
कहते हैं वक्त से कोई नहीं जीत सकता. वक्त बड़ा बलवान होता है. इंसान छोटा हो या बड़ा, रईस हो या फकीर, वक्त के बदलते मिजाज के साथ ही महलों में शानों-शौकत से जिंदगी गुजारने वालों को भी काल-कोठरी नसीब हो जाती है. विजय माल्या की गिरफ्तारी और फिर उन्हें जमानत मिलने के बाद एक बार फिर वे लोग जेहन में जिंदा हो चुके हैं, जिन्होंने जनता की गाढ़ी कमाई पर सेंधमारी करते हुए देश के खजाने को चोट पहुंचाई थीं. 'आजतक' आपके लिए लेकर आया है ऐसी ही पांच शख्सियतें, जिन्होंने देश को चपत लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी:
1- विजय माल्या:
मंगलवार को अचानक शराब कारोबारी विजय माल्या की गिरफ्तारी की खबरें सुर्खियां बन जाती हैं. उन्हें लंदन में गिरफ्तार करने के बाद जमानत भी मिल जाती है. माल्या की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर उनके करनी को याद किया जाने लगा है. दरअसल माल्या पर 17 भारतीय बैंकों से 9 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज लेने का आरोप है. माल्या को भारत सरकार की ओर से भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. मशहूर कारोबारी और खेलों के शौकीन माल्या अपनी रईसी और चमक-दमक वाली जिंदगी के लिए जाने जाते हैं. लिकर किंग के नाम से मशहूर विजय माल्या की कहानी पूरी तरह फिल्मी है. माल्या ने जब किंगफिशर एयरलाइंस शुरु की तो खूब पैसे उड़ाए.
शराब का कारोबार विरासत में मिला
पॉलिटिशियन, सहारा फोर्स इंडिया, रॉयल चैलेंजर्स, मैक्डोवेल, मोहन बगान, किंगफिशर और ईस्ट बंगाल के मालिक रहे विजय माल्या का जन्म 18 दिसंबर, 1955 को हुआ था. कोलकाता में पैदा हुए माल्या के पिता विठ्ठल माल्या भी देश के जाने-माने कारोबारी थे. उनकी माता का नाम ललिता रमैया है. माल्या को शराब का बिजनेस पिता विट्ठल माल्या से विरासत में मिला था. उन्होंने देश के प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थानों से लोगों को चुना और इस शराब उद्योग को एक कॉरपोरेट रूप दिया. कहा जाता है कि माल्या ने एक फोन पर कैप्टन गोपीनाथ से एयर डेक्कन एयरलाइंस की डील की थी. ये कहना हरगिज गलत न होगा कि यही डील विजय माल्या के बुरे वक्त का कारण बनी.
2- सुब्रत राय सहाराः
रईसी के लिहाज से देखा जाए तो सुब्रत राय सहारा देश में किसी से कम नहीं हैं. आलीशान महलों में जिंदगी, लाजवाब लाइफस्टाइल और हमेशा चर्चा में रहने वाले सुब्रत राय सहारा को साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. सुब्रत राय को तिहाड़ जेल में रखा गया था. सहारा प्रमुख अपने निवेशकों के 36 हजार करोड़ रुपये लौटाने में कथित रूप से असफल रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए सुब्रत राय को अपनी प्रॉपर्टी नीलाम करने का भी आदेश दिया था. मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने एचडीएफसी रीयलटी और एसबीआई कैपिटल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश भर में सहारा की 60 संपत्तियों को नीलाम करने की जिम्मेदारी दी गई थी.
मां के निधन के बाद मिली थी पैरोल
रॉय पिछले साल अपनी मां के निधन के बाद से जमानत पर जेल से बाहर हैं. उन्होंने कहा कि वह जेल में थे, इस वजह से बकाया रकम नहीं चुका पाए. उन्होंने जमानत की अर्जी में कहा था कि अगर उन्हें बाहर जाने दिया जाता है तो इस रकम का इंतजाम करना उनके लिए आसान होगा. हालांकि, ग्रुप अब तक सिर्फ 10 हजार करोड़ रुपये ही चुका पाया है. रॉय ने अगले साल तक किस्तों में रकम चुकाने की मोहलत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के लिक्विडेटर को सहारा ग्रुप के एंबी वैली प्रोजेक्ट को बेचने का प्रोसेस शुरू करने के निर्देश दिए हैं. सहारा ने पहले एक एफिडेविट के जरिए एंबी वैली की कीमत 34 हजार करोड़ रुपये बताई थी.
3- ललित मोदीः
बिजनेसमैन और आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी यूपीए सरकार के दौरान 2010 में देश से भाग निकले थे. बिजनेसमैन ललित मोदी राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 2010 में उन्होंने आईपीएल की कोच्चि फ्रेंचाइजी में शेयर हिस्सेदारी को लेकर सवाल खड़े किए थे, जिसके चलते काफी विवाद हुआ था और कांग्रेसी नेता शशि थरूर को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद 2010 में BCCI ने गबन के आरोप में उन्हें बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. मोदी ने बोर्ड के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और जान का खतरा बताकर भारत छोड़ दिया और लंदन में जा बसे. इंटरपोल ने उनके खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया है. मनी लॉन्ड्रिंग समेत 15 मामलों के चलते वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल हैं.
2014 में चुने गए RCA के प्रेसीडेंट
देश छोड़ने के बाद भी ललित मोदी के ऐशो-आराम में कोई कमी नहीं आई. सूत्रों की मानें तो वह अपने परिवार के साथ अलग-अलग देश घूमते पाए जाते हैं. आईपीएल में अनियमितताओं के आरोपी ललित मोदी को मई 2014 में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) का प्रेसीडेंट चुना गया था. इसके बाद BCCI ने आरसीए की मान्यता निलंबित कर दी थी. सूत्रों की मानें तो ललित मोदी अपने बेटे रुचिर मोदी को आरसीए कमेटी में शामिल करवाना चाहते थे. रुचिर के ट्विटर प्रोफाइल के मुताबिक वह लंदन की रिजेंट्स यूनिवर्सिटी में बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर ललित मोदी की देश से भागने में मदद करने का आरोप लग चुका है.
4- अब्दुल करीम तेलगीः
अचानक देश में फर्जी स्टांप बनाकर बेचे जाने का खुलासा होता है. फर्जी स्टांप की खबर से देश में हड़कंप मच जाता है. स्टांप पेपर घोटाले ने देश की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए. सरकार को चूना लगाकर करोड़ों रुपये कमाने वालों में एक बड़ा नाम अब्दुल करीम तेलगी का भी है. तेलगी द्वारा 12 राज्यों में फर्जी स्टांप बनाकर बेचने की बात सामने आई थी. करीब 20 हजार करोड़ रुपये के इस घोटाले में तेलगी को सरकारी विभागों से सहयोग मिला था. दरअसल न्यायालय से लेकर राजस्व विभाग तक में हर बात के लिए स्टांप पेपर लगते हैं. इन पेपर्स के बिना किसी भी दस्तावेज को सरकारी मान्यता नहीं मिलती है. तेलगी ने यही स्टांप पेपर छापने का धंधा शुरू किया. 10 रुपये और एक हजार रुपये के स्टांप पेपर छापने के लिए एक ही तकनीक प्रयोग में लाई जाती है.
सही मशीनों को बेकार घोषित करवाया
जिसके बाद तेलगी ने दक्षिण मुंबई के फोर्ट इलाके में एक प्रिंटिंग प्रेस में हजारों रुपये मूल्य के स्टांप पेपर छापने शुरू कर दिए. नासिक स्थित रुपये छापने वाली सरकारी प्रेस से स्टांप मशीनों को बेकार घोषित करवाकर वो इन्हें नीलामी में खरीद कर लाया था. नासिक की प्रेस में जिस नंबर के स्टांप पेपर छपते थे, तेलगी उन्हीं नंबरों के स्टांप पेपर छापता था. जब तक नासिक से असली स्टांप पेपर मुंबई पहुंचते, उससे पहले ही तेलगी के फर्जी स्टांप पेपर तैयार हो जाते थे. इसके बाद विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से स्टांप पेपरों में कमी दिखा कर तेलगी अपने स्टांप पेपर बेच लेता था और सरकारी स्टांप स्टॉक में पड़े रह जाते थे. जब स्टांप पेपर घोटाले में तेलगी को गिरफ्तार किया गया था, तब उसकी कुल संपत्ति 100 करोड़ रुपये निकली थी. कहा जाता है कि एक बार तेलगी ने 31 दिसम्बर की रात मुंबई के एक जाने-माने बार में डांसर्स पर 500 रुपये के नोट फेंकने शुरू किए तो डांसर्स नोट उठाते-उठाते थक गई थीं. माना जाता है कि उस एक रात में तेलगी ने एक करोड़ रुपये डांसर्स पर लुटाए थे. फर्जी स्टांप पेपर बेचने और पैसों का हिसाब-किताब रखने के लिए उसने लगभग 300 बाजार विशेषज्ञ और बिजनेस मैनेजमेंट प्रशिक्षित लोग रखे हुए थे. हालांकि सजा से पहले ही तेलगी की जेल में मौत हो गई थी.
5- हर्षद मेहताः
इंडियन इकोनॉमी के लिए साल 1990 से 92 का समय बड़े बदलाव का वक्त था. देश ने उदारवादी इकोनॉमी की तरफ चलना शुरू ही किया था कि एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिसने शेयरों की खरीद-बिक्री की प्रकिया में ऐतिहासिक परिवर्तन किए. हर्षद मेहता इस घोटाले के जिम्मेदार थे. हर्षद मेहता ने बैंकिंग के नियमों का फायदा उठाकर बैंकों को बिना बताए उनके करोड़ों रुपयों को शेयर मार्केट में लगा दिया था. घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता की साल 2002 में मौत हो गई थी, जिसके बाद उनके खिलाफ केस को बंद कर दिया गया.
हर्षद मेहता के भाई भी दोषी करार
पिछले साल नवंबर में अदालत ने हर्षद मेहता के भाई सुधीर और दीपक मेहता को भी धोखाधड़ी केस में दोषी करार दिया था. साथ ही अदालत ने नेशनल हाउसिंग बैंक के अधिकारी सी. रविकुमार, सुरेश बाबू और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी आर. सीतारमन और स्टॉक ब्रोकर अतुल पारेख को भी मामले में दोषी करार दिया. कोर्ट ने उन्हें धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक विश्वासघात से जुड़ी धाराओं और भ्रष्टाचार निवारक कानून के तहत दोषी ठहराया था. दोषियों को इन धाराओं के तहत 6 महीने से 4 साल तक की सजा हो सकती है.