशानदेही पर बाकी के 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी देश के विभिन्न भागों में सिमबॉक्स का आदान-प्रदान कर रहे थे. जांच के दौरान पता चला कि आईएसआई के इशारे पर काम करने वाले बलराम के कई बैंक खाते हैं, जिनमें हवाला के माध्यम से पैसा आता था.

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बलराम ही हवाला से मिला पैसा जासूसी रैकेट के अन्य सदस्यों को तक पहुंचाता था. उन्होंने बताया कि बलराम को सतना से गिरफ्तार किए जाने के अलावा जबलपुर से दो, भोपाल से तीन और ग्वालियर से पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था.

एटीएस के मुताबिक ये गिरोह हवाला का कारोबार भी कर रहा था. इसके अलावा ऑनलाइन लॉटरी में भी ये गिरोह शामिल था. एटीएस का मानना है कि भारतीय टेलीकॉम कंपनियों की मदद के बिना इस तरह के अवैध एक्सचेंज को संचालित करना आसान नहीं है.

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