
तस्वीरों में आपने अक्सर गुरमीत राम रहीम के गले में एक लॉकेट देखा होगा. ये लॉकेट गुरमीत खुद ही नहीं बल्कि अपने अनुयायियों को भी पहनवाता था. जिस अनुयायी को भी ये खास लॉकेट पहनना होता था, उसे पहले गुरमीत के बनाए कई नियमों का पालन करना पड़ता था.
लॉकेट पहनने का हकदार वही अनुयायी होता जो सबसे पहले डेरे में गुरमीत से ‘नाम’ लेता. फिर उसके बाद उसे संगत में जाम (एक तरह का शर्बत) पिलाया जाता. इसके बाद फॉर्म के जरिए उसका फोटो के साथ नाम पता नोट किया जाता. इसके बाद ही वो अनुयायी लॉकेट खरीद कर गले में पहनने का हकदार होता. जो भी ये लॉकेट पहन लेता वो हमेशा के लिए अपनी वफादारी डेरे के नाम कर देता.
इस लॉकेट को हमेशा गले में पहने रखने की सख्त हिदायत भी होती. ये लॉकेट एक नंबर (1) के आकार का होता है. लॉकेट में डेरा सच्चा सौदा के पहले और दूसरे प्रमुखों- मस्ताना बलूचिस्तानी और सतनाम सिंह के बाद तीसरे नंबर पर गुरमीत राम रहीम की तस्वीर है. लाकेट के नीचे ‘इन्सां’ भी लिखा रहता है.
इसके अलावा लॉकेट के पीछे एक यूनिक नंबर होता है और उसी नंबर से उस अनुयायी की पहचान होती है. अनुयायी से जो फॉर्म भरवाया जाता, वो सारी जानकारी कंप्यूटर पर भी दर्ज की जाती. डेरे के अनुयायी रह चुके लोगों के मुताबिक ये लॉकेट की शुरुआत मई 2007 से हुई थी.
लॉकेट लेने से पहले नाम लेने की प्रक्रिया के बारे में बताया गया कि गुरमीत इसमें तीन शब्दों का एक मंत्र अपने अनुयायियों को देता था. इस मंत्र को किसी भी ओर को बताने की सख्त मनाही होती थी.
लॉकेट पहनने वाले से अनुयायी से कुछ वचन भी लिए जाते थे जैसे कि वो शराब नहीं पिएगा, पराई स्त्री पर बुरी नजर नहीं डालेगा आदि. माना जाता है कि डेरे से कम से कम 40 लाख ऐसे लॉकेट बांटे गए हैं.